अब रेत भरे कट्टों पर स्मार्ट सिटी की सुरक्षा का जिम्मा

अत्यधिक बारिश के बाद स्मार्ट सिटी अजमेर की जानमाल की सुरक्षा का सारा भार रेत से भरे कट्टों पर आ गया है। आनासागर स्कैप चैनल से चल रही चादर से बेकाबू हो रहे पानी को थामे रखने के लिए केसरबाग पुलिस चौकी से महावीर सर्किल तक के रास्ते पर आवागमन रोक दिया गया। रेत भरे कट्टे लगाकर पानी के बहाव को कम करने की नाकाम कोशिश में कोई कमी नहीं छोडी जा रही।

सूचना केन्द्र से लेकर हाथी भाटा तक स्कैप चैनल से बाहर कुलाचें मारते पानी को रेत के कट्टों से भले ही रोक दिया गया हो लेकिन यहीं पानी पॉश कालोनी ब्रहमपुरी व टीबी अस्पताल के हालात टापू के मानिंद किए हुए है। इस इलाके के बाशिदें पिछले कई दिन से अपने घरों में कैदी की भांति कैद हैं। आगरागेट और सूचना केन्द्र चौराहे पर बैरिकेड्स लगाकर इस मार्ग को यातायात के लिए बंद कर देने से कोढ में खाज वाली स्थिति हो गई है।

आनासागर ओवरफ्लो होने के बाद फायसागर झील के रौद्र रूप धारण कर लेने से हर आम और खास के माथे पर चिंता की लकीरें उभर आई है। झील की पाल से जिस गति से पानी का रिसाव हो रहा है वह शुभ संकेत नहीं है। यहां भी करीब 3000 रेत भरे कट्टों को पाल के किनारे लगा देने का दावा करने वाले भयभीत प्रशासन ने आखिरकार सेना की मदद लेना मुनासिब समझा। अजमेर शहर से महज छह किलोमीटर दूर फायसागर झील की भराव क्षमता 27 फीट है। वर्तमान में इस झील का पानी छलक कर तेज गति से बांडी नदी के रास्ते आनासागर में पहुंचकर संकट को बढा रहा है।

फिलहाल अजमेर में अत्यधिक बारिश से बाढ़ जैसे हालात बने हुए हैं। निचली बस्तियों में पानी की निकासी ना होने से लोगों का चैन छिना हुआ है। सड़कों पर पानी बहने से प्रमुख रास्ते बंद होने से शहर दो भागों में बंट गया है। खस्ताहाल कचहरी रोड पर यातायात का भारी दबाव होने से बार बार जाम की स्थिति बन जाती है। बहुमंजिला भवनों के बेसमेंट पानी से लबालब हैं। संभाग के सबसे बडे जवाहरलाल नेहरू चिकित्सालय के कई वार्डों में बारिश का पानी जमा होने से मरीजों को शिफ्ट करना पडा। पुष्कर रोड स्थित मित्तल अस्पताल के बाहर सडक ने नदी का रूप ले रखा है। संत फ्रांसिस अस्पताल के सामने की सडक बारिश के दौरान जलमग्न हो जाती है।

पानी में डूबी अनेक रहवासी कॉलोनियां के नागरिक दुखी और परेशान हैं। जलभराव वाले इलाकों में जनप्रतिनिधियों के दौरे आश्वासन के जुमलों और राजनीति चमकाने से इतर कुछ अधिक प्रभावकारी होते नजर नहीं आ रहे। स्मार्ट सिटी के नाम पर खर्च किए गए 2 हजार करोड़ रुपयों का सच शहर में आतंक मचा रहा बरसाती पानी बयां कर रहा है। सेना के जवानों के मोर्चा संभाल लेने से आमजन को आशा बंधी है। इस बीच चीफ वार्डन के सक्रिय ना रहने से सिविल डिफेंस के वालेंटिंयर्स कागजी घोडे की तरह बेलगाम दौड रहे है। आपदा में सतर्क करने के लिए बरसों पहले लगाए गए दर्जनभर सायरनों में से शायद ही किसी में प्राण शेष बचे हों।

संपादक : ​विजय सिंह
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