जयपुर। राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के विशेषाधिकारी और प्रदेश कांग्रेस सेंट्रल वॉर रूम के को-चेयरमैन लोकेश शर्मा फोन टैंपिंग मामले में मंगलवार को दिल्ली पुलिस (अपराध शाखा) के सामने पेश हुए जहां उनसे चार घंटे तक पूछताछ की गई।
शर्मा से नई दिल्ली के रोहिणी स्थित दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा में अधिकारियों ने फोन टैपिंग से जुड़े सवाल पूछे। सूत्रों के अनुसार शर्मा ने सवालों का जवाब देते हुए कहा कि राजस्थान में सरकार गिराने की साजिश हुई थी। पैसों के लेन-देन सहित दूसरे तथ्य सोशल मीडिया के जरिए उनके पास आए थे। फोन टैपिंग से उनका कोई लेना-देना नहीं है और उन्हें बेवजह परेशान किया जा रहा है।
शर्मा अब तक इस मामले में पांच बार पूछताछ के लिए व्यक्तिगत तौर पर पेश हो चुके हैं और तीन बार लिखित जवाब पेश किया जा चुका है। अब उन्हें बुधवार को भी पूछताछ के लिए बुलाया है वहीं इसी दिन इस मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय में भी सुनवाई होनी है।
पूछताछ के बाद दिल्ली क्राइम ब्रांच दफ्तर से बाहर निकलते समय शर्मा ने मीडिया को बताया कि हर बार पूछताछ में क्राइम ब्रांच के अफसरों की तरफ से एक ही तरह के सवाल किए जा रहे हैं और मैंने हर बार ये स्पष्ट किया है कि उनका इस मामले से कोई संबंध नहीं है।
जो ऑडियो क्लिप उन्हें सोशल मीडिया के माध्यम से मिलीं, उन्हीं को उन्होंने सर्कुलेट करने का काम किया क्योंकि उन ऑडियो क्लिप में हो रही बातचीत में राजस्थान की चुनी हुई सरकार को गिराने की साजिश रची जा रही थी और ऐसी साजिश जिसमें लोकतंत्र में पैसों के लेन-देन के जरिए सरकार को गिराने की बात की जा रही हो, तो उन्होंने उचित समझा कि मीडिया के माध्यम से उन्हें जनता तक पहुंचाया जाए और यही उन्होंने किया।
शर्मा ने कहा कि ऑडियो क्लिप सामने आने के 9 महीने बाद केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह को इस बात का एहसास हुआ कि इसके जरिए उनकी छवि धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा है और इसलिए उन्होंने इसे लेकर एक मामला दर्ज कराया।
उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री की ओर से दर्ज कराई गई एफआईआर में स्पष्ट रूप से यह लिखा हुआ है कि केंद्रीय मंत्री की टेलीफोनिक वार्तालाप को गैर-कानूनी तरीके से इंटरसेप्ट करके सर्कुलेट किया गया जबकि मेरा यह कहना है कि मैंने कोई टेलीफोनिक वार्तालाप को इंटरसेप्ट नहीं किया।
अगर केंद्रीय मंत्री की ओर से कराई गई एफआईआर को आधार माना जाए तो शेखावत यह स्वीकार कर रहे हैं कि उस वार्तालाप में उन्हीं की आवाज है, इसीलिए उन्होंने मेरे खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है, एक केंद्रीय मंत्री जो एक चुनी हुई सरकार को गिराने के षड्यंत्र में शामिल है, तो क्या उन पर इसे लेकर कानूनी कार्रवाई नहीं होनी चाहिए।
शर्मा ने आग्रह करते हुए कहा कि राज्य सरकार की जो जांच एजेंसियां हैं उन्हें भी केंद्रीय मंत्री की एफआईआर को आधार मानकर मामले की जांच करनी चाहिए, जिसमें उन्होंने स्वीकार कर लिया कि वो ऑडियो क्लिप उन्हीं की टेलीफोनिक वार्तालाप है।