झुंझुनूं। कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि इस सरकार के पास कोई विजन नहीं है और इसकी सभी बातें खोखली साबित हो रही हैं।
प्रियंका गांधी राजस्थान के झुंझुनूं जिले के अरड़ावता गांव में पूर्व केन्द्रीय मंत्री शीशराम ओला की मूर्ति अनावरण कार्यक्रम के दौरान आयोजित जनसभा को सम्बोधित कर रही थी। उन्होंने कहा कि जनता नेता से उम्मीद करती है और उसके पास विजन होना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने सब कुछ अपने उद्योगपति मित्रों को दे दिया।
केन्द्र सरकार किसानों के लिए काला कानून लाए उसे वापस लिया। लेकिन तब लिया जब चुनाव आए। किसान सर्दी में धरने पर बैठे रहे तब बात नहीं की। उन्होंने कहा कि जो जाति और धर्म की राजनीति चलाते हैं वे ये समझ गए हैं कि काम करने की जरूरत नहीं है। धर्म-जाति का नाम लो और वोट बटोर लो। इस सिलसिले को हटाना होगा।
प्रियंका गांधी ने मोदी के देवनारायण मंदिर में भेंट का जिक्र करते हुए कहा कि मंदिर प्रधानमंत्री के लिफाफे में 21 रुपए निकले। ऐसी ही इनकी योजनाएं हैं। मैं तो समझ गई हूं कि मोदी का लिफाफा खाली है। इनके वादे-घोषणाएं भी लिफाफे की तरह खोखली हैं। प्रियंका ने महिला आरक्षण, इंदिरा रसोई, गैस सिलेंडर योजना, ओपीएस, फ्री बिजली, पेंशन का जिक्र किया।
उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री के घूमने के लिए 16 हजार करोड़ के दो हवाई जहाज खरीदे। 20 हजार करोड़ रुपए की संसद की नई इमारत बनाई लेकिन किसान के लिए पैसा नहीं हैं। सरकारी कर्मचारियों की पुरानी पेंशन योजना लागू करने के लिए उसके पैसा नहीं है।
उन्होने कहा कि चुनाव आते हैं तो नेता आते हैं और भाषण देकर जाते हैं। कभी-कभी लगता है कि सारे नेता एक ही भाषण देते हैं। हम उनको दोष देते हैं, वो हमको दोष देते हैं। इससे अच्छा है कि एक ही मंच पर डिबेट रख ली जाए। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की बातें खोखली हैं। वे महिला आरक्षण की बात करते हैं। सबसे पहले पंचायतों में महिला आरक्षण कांग्रेस ने दिया। इन्होंने कानून लाए लेकिन आरक्षण कब मिलेगा, इसका कुछ पता नहीं है। कांग्रेस ने ओपीएस का वादा किया है लेकिन भाजपा इस पर राजी नहीं है।
उन्होंने कहा कि सरकार नए रोजगार पैदा नहीं कर रही हैं। पब्लिक सेक्टर कंपनी से रोजगार बनते थे। उन्हें इस सरकार ने अपने बड़े उद्योगपति दोस्तों को बेच दिया। यदि सभी उद्योगपतियों को देते तो दिक्कत नहीं होती इससे रोजगार बढ़ते। खेती-किसानी भी अपने मित्रों को सौंपने वाले थे। मगर किसानों के विरोध के चलते ऐसा नहीं कर पाए।