नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने योग, भारतीय भाषा एवं संस्कृति के दुनिया भर में प्रचार प्रसार को गौरव का क्षण बताया है और लोगों का आह्वान किया है कि इन्हें अपना कर अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव महसूस करें।
मोदी ने लोकसभा चुनावों के कारण तीन माह के अंतराल के बाद आकाशवाणी पर अपनी नियमित श्रृंखला मन की बात के 111वें संस्करण में यह आह्वान किया और आने वाले त्योहारों पर लोगों को शुभकामनाएं भी दीं। उन्होंने कुवैत के राष्ट्रीय रेडियो चैनल पर हिन्दी में प्रसारित होने वाले एक कार्यक्रम की एक क्लिप को साझा करते हुए कहा कि दरअसल, कुवैत सरकार ने अपने राष्ट्रीय रेडियाे पर एक विशेष कार्यक्रम शुरू किया है। और वो भी हिन्दी में।
‘कुवैत रेडियो’ पर हर रविवार को इसका प्रसारण आधे घंटे के लिए किया जाता है। इसमें भारतीय संस्कृति के अलग-अलग रंग शामिल होते हैं। हमारी फिल्में और कला जगत से जुड़ी चर्चाएं वहाँ भारतीय समुदाय के बीच बहुत लोकप्रिय हैं। मुझे तो यहां तक बताया गया है कि कुवैत के स्थानीय लोग भी इसमें खूब दिलचस्पी ले रहे हैं। मैं कुवैत की सरकार और वहां के लोगों का हृदय से धन्यवाद करता हूं, जिन्होंने ये शानदार पहल की है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज दुनियाभर में हमारी संस्कृति का जिस तरह गौरवगान हो रहा है, उससे किस भारतीय को खुशी नहीं होगी। अब जैसे, तुर्कमेनिस्तान में इस साल मई में वहां के राष्ट्रीय कवि की 300वीं जन्म-जयंती मनाई गई। इस अवसर पर तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति ने दुनिया के 24 प्रसिद्ध कवियों की प्रतिमाओं का अनावरण किया। इनमें से एक प्रतिमा गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर जी की भी है। ये गुरुदेव का सम्मान है, भारत का सम्मान है। इसी तरह जून के महीने में दो कैरेबियाई देश सूरीनाम और सेंट विन्सेंट एंड गेनाडाइन्स ने अपनी भारतीय विरासत को पूरे जोश और उत्साह के साथ मनाया।
उन्होंने कहा कि सूरीनाम में हिन्दुस्तानी समुदाय हर साल 5 जून को इंडियन अराइवल डे और प्रवासी दिन के रूप में मनाता है। यहां तो हिन्दी के साथ ही भोजपुरी भी खूब बोली जाती है। सेंट विन्सेंट एंड गेनाडाइन्स में रहने वाले हमारे भारतीय मूल के भाई-बहनों की संख्या भी करीब छह हजार है। उन सबको अपनी विरासत पर बहुत गर्व है। एक जून को इन सबने इंडियन अराइवल डे को जिस धूम-धाम से मनाया, उससे उनकी ये भावना साफ झलकती है। दुनियाभर में भारतीय विरासत और संस्कृति का जब ऐसा विस्तार दिखता है तो हर भारतीय को गर्व होता है।
विश्व योग दिवस की याद करते हुए मोदी ने कहा कि इस महीने पूरी दुनिया ने 10वें योग दिवस को भरपूर उत्साह और उमंग के साथ मनाया है। मैं भी जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में आयोजित योग कार्यक्रम में शामिल हुआ था। कश्मीर में युवाओं के साथ-साथ बहनों–बेटियों ने भी योग दिवस में बढ़–चढ़कर हिस्सा लिया। जैसे-जैसे योग दिवस का आयोजन आगे बढ़ रहा है, नए-नए कीर्तिमान बन रहे हैं। दुनिया-भर में योग दिवस ने कई शानदार उपलब्धियां हासिल की हैं।
सऊदी अरब में पहली बार एक महिला अल हनौफ साद जी ने योग अभ्यास कार्यक्रम का नेतृत्व किया। ये पहली बार है जब किसी सऊदी महिला ने किसी मुख्य योग सत्र को दिशानिर्देशन किया हो। मिस्र में इस बार योग दिवस पर एक फोटो प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। नील नदी के किनारे लाल सागर के समुद्रतट पर और पिरामिडों के सामने योग करते, लाखों लोगों की तस्वीरें बहुत लोकप्रिय हुईं।
उन्होंने कहा कि अपनी संगमरमर निर्मित बुद्ध प्रतिमा के लिए प्रसिद्ध म्यांमार का माराविजया पैगोडा परिसर दुनिया में मशहूर है। यहां भी 21 जून को शानदार योग सत्र का आयोजन हुआ। बहरीन में दिव्यांग बच्चों के लिए एक विशेष कैंप का आयोजन किया गया। श्रीलंका में यूनेस्को विरासत स्थल के लिए मशहूर गॉल फोर्ट में भी एक यादगार योग कार्यक्रम हुआ।
अमरीका के न्यूयॉर्क में ऑब्ज़र्वेशन डेक पर भी लोगों ने योग किया। मार्शल द्वीप समूह पर भी पहली बार बड़े स्तर पर हुए योग दिवस के कार्यक्रम में वहाँ के राष्ट्रपति जी ने भी हिस्सा लिया। भूटान के थिंपू में भी एक बड़ा योग दिवस का कार्यक्रम हुआ, जिसमें मेरे मित्र प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे भी शामिल हुए। यानी दुनिया के कोने-कोने में योग करते लोगों के विहंगम दृश्य हम सबने देखे।
मोदी ने कहा कि मैं योग दिवस में हिस्सा लेने वाले सभी साथियों का हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ। मेरा आपसे एक पुराना आग्रह भी रहा है। हमें योग को केवल एक दिन का अभ्यास नहीं बनाना है। आप नियमित रूप से योग करें। इससे आप अपने जीवन में सकारात्मक बदलावों को जरूर महसूस करेंगे।
प्रधानमंत्री ने देशवासियों को आने वाले त्योहारों एवं यात्राओं के लिए शुभकामनाएं भी दीं। उन्होंने कहा कि अब से एक सप्ताह बाद पवित्र रथ यात्रा की शुरुआत होने जा रही है। मेरी कामना है कि महाप्रभु जगन्नाथ की कृपा सभी देशवासियों पर सदैव बनी रहे। अमरनाथ यात्रा भी शुरू हो चुकी है, और अगले कुछ दिनों में पंढरपुर वारी भी शुरू होने वाली है। मैं इन यात्राओं में शामिल होने वाले सभी श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं देता हूं। आगे कच्छी नववर्ष आषाढी बीज का त्योहार भी है। इन सभी पर्व-त्योहारों के लिए भी आप सभी को ढेर सारी शुभकामनाएं।