सबगुरु न्यूज-सिरोही। ग्रामीण विकास, नागरीक सुरक्षा व पंचायतीराज राज्यमंत्री ओटाराम देवासी ने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार व सिरोही के पूर्व विधायक संयम लोढ़ा पर वाड़ाखेड़ा घासबीड को लेकर निशाना साधा है।
उन्होंने प्रेस नोट जारी करके बताया कि लोढ़ा ने सिरोही के पशुपालकों से बिना किसी परामर्श के गुपचुच तरीके से 2022 में इस घासबीड़ क्षेत्र के करीबन 4 हजार हैक्टयर क्षेत्र को कन्जर्वेशन रिजर्व घोषित करा दिया ताकि यहां पशु चराई बन्द हो जाये। देवासी ने आरोप लगाया कि ऐसा उन्होंने जानबूझकर सिरोही के गोपालकों व पशुपालकों से द्वेषतावश किया ।
वाडाखेड़ा कन्जर्वेशन को लेकर प्रेस विज्ञप्ति जारी कर देवासी ने बताया कि वाड़ाखेड़ा जोड़ वर्षों से वन भूमि में घासबीड़ क्षेत्र था। इसमें सिरोही के आसपास के करीबन 17 गांवों के पशुओं को चराने के लिए हर साल इस घासबीड़ क्षेत्र की नीलामी की जाती थी।
उन्होंने बताया कि वन भूमि के किसी भी क्षेत्र को कन्जर्वेशन रिजर्व घोषित करने से पहले वहां के स्थानीय समुदायों के साथ बैठकर विस्तृत परामर्श किया जाने का प्रावधान होता है। क्योंकि इसमें स्थानीय समुदायों के हितों को सुरक्षित रखे जाने का प्रावधान होता है लेकिन वाड़ाखेड़ा के सम्बन्ध में तत्कालीन कांग्रेस सरकार के समय पूर्व विधायक लोढ़ा द्वारा ऐसा न कर सिरोही के गरीब गोपालकों व पशुपालकों के साथ घोर कुठाराघात किया ।
उन्होंने बताया कि इसके समाधान के लिए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, वन मंत्री संजय शर्मा एवं वन विभाग के आला अधिकारियो के साथ मुलाकात कर सिरोही के पशुपालकों के हित में हरसंभव सहायता के प्रयास करने के लिए निरन्तर बात जारी है।
राज्यमंत्री देवासी ने बताया कि इस समस्या की मूल जड़ तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने आनन फानन में पूर्व विधायक संयम लोढ़ा के कहने से स्थानीय समुदायों व आमजन को गुमराह कर उनके हितों को बिना ध्यान में रखे इस घासबीड़ क्षेत्र को कन्जर्वेशन घोषित कराने का निर्णय करवाया है।
राज्यमंत्री देवासी ने बताया कि किसी क्षेत्र को एक बार कन्जर्वेशन रिजर्व घोषित कराये जाने के अधिसूचना के बाद इसे वापस डिनोटिफाइड कराना मुश्किल है, लेकिन उनके द्वारा मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, वन मंत्री संजय शर्मा व वन विभाग के अधिकारियों से मुलाकात के दौरान उन्होंने पशुपालकों के हित में विश्वास दिलाया है। पशुपालकों के हित में सरकार जो भी प्रयास कर सकती है वो सब करेंगी। हमारे प्रयास है कि कैसे भी करके इसमें गरीब गोपालकों व पशुपालकों के हित सुरक्षित रह सके ।