ओम बिरला ने चुटकी लेते हुए सिरोही के जनप्रतिनिधियों को पिला दी कड़वी दवा!

सरूपगंज में लोगों से मिलते ओम बिड़ला

सबगुरु न्यूज-सिरोही। लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला बुधवार को एक दिन के प्रवास पर सिरोही आए थे। इस दौरान उन्होंने आबूरोड में ब्रह्माकुमारी के प्रकाशमणि पार्क का उदघाटन किया था। इससे पहले वो सरूपगंज में आयोजित नागरिक अभिनन्दन कार्यक्रम में शामिल हुए। इसमें भाजपा नेताओं और जनप्रतिनिधियों ने भी उनका अभिनन्दन किया।

कार्यक्रम के बाद जब स्थानीय जन प्रतिनिधियों के साथ टेबल पर बैठे तो उन्होंने भाजपा के जनप्रतिनिधियों को चुटकी भरे अंदाज में जो कहा ये लोग उस पर अमल करने लगे तो सिरोही जिले का कायाकल्प हो जाए। उन्होंने बातों बातों में इन जनप्रतिनिधियों को अधिकारियों से अपने काम करवाने के लिए मुद्दों और नियमों को पढ़ने की नसीहत दे दी।

सूत्रों के अनुसार सिरोही के लोगों ने जिन जनप्रतिनिधियों को इसलिए चुना कि वो जयपुर दिल्ली जाकर उनके कम करवाएंगे। वो ही जनप्रतिनिधि सरूपगंज में ये राग अलापने लगे कि अधिकारी उनके काम नहीं करते। इस पर बिड़ला ने औपचारिक चर्चा के दौरान कहा कि जो भी काम करवाना हो उससे संबंधित नियम कायदे पढ़कर उन्हें संबंधित विभाग के अधिकारी के सामने रखेंगे तो कोई अधिकारी किसी जनप्रतिनिधि के काम रोक नहीं पायेगा। उन्होंने इतनी बार जनप्रतिनिधि बनने के बाद भी अधिकारियों के नहीं सुनने का कहने पर चुटकी ले ली।

 यूं उठा मामला

पार्टी सूत्रों की मानें तो ओम बिरला को ये नसीहत देने की जरूरत माउंट आबू की सड़क, सिरोही के हवाई अड्डे और जालोर सिरोही की माही परियोजना के एक मामले के बाद देनी पड़ी। सूत्रों के अनुसार हुआ यूं कि माउंट आबू में गुरुशिखर से देलवाड़ा तक की सड़क काफी जर्जर है। इसके सुदृढ़ीकरण के लिए कारपेटिंग की जानी है। तो पिंडवाड़ा विधानसभा क्षेत्र के जनप्रतिनिधि ने कहा कि माउंट आबू के डीएफओ इस मार्ग को बनाने की अनुमति नहीं दे रहे हैं। बिड़ला ने प्रतिक्रिया दी कि आप उन्हें ये स्पष्ट नहीं कर पाए होंगे कि सरकार को मार्ग का चौड़ीकरण नहीं करना है बल्कि रिकारपेटिंग करनी है। वन क्षेत्र में चौड़ीकरण की रोक है लेकिन एग्जिस्टिंग रोड की मरम्मत की कोई रोक नहीं है। यूं ओटाराम देवासी ने बजट पर अपनी पत्रकार वार्ता के दौरान जब अधिकारियों की नेताओं की नहीं सुनने वाली यहां वाली घटना का हवाला देते हुए  गवर्नेंस पर सवाल किया गया तो उन्होंने ये प्रतिक्रिया दी कि गवर्नेंस हम चलाएंगे और अधिकारियों को लोगों की सुननी होगी।

उन्होंने कहा कि इस संबंध में पूर्ण जानकारी करके वन विभाग के अधिकारी को बताते तो इसमें दिक्कत नहीं आती। जयपुर जाकर डेरा जमा लेने वाले दोनों तीनों नेताओं को जब जयपुर के अधिकारियों को फोन किया लगाने को कहा तो उनके पास नंबर तक नहीं मिले। पार्टी सूत्रों की मानें तो सरकार में इन भाजपा नेताओं का इकबाल इतना बुलंद है कि वन विभाग के जयपुर स्थित अधिकारी को यहां के नेता ने फोन लगाया तो उन्होंने उठाया ही नहीं, वहीं बिड़ला ने जैसे ही कॉल किया तो एक बार में ही फोन उठा लिया। उन्होंने जयपुर में वन विभाग के अधिकारी को दूरभाष पर ही डामरीकरण के संदर्भ के नियम के संबंध में माउंट आबू डीएफओ निर्देशित करने को कहा।

सिरोही हवाई अड्डे के लिए ये जरूरी

सूत्रों के अनुसार चर्चा के दौरान सिरोही हवाई अड्डे की बात भी उठी। इसे लेकर सरकार का हिस्सा और सिरोही के जनप्रतिनिधि ने उनसे चर्चा की। उनसे हवाई अड्डे के लिए एविएशन रूल्स के बारे में पूछ लिया तो उनका जवाब नदारद हो गया। बिड़ला ने हवाई अड्डे के लिए 1500 बीघा जमीन की व्यवस्था करने की आवश्यकता जताई। उन्होंने कहा कि एविएशन रुल के अनुसार हवाई अड्डे की जमीन के चारों ओर पहाड़ियां नहीं हो न ही कोई वन क्षेत्र का हिस्सा हो। उन्होंने जमीन का इंतजाम और एविएशन रुल पढ़कर दिल्ली में इस काम के लिए जाने की नसीहत दी ताकि कोई काम अटके नहीं।

कार्यकर्ताओं में ये नाराजगी बरकरार 

एक बार फिर से सिरोही जिले के कार्यक्रम का मुख्य आयोजन स्थल बालाजी भवन को बनाने को लेकर भी भाजपा कार्यकर्ताओं में नाराजगी नजर आई। बालाजी भवन को संगठन का स्तुति स्थल बनाने को लेकर पूर्व जिलाध्यक्ष के समय से ही जिलेभर के कार्यकर्ताओं में नाराजगी देखी जाती रही है। भाजपा कार्यकर्ता वहां से कार्यालय और कार्यक्रम संचालन और गतिविधियों को पार्टी में कार्यकर्ताओं की जगह व्यापारियों के वर्चस्व का प्रतीक मानकर चलने लगे हैं। इत्तेफाक से यहां पर इस दिन नागरिक अभिनन्दन का कार्यक्रम रखा तो कई बड़े नेता यहां गए ही नहीं, उन्होंने बाहर ही अभिनंदन करना मुनासिब समझा।

आबूरोड के एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने तो ये कहते हुए वहां नहीं जाने की दलील दी कि वो धन्ना सेठों के यहां से संगठन संचालन के पैरोकार नहीं हैं। यहां पर जो लोग पहुंचे थे उनमें से कुछ लोगों के नाम मंच पर ओम बिड़ला के साथ बैठने के लिए रखा लेकिन, उनके प्रोटोकॉल अधिकारी ने प्रोटोकॉल के तहत निर्धारित व्यक्ति के अलावा किसी पार्टी पदाधिकारी को मंच पर बैठने पर सहमति नहीं जताई। यही स्थिति पीएम पार्क के कार्यक्रम में भी रही। रेवदर के केंद्रीय बजट के लेकर आयोजित सभा की तरह भाजपा के कई नेता यहां पर आए ही नहीं। इसे पार्टी की अंदरूनी गुटबाजी का परिणाम माना जा रहा है।