सीकर। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राष्ट्रवाद का ध्यान रखते हुए हर हालत में हमे राष्ट्र के प्रति पूरी तरह समर्पित होने की जरुरत बताते हुए कहा है कि देश में बदलाव आया है और भारत विकसित भारत की ओर तीव्र गति से अग्रसर हो रहा है और आने वाले दो साल में जापान और जर्मनी से आगे जाकर दुनिया की तीसरी महाशक्ति बनने जा रहा हैं और अब यह देश रुकने वाला नहीं है।
धनखड़ बुधवार को सीकर में पंडित दीनदयाल उपाध्याय के 108वें जन्मदिवस समारोह पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय शेखावाटी विश्वविद्यालय में अपने संबोधन में यह बात कही। उन्होंने कहा कि नवयुवकों के लिए दो चीजें बहुत महत्वपूर्ण हो गई हैं। पहले कानून के सामने सब बराबर नहीं थे। कुछ लोग कानून से ऊपर थे। कानून उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता था, ऐसी धारणा बन गई थी। वह धारणा धराशाई हो गई है। यह नवयुवकों के लिए बहुत बड़े फायदे है। दूसरा, पहले बिना भ्रष्टाचार के कोई काम नहीं होता था। बिचौलिया बीच में आता था। अब पावर कोरिडोर को पूरी तरह सेनीटाइज कर दिया गया है और बिचौलिये गायब हो गए हैं। इसमें तकनीकी ने बहुत बड़ा सहयोग दिया है।
उन्होंने कहा कि आज के दिन जिस भारत को हम देख रहे हैं, जिस भारत के प्रति दुनिया नतमस्तक है, जो भारत विकसित भारत की ओर तीव्र गति से अग्रसर है। चारों तरफ हम देखते है जल, थल, आकाश और अंतरिक्ष हमारी प्रगति अप्रत्याशित और अकल्पनीय है, सोच के परे है। उन्होंने कहा कि मैंने वह जमाना देखा है, जब मुझे खुद को डर लगता था, 1989 में जब मैं पहली बार लोकसभा का सदस्य बना, केंद्र में मंत्री बना हमारी अर्थव्यवस्था लंदन शहर से छोटी थी, आज आने वाले दो साल में हम जापान और जर्मनी से आगे जाकर दुनिया की तीसरी महाशक्ति बनने जा रहे हैं। ऐसा हमारा देश है। अब यह देश रुकने वाला नहीं है, पर कुछ लोग बाधा उत्पन्न करना चाहते हैं, आप चुप मत रहिए।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रहित और देश सेवा को निजी और राजनीतिक स्वार्थ से ऊपर रखें। ऐसी कोई परिस्थिति नहीं है कि हम राष्ट्रहित को हमारे निजी स्वार्थ और राजनीतिक स्वार्थ से कम आंके। जो ऐसा करते हैं, वह गलतफहमी में हैं उनकी सराहना कभी नहीं करनी चाहिए चाहे देश में या चाहे बाहर कोई भी, जो हमारे राष्ट्रीय हित को नुकसान पहुंचाता है, वह हमारा हितैषी नहीं है। देश की आजादी को हमें समझना पड़ेगा। यह आजादी हमें बहुत मुश्किल से मिली है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि हम भारतीय हैं, भारतीयता हमारी पहचान है, राष्ट्रधर्म हमारा सबसे बड़ा धर्म है। मुझे यहां आकर अति प्रसन्नता हुई है जब निमंत्रण मिला, तब स्वाभाविक रूप से मेरे सामने वह नहीं था जो मैं आज देख रहा हूं। मेरे सामने एक महापुरुष का नाम था और दिवस क्या था, यह था। मैंने तुरंत स्वीकार किया और जब से यहां आया हूं, हर पल मेरे लिए सदा यादगार रहेगा।
उन्होंने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय के बारे में अपने को बहुत सीखने की आवश्यकता है और आज के दिन उनका दर्शन, उनकी सोच कितनी प्रासंगिक है, इसका आप अंदाजा नहीं लगा सकते। उनके दर्शन और विचार ऐसे रहे है। समय बदल रहा है, तकनीकी आ गई है, सोच बदल गई है, पर वह दूरदर्शी थे। विचारक, दार्शनिक और सामाजिक हितकारी थे। क्यों उनका केंद्र व्यक्ति विकास पर था, व्यक्ति को बल मिले, व्यक्ति समाज का एक ऐसा अंग बने कि वह समाज को सकारात्मक रूप से अपना सहयोग दे पाए और यह सोच आज भारत की राजनीति को प्रभावित कर रही है।