नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गौरेया को रोज़मर्रा के जीवन में महत्वपूर्ण बताते हुए लोगों से इसकी वापसी के लिए प्रयास करने का आह्वान किया है।
मोदी ने रविवार को आकाशवाणी पर अपने मासिक कार्यक्रम मन की बात में कहा कि आप सभी लोगों ने बचपन में गौरेया को अपने घर की छत पर, पेड़ों पर चहकते हुए ज़रूर देखा होगा। उन्होंने कहा कि गौरेया को तमिल और मलयालम में कुरुवी, तेलुगु में पिच्चुका और कन्नड़ा में गुब्बी के नाम से जाना जाता है। हर भाषा, संस्कृति में, गौरेया को लेकर किस्से-कहानी सुनाए जाते हैं। हमारे आसपास जैव विविधता को बनाए रखने में गौरेया का एक बहुत महत्वपूर्ण योगदान होता है, लेकिन, आज शहरों में बड़ी मुश्किल से गौरेया दिखती है।
उन्होंने कहा कि बढ़ते शहरीकरण की वजह से गौरेया हमसे दूर चली गई है। आज की पीढ़ी के ऐसे बहुत से बच्चे हैं, जिन्होंने गौरेया को सिर्फ तस्वीरों या वीडियो में देखा है। ऐसे बच्चों के जीवन में इस प्यारी पक्षी की वापसी के लिए कुछ अनोखे प्रयास हो रहे हैं। चेन्नई के कूडुगल ट्रस्ट ने गौरेया की आबादी बढ़ाने के लिए विद्यालय के बच्चों को अपने अभियान में शामिल किया है। संस्थान के लोग स्कूलों में जाकर बच्चों को बताते हैं कि गौरेया रोज़मर्रा के जीवन में कितनी महत्वपूर्ण है।
ये संस्थान बच्चों को गौरेया का घोंसला बनाने की प्रशिक्षण देते है। इसके लिए संस्थान के लोगों ने बच्चों को लकड़ी का एक छोटा-सा घर बनाना सिखाया। इसमें गौरेया के रहने, खाने का इंतजाम किया। ये ऐसे घर होते हैं, जिन्हें किसी भी इमारत की बाहरी दीवार पर या पेड़ पर लगाया जा सकता है। बच्चों ने इस अभियान में उत्साह के साथ हिस्सा लिया और गौरेया के लिए बड़ी संख्या में घोंसला बनाना शुरू कर दिया। पिछले चार वर्षों में संस्था ने गौरेया के लिए ऐसे 10 हज़ार घोंसले तैयार किए हैं।
उन्होंने कहा कि कूडुगल ट्रस्ट की इस पहल से आसपास के इलाकों में गौरेया की आबादी बढ़नी शुरू हो गई है। आप भी अपने आसपास ऐसे प्रयास करेंगे, तो निश्चित तौर पर गौरेया फिर से हमारे जीवन का हिस्सा बन जाएगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कर्नाटका के मैसुरु की एक संस्था ने बच्चों के लिए अर्ली बर्ड नाम का अभियान शुरू किया है। यह संस्था बच्चों को पक्षियों के बारे में बताने के लिए खास तरह की पुस्तकालय चलाती है। इतना ही नहीं, बच्चों में प्रकृति के प्रति जिम्मेदारी का भाव पैदा करने के लिए प्रकृति शिक्षा किट तैयार किया है।
मोदी ने कहा कि इस किट में बच्चों के लिए कहानी की किताब, खेल और जिग-सॉ पहेलियाँ हैं। यह संस्था शहर के बच्चों को गांवों में लेकर जाती है और उन्हें पक्षियों के बारे में बताती है। उन्होंने कहा कि इस संस्था के प्रयासों की वजह से बच्चे पक्षियों की अनेक प्रजातियों को पहचानने लगे हैं। मन की बात के श्रोता भी इस तरह के प्रयास से बच्चों में अपने आसपास को देखने, समझने का अलग नज़रिया विकसित कर सकते हैं।