अगरतला। उत्तरी त्रिपुरा में यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पोक्सो) की एक विशेष अदालत ने मंगलवार को उच्च माध्यमिक स्तर के दो छात्रों को दोषी ठहराया और जून 2019 में एक नाबालिग लड़की पर आपराधिक हमला करने तथा उसकी हत्या करने के लिए मौत की सजा सुनाई।
दोषी सौरव चंद्र नाथ 12वीं कक्षा का छात्र था और उसका दोस्त दिबाकर दास पद्मपुर एचएस स्कूल में 11वीं कक्षा में था जब उन्होंने अपराध को अंजाम दिया था। घटना के दो दिन बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था और पूछताछ में दोनों ने कबूल किया था कि उन्होंने लड़की की हत्या करने से पहले उसके साथ दुष्कर्म किया था।
विशेष न्यायाधीश अंगशुमन देव वर्मा की अदालत ने लंबी सुनवाई के बाद पुलिस द्वारा प्रस्तुत सबूतों और 41 गवाहों की गवाही दर्ज करने के आधार पर उन्हें मौत की सजा सुनाई। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए इस घटना को ‘दुर्लभ से दुर्लभतम’ अपराध करार दिया।
विवरण के अनुसार 17 जून 2019 की शाम को त्रिपुरा के उत्तरी शहर धर्मनगर के पद्मपुर से छह वर्षीय एक नाबालिग लड़की लापता हो गई थी। पीड़ित लड़की और उसकी मां सौरव के घर के बगल में रहती थीं। वह वहां अकेले रह रहे थे क्योंकि उनके शिक्षक पिता कंचनपुर में परिवार के अन्य सदस्यों के साथ रहते थे।
पीड़िता की मां कैलाशहर के मुर्तिचेर्रा चाय बागान की रहने वाली है और घरेलू सहायिका के रूप में काम करती है। वह उसे घर में अकेला छोड़कर काम पर चली गई। शाम को जब वह वापस लौटी तो अपनी बेटी को गायब पाया। आसपास की जगहों पर तलाश करने के बाद वह देर रात सौरव के साथ गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए पुलिस स्टेशन गई।
अगली सुबह हाफलोंग चाय बागान के ग्रामीणों ने लड़की का शव नाले में पड़ा देखा और इसकी सूचना पुलिस को दी। पुलिस ने शव बरामद किया और उसकी मां ने इसकी पहचान की। बाद में पुलिस ने सौरव पर शक करते हुए उसे उठाया और पूछताछ के दौरान उसने अपराध स्वीकार कर लिया और दिवाकर के नाम का भी खुलासा किया। अदालत ने उन्हें भारतीय दंड संहिता की धारा 363, 376, 376डी और 302 के तहत दोषी ठहराया।