नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने रविवार को पूर्व उप प्रधानमंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी के आवास पर जाकर उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया।
राष्ट्रपति सचिवालय ने बाद में सोशल मीडिया प्लेटफार्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने लालकृष्ण आडवाणी को उनके आवास पर भारत रत्न प्रदान किया। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह और आडवाणी के परिवार के सदस्य उपस्थित थे।
भारतीय राजनीति के पुरोधा आडवाणी ने सात दशकों से अधिक समय तक अटूट समर्पण और असाधारण कौशल के साथ देश की सेवा की है। वर्ष 1927 में कराची में जन्मे आडवाणी 1947 में विभाजन की पृष्ठभूमि में भारत चले आए। सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के अपने दृष्टिकोण के साथ, उन्होंने पूरे देश में दशकों तक कड़ी मेहनत की और सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य में परिवर्तन किया। जब आपातकाल ने भारत के लोकतंत्र को खतरे में डाल दिया था तब उनके अंदर के अदम्य योद्धा ने इसे अधिनायकवादी प्रवृत्तियों से बचाने में मदद की।
बाद में मोदी ने एक्स पर पोस्ट में कहा कि लाल कृष्ण आडवाणी जी को भारत रत्न से समानित किए जाने के अवसर पर मौजूदा रहना बहुत विशेष है। यह सम्मान राष्ट्र की प्रगति में उनके निरंतर योगदान को पहचान देना है। जन सेवा के प्रति समर्पण और आधुनिक भारत को आकार देने में उनकी केन्द्रीय भूमिका ने इतिहास में अमिट छाप छोड़ी है। पिछले कई दशकों तक उनके साथ कार्य करने का अवसर मेरे लिए गौरव की बात है।
राष्ट्रपति सचिवालय की ओर से एक अन्य पोस्ट में कहा गया कि एक सांसद के रूप में संवाद पर उनकी आस्था ने संसदीय परंपराओं को समृद्ध किया। गृह मंत्री तथा उप प्रधान मंत्री के रूप में, उन्होंने सदैव राष्ट्र हित को सर्वोपरि रखा, जिससे उन्हें दलगत सीमाओं से परे जाकर लोगों ने सम्मान और प्रशंसा प्रदान की। भारत के सांस्कृतिक पुनरुत्थान के लिए उनके लंबे और अथक संघर्ष की परिणति 2024 में अयोध्या में श्रीराम मंदिर के पुनर्निर्माण के रूप में हुई।
राष्ट्रपति ने इससे एक दिन पहले शनिवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में देश की चार विभूतियों पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव और चौधरी चरण सिंह, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर तथा महान कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर एम एस स्वामीनाथन को मरणोपरांत देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया था। वे स्वतंत्रता के बाद के उन गिने-चुने राजनीतिक नेताओं में हैं जो राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को नया स्वरूप देने और देश को विकास-पथ पर आगे ले जाने में सफल रहे। उनकी उपलब्धियां भारत की सहज प्रतिभा और समावेशी परंपराओं को सर्वोत्तम अभिव्यक्ति प्रदान करती हैं।