परीक्षित मिश्रा
सबगुरु न्यूज-आबूरोड। भ्रष्टाचार से मुक्ति। केन्द्र सरकार का भले ही ये दावा हो। लेकिन, जमीनी स्तर पर इन दावों के मूर्त रूप नहीं लेने का परिणाम होता है आम जनता का सरकारों के प्रति मोहभंग। यही वो वजह है जिससे चुनावों कम वोट प्रतिशत होता है।
केन्द्र सरकार के पारदर्शिता के दावे को आबूरोड रेलवे स्टेशन के पार्किग ठेकेदार कालिख पोत कर नजारे धुंधला रहे हैं। यहां पर पार्किग को दोगुना दाम वसूलकर लोगों को लूटा जा रहा है। कागजी कमी होने के बावजूद कार्रवाई नहीं होना रेलवे की मौन सहमति की ओर इशारा कर रहा है।
-सीधे तीस रुपये की रसीद
आबूरोड रेलवे स्टेशन नॉर्थ वेस्टर्न रेलवे में आता है। इसका डीआरएम ऑफिस अजमेर लगता है। ऐसे में इस डीआरएम कार्यालय के अंदर पडने वाले स्टेशनों के ठेके की प्रक्रिया वहीं से होती है और अधिकांशतः ठेकेदार भी वहीं के होते है। मुख्य कार्यालय से सीधे संपर्क के कारण ये लोग मनमानी करने का लाइसेंस मानकर अपना गोरखधंधा करने लगते है।
आबूरोड रेलवे स्टेशन के बाहर पेड पार्किंग है। यहां पर दो पहिया वाहन और चार पहिया वाहनों की पार्किंग के अलग अलग शुल्क निर्धारित हैं। अलग अलग टाइम स्लॉट के लिए अलग अलग दरें हैं। लेकिन, आबूरोड पार्किंग ठेकेदार ने तीस रुपये की एक ही पर्ची छपवा रखी है। अब चाहे चार पहिया वाहन मालिक को एक घंटा वाहन खडा करना हो, दो घंटा करना हो चार घंटा करना हो या बारह घंटा पार्क करना हो उसे इन ठेकेदारों को तीस रुपये ही देना होगा।
-एक घंटा का शुल्क भी तीस रुपया
सबगुरु न्यूज ने पार्किंग शुल्क में वसूली में अनियमितता की शिकायत की तस्दीक के लिए ट्रेन नम्बर 19411 साबरमती-दोलतपुर एक्सप्रेस को चुना। यहां रिलेटिव को छोडने की वजह से कार आबूरोड पार्किंग में खडी की। ये ट्रेन दोपहर एक बजे आबूरोड रेलवे स्टेशन पहुंचती है। ऐसे में ट्रेन पर पेसेंजर को छोडकर आने में ज्यादा से ज्यादा एक घंटे का समय लगता। लेकिन, पार्किंग कर्मी ने सीधे ही रसीद संख्या 63172 काट दी। इस पर तीस रुपया प्रिंट हुआ था। इस दौरान पार्किंग में छाया नहीं होने की बात और रेट अजमेर जैसी व्यवस्था नहीं होने की बहस भी हुई। इस पर पिर्कग कर्मी की दलील थी कि अजमेर में भी इस दर पर यही व्यवस्थाएं हैं। वो वहीं का है उससे बेहतर इसकी जानकारी किसी को नहीं है।
-नहीं डाला टाइम
पार्किग की रसीद सख्ंया 63172 पर पार्किंग कर्मी ने समय नहीं डाला। इस रसीद में समय और पार्किंग शुल्क लिखने का कोई कॉलम नहीं है। एक बॉक्स मे 30 रुपये शुल्क छपा हुआ है और यहीं फ्लेट रेट हर व्यक्ति से ली जा रही है। रेलवे मुख्यालय के द्वारा पर्किंग की दर निर्धारित की हुई है। यहां पर लगे एक साइन बोर्ड के अनुसार 18 जनवरी 2023 ये 17 जनवरी 2026 तक चार पहिया वाहन को दो घंटा पार्क करने का शुल्क 15 रुपये है। इसी तरह दो से छह घंटे तक का शुल्क 25 रुपये, छह से बारह घंटे तक का तीस रुपये, बारह से चौबीस घंटे तक का 60 रुपये शुल्क है।
आम तौर पर आबूरोड रेलवे स्टेशन पर पैसेंजरों को छोडने आने वाले परिजन एक घंटे से ज्यादा यहां पर वाहन पार्क नहीं रखते है। ऐसे में आबूरोड पार्किंग पर 15 रुपये की रसीद दी जानी चाहिए थी। लेकिन, पार्किंग पर एक तीस रुपये की फ्लेट रसीद छपवा रखी है। इसी से दोगुनी वसूली की जा रही है। रसीद संख्या 63172 पर जिस वाहन से तीस रुपयो वसूला उससे भी 15 रुपये ही लिया जाना चाहिए था।
रसीद पर समय लिखा जाता नहीं और न ही इसके लिए कोई कॉलम है। ये इस वजह से कि समय डालने पर लोग समय के अनुसार पैसे देने की बात करने लगेंगे। दो घंटे से भी कम खडे रहे इस और इस जैसे वाहनों से दोगुना पार्किंग शुल्क वसूलने पर रेलवे के द्वारा कार्रवाई नहीं किए जाने से ठेकेदार के मजे हैं। पार्किंग शुल्क ज्यादा लेने पर आपत्ति दर्ज करवाने पर ठेकेदार की दलील ये होती है कि रेलवे को इतने लाख रुपये दिए है तो इसकी वसूली तो जनता से ही की जाएगी। दरअसल, रेलवे के द्वारा ठेकेदारों के द्वारा काटी जा रही रसीद के निर्धारित फॉर्मेट में होने या नहीं होने की जांच ही नहीं की जाती है। या फिर जांच के नाम पर सिर्फ औपचारिकता की जाती है।