वायनाड। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 30 जुलाई को केरल के वायनाड जिले में भूस्खलन से हुई तबाही का जायजा लेने के लिए शनिवार को प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वेक्षण किया और कई स्थानों का दौरा भी किया।
इस दौरान केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन और केंद्रीय मंत्री सुरेश गोपी भी मोदी के साथ थे। इससे पहले प्रधानमंत्री करीब 11:10 बजे कन्नूर अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पहुंचे और राज्यपाल, मुख्यमंत्री तथा केंद्रीय मंत्री के साथ हेलीकॉप्टर से वायनाड के लिए रवाना हुए।
कलपेट्टा में एसकेजेएम स्कूल ग्राउंड हेलीपैड पर उतरने से पहले, मोदी ने क्षति की सीमा का मूल्यांकन करने के लिए चूरलमाला, मुंडक्कई और पुंचिरीमट्टम में आपदा क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण किया। मोदी चूरलमाला पहुंचने के लिए कलपेट्टा से निकले, जो सड़क मार्ग से कलपेट्टा से 18 किमी दूर था और 13:17 बजे चूरलमाला पहुंचे। उन्होंने चूरलमाला में करीब 50 मिनट बिताए। प्रधानमंत्री ने स्कूल की क्षति की स्थिति देखने के लिए वेल्लारमाला जीवीएचएसएस स्कूल परिसर का दौरा किया और स्कूल के छात्रों से उनकी निरंतर पढ़ाई और उनके पुनर्वास के लिए भविष्य की योजनाओं के बारे में भी पूछताछ की। इस त्रासदी में इस स्कूल के लगभग 32 छात्रों की मृत्यु हो गई।
बाद में मोदी राज्यपाल, मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री सुरेश गोपी के साथ 31 जुलाई को बचाव कार्यों के लिए चूरलमाला और मुंडक्कई को जोड़ने के लिए सेना के जवानों द्वारा बनाए गए महत्वपूर्ण बेली ब्रिज पर भी चले। उन्होंने कलेक्टर मेघाश्री डीआर और मुख्य सचिव वी वेणु, एडीजीपी अजित कुमार से मुलाकात की और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) कमांडो से बातचीत की, जो खोज अभियान के लिए आपदा स्थल पर डेरा डाले हुए थे।
एनडीआरएफ के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) पीयूष आनंद ने भूस्खलन का स्केच दिखाकर 30 जुलाई से 10 अगस्त के बीच बचाव कार्यों के बारे में विस्तार से बताया। प्रधानमंत्री ने बेली ब्रिज के निर्माण के लिए सेना और बचाव कर्मियों की सराहना की तथा पीड़ितों को बचाने के लिए उनके अथक बचाव कार्यों की सराहना की।
बाद में मोदी और केंद्रीय मंत्री भूस्खलन के प्रभाव को देखने के लिए तबाह हुए इलाकों में लगभग 600 मीटर तक चले और विवरण के बारे में जानकारी ली। मुख्य सचिव, कलक्टर मेघाश्री और एडीजीपी ने प्रधानमंत्री के सवालों का जवाब दिया। प्रधानमंत्री मेप्पडी में सेंट जोसेफ स्कूल में चल रहे राहत शिविर तक पहुंचने के लिए अपराह्न बाद चूरलमाला से निकले।
मोदी ने वहां करीब 25 मिनट बिताए और वहां रह रहे डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ समेत 12 पीड़ितों से बातचीत की। उन्होंने मुहम्मद हानी (16) और लावण्या (14) से भी बातचीत की जिन्होंने परिवार के सभी सदस्यों को खो दिया था। भूस्खलन की आपदा से मेप्पडी पंचायत के वेल्लारीमाला गांव के तीन वार्डों के 4200 से अधिक लोग प्रभावित हुए।
बाद में मोदी ने डॉ. मूपेंस मेडिकल कॉलेज अस्पताल (डब्ल्यूआईएमएस) का दौरा किया और वहां इलाज करा रहे 49 लोगों की स्थिति देखी। प्रधानमंत्री ने अवंतिका (8), ओडिशा की डॉ. स्वीकृति महापात्रा, अनिल, अरुण, जसीना और रशीदा समेत छह मरीजों से बातचीत की और उन्हें सांत्वना दी।
बाद में प्रधानमंत्री राज्य सरकार और जिला प्रशासन द्वारा आयोजित समीक्षा बैठक में भाग लेने के लिए कलपेट्टा कलेक्टरेट भी गए। मुख्य सचिव वी. वेणु ने मोदी को मरने वालों की संख्या के बारे में जानकारी दी और आपदा की सघनता और पुनर्वास के लिए प्रस्तावित अनुमानित लागत के बारे में एक प्रस्तुति दी।
प्रधानमंत्री ने शीर्ष अधिकारियों, राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और मुख्यमंत्री विजयन के साथ चर्चा की। राज्य सरकार की मुख्य मांगों में से एक वायनाड भूस्खलन को एल-3 श्रेणी के अंतर्गत वर्गीकृत करना और उन्हें राष्ट्रीय आपदा घोषित करना है। राज्य सरकार की एक और मांग वायनाड में भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों के पुनर्निर्माण के लिए केंद्र सरकार से 2000 करोड़ रुपए की सहायता का भी है। समीक्षा बैठक लगभग 40 मिनट तक चली। प्रधानमंत्री बाद में कलपेट्टा एसकेएमजे स्कूल मैदान से कन्नूर हवाई अड्डे के लिए रवाना हुए। जहां से वह बाद में नई दिल्ली के लिए रवाना हो गए।
गौररतलब है कि पारिस्थितिकी की दृष्टि से संवेदनशील पश्चिमी घाट क्षेत्र में 30 जुलाई को भूस्खलन की घटना में करीब दो सौ लोगों की मौत हो गई थी और सैकड़ों की संख्या में लोग घायल हो गए। भारी वर्षा के कारण भूस्खलन इरुवझिंजी पुझा नदी में बाढ़ के चलते शुरू हुआ था। प्रधानमंत्री ने 30 जुलाई को वायनाड त्रासदी की सूचना मिलते ही बैठक की समीक्षा की थी और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), सेना, वायु सेना और नौसेना को राहत और बचाव कार्य में लगाने का निर्देश दे दिया था।
सेना के तीनों अंगों और केन्द्रीय बलों के साथ-साथ अग्निशमन तथा सिविल डिफेंस के 12 सौ से अधिक कर्मी मौके पर राहत एवं बचाव कार्य में लगा दिए थे। सेना ने वायनाड में प्रभाव क्षेत्र में 190 फुट का वेलीफुट शीघ्रता से स्थापित करके, आवागमन के लिए सुचारू बनाया जिससे राहत कार्य के लिए एंबुलेंस और भारी मशीनरी का आवागमन संभव हो सका था। केन्द्र ने इलाके के दौरे के लिए एक अंतरमंत्रालीय दल भी भेजा है जो आठ अगस्त से दौरा करके प्रभावित इलाकों में नुकसान का जायजा ले रहा है। अधिकारियों के अनुसार केन्द्रीय दल यह काम आज पूरा कर लेगा। केन्द्र ने केरल को राज्य आपदा राहत कोष के लिए 31 जुलाई को केन्द्रीय हिस्से के तौर पर 145.60 करोड़ रुपए जारी किए थे।