जालंधर। राष्ट्रीय प्रजनन एवं बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरसीएच) के सलाहकार डॉ. नरेश पुरोहित ने कहा है कि दुनिया के सात अनपेक्षित गर्भधारण में से एक भारत में होता है।
डॉ. पुरोहित ने कहा कि 20 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं की तुलना में किशोरियों में गर्भावस्था संबंधी समस्याओं के कारण उनकी मृत्यु की आशंका दोगुनी होती है। अनपेक्षित गर्भधारण और उसके बाद होने वाले गर्भपात, देश के समग्र विकास से गहराई से जुड़े हुए हैं।
नवीनतम राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (एनएफएचएस-5) के अनुसार पंजाब में विवाहित महिलाओं के बीच गर्भनिरोधक उपायों की अधूरी आवश्यकता की संख्या में भारी वृद्धि हुई है। महिलाएं और किशोरियां गर्भाधान से बचना चाहती हैं लेकिन किसी भी तरीके का उपयोग नहीं करती हैं। उन्होंने कहा कि 15 से 49 वर्ष की विवाहित महिलाओं में परिवार नियोजन की अधूरी आवश्यकता का प्रतिशत 2015-16 में दर्ज चार प्रतिशत से बढ़कर 9.7 फीसदी हो गया है।
डॉ. पुरोहित ने कहा कि परिवार नियोजन की अधूरी आवश्यकता से तात्पर्य उन महिलाओं से है, जो गर्भनिरोधक का उपयोग नहीं कर रही हैं, लेकिन अगले बच्चे के जन्म में अंतर रखकर या बच्चे पैदा करना पूरी तरह से रोककर प्रजनन स्थगित करना चाहती हैं।
उन्होंने कहा कि अगर महिलाओं को गर्भवती होने का खतरा है, गर्भनिरोधक का उपयोग नहीं कर रही हैं, और या तो अगले दो वर्षों के भीतर गर्भवती नहीं होना चाहती हैं या अनिश्चित हैं कि वे गर्भवती होना चाहती हैं या नहीं, तो उन्हें ‘अधूरी जरूरत’ माना जाता है। उन्होंने कहा कि देश के लगभग 41 प्रतिशत जिलों में, ऐसी विवाहित महिलाओं को गर्भनिरोधक और अंतराल दोनों की आवश्यकता का प्रतिशत राज्य के समग्र औसत से अधिक पाया गया।
डॉ.पुरोहित ने बताया कि एनएफएचएस-5 के अनुसार पंजाब के बठिंडा में कुल अधूरी आवश्यकता का उच्चतम प्रतिशत 17.7 दर्ज किया गया, इसके बाद फरीदकोट में ऐसी महिलाओं का प्रतिशत 15.7 प्रतिशत, फिरोजपुर में 15.4 प्रतिशत, जालंधर में 13.4 प्रतिशत, मोहाली में 12.3 प्रतिशत, गुरदासपुर में 11.9 प्रतिशत था। राज्य में परिवार नियोजन के तरीकों का उपयोग नहीं करने वाली केवल 21.7 प्रतिशत महिलाओं से स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने संपर्क किया।
उन्होंने कहा कि परिवार नियोजन असमय मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को रोकता है और सभी महिलाओं (और उनके सहयोगियों) को जन्म अंतर के लिए एक विश्वसनीय तरीका प्रदान करके घर में नवजात शिशुओं और अन्य बच्चों के लिए बेहतर पोषण सुनिश्चित करता है। यह उन्हें यह चुनने की भी अनुमति देता है कि उनके लिए सबसे अच्छा क्या है। यह एक परिवार के आकार पर निर्णय लेेने में भी मदद करता है।
देरी से विवाह और शिक्षा तक पहुंच जैसे अन्य हस्तक्षेपों के साथ परिवार नियोजन, महिलाओं और लड़कियों को उनके जीवन और अन्य मसलों पर अधिक नियंत्रण प्रदान करता है। यह लोगों को उनकी पूर्ण शैक्षणिक, पेशेवर और व्यक्तिगत क्षमता तक पहुंचने में सहायता करता है।
उन्होंने बताया कि आधुनिक गर्भनिरोधक केवल परिवार नियोजन के एक उपकरण से कहीं अधिक है। सक्षम स्वास्थ्य कर्मचारियों द्वारा समकालीन गर्भनिरोधक के मॉनिटर किए गए उपयोग से मासिक धर्म को विनियमित करने, असुविधा को कम करने और उन लड़कियों और महिलाओं में रक्तस्राव की अवधि को कम करने में मदद मिल सकती है जिनकी अवधि अत्यधिक लंबी, अनियमित या दर्दनाक होती है।
यह महिलाओं को बेहतर शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य, स्कूल या काम के दिन ‘मिस’ कम करने और दैनिक जीवन में अधिक सक्रिय होने में सक्षम बनाता है, जो सभी उनके सशक्तिकरण और मानव पूंजी क्षमता में योगदान करते हैं।
उन्होंने कहा कि इच्छा से पहले माता-पिता नहीं बनने या अनियोजित बच्चे पैदा करने से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने के साथ-साथ परिवार पर वित्तीय बोझ और महिलाओं के करियर पर असर पड़ सकता है और निराशा, अवसाद और आत्म-सम्मान की हानि जैसे मनोवैज्ञानिक परिवर्तन हो सकते हैं।