राजस्थान उपचुनाव में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का चला जादू

जयपुर। राजस्थान में सात विधानसभा क्षेत्रों में हुए उपचुनाव में मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा का जादू चला जिससे भारतीय जनता पार्टी ने सर्वाधिक पांच सीटों पर अपनी जीत हासिल करने में सफलता पाई हैं और भजनलाल प्रदेश में राजनीति के नए जादूगर साबित हुए।

गत तेरह नवंबर को हुए इस उपचुनाव की मतगणना में शनिवार को जो परिणाम सामने आया वह शर्मा और भाजपा के लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित हुआ। वहीं शर्मा के मुख्यमंत्री बनने के करीब दस महीने में इन सात स्थानों पर विधानसभा उपचुनाव की घोषणा होने के बाद पार्टी का टिकट नहीं मिलने पर जिस प्रकार उपचुनाव में भाजपा उम्मीदवारों के खिलाफ बागी उम्मीदवार भी सामने आ गए थे लेकिन मुख्यमंत्री ने अपने कुशल राजनीति का परिचय देते हुए न केवल उन्हें मनाया बल्कि पूरी एकजुटता के साथ उपचुनाव लड़कर वह राजनीति के नए जादूगर के रुप में उभरे हैं।

भाजपा के पक्ष में आए इन परिणामों ने भजनलाल को राजनीति का नया जादूगर साबित कर दिया है। वह राजस्थान के एक संवेदनशील मुख्यमंत्री के रुप में भी सामने आये हैं जहां की जनता ने विपक्ष के सभी मुद्दों को दरकिनार करते हुए संवदेनशील मुख्यमंत्री को चुना हैं।

शर्मा ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भी पार्टी प्रत्याशियों के पक्ष में बढ़चढ़कर हिस्सा लिया जिसका परिणाम भी देखने को मिल रहा है। इस कारण शर्मा राजस्थान ही नहीं महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भी छाये रहे। शर्मा पिछले राजस्थान विधानसभा चुनाव में पहली बार विधायक चुने जाने के बाद पहली बार में ही मुख्यमंत्री बनने के पश्चात कई महत्वपूर्ण ऐतिहासिक निर्णय लेकर जनता से खूब वाहीवाही बटोरी और इसके बाद सामने आए उपचुनाव में भाजपा के कई उम्मीदवारों के खिलाफ उठे बगावती सुर थामने में कामयाब रहे।

साथ ही अन्य कई दलों के नेताओं को पार्टी में शामिल करके बदलते राजनीतिक परिवेश में जिस प्रकार का माहौल बना, उससे वह अपने को अनुभवी एवं राजनीति के खिलाड़ी की तरह साबित करने में भी कामयाब रहे। उपचुनाव में अहम बात यह भी है कि इसके चुनाव प्रचार में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे या उससे बड़े किसी पार्टी नेता ने बढ़चढ़कर हिस्सा नहीं लिया और पूरा जिम्मा मुख्यमंत्री के पास रहा और उन्होंने हर विधानसभा क्षेत्र में दो-दो बार चुनाव सभाएं की।

शर्मा ने ईआरसीपी और यमुना जल समझौता सहित ऐसे कई ऐतिहासिक फैसले लेकर सबको चौकायां वहीं अपनी राज्य सरकार के पहले वर्ष में राजधानी जयपुर में राइजिंग राजस्थान वैश्विक निवेश शिखर सम्मेलन कराए जाने का निर्णय लिया और इसके तहत अब तक करीब 25 लाख करोड़ रुपए के एमओयू भी हो चुके हैं। इस तरह शर्मा सबका ध्यान अपनी ओर खींचने में कामयाब रहे हैं।

इस उपचुनाव के बाद तो सब जगह भजनलाल ही भजनलाल हो रहा है और उपचुनाव के परिणाम आते ही भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने तो भाजपा की जीत का सारा श्रेय भजनलाल को दिया हैं। इसी तरह पार्टी के अन्य नेता भी मुख्यमंत्री को ही श्रेय दे रहे हैं और उनकी कुशल राजनीति की प्रशंसा कर रहे हैं कि उनके नेतृत्व में भाजपा में एकजुट एवं मजबूत हुई हैं। इस जीत से राठौड़ का भी कद बढ़ा हैं। उपचुनाव में यह भी साबित हो गया कि एक साल की नई भाजपा सरकार के खिलाफ कोई लहर पैदा नहीं हुई और लोगों ने इसे स्वीकारा हैं।

राजनीति के जादूगर कहे जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस बार उपचुनाव में सक्रिय रुप से नजर नहीं आए और इस बार न ही उनका जादू देखने को मिला बल्कि उनियारा-देवली से टिकट की मांग करने वाले नरेश मीणा को भी नहीं मना पाए और उसका परिणाम उपचुनाव में देखने को भी मिला।

इस तरह खींवसर में भाजपा कभी चुनाव नहीं जीत पाई थी वहां सांसद हनुमान बेनीवाल के राजनीतिक गढ़ को ढहा दिया और भाजपा की जीत का परचम लहरा दिया। इससे खींवसर में बेनीवाल की राजनीतक प्रतिष्ठा धूमिल हो गई। इसी तरह कांग्रेस दबदबे वाली रामगढ़ विधानसभा सीट भी भाजपा ने जीतकर सबकों चौका दिया और रामगढ़ में भी पूर्व विधायक जुबैर खान के परिवार की राजनीतिक प्रतिष्ठा समाप्त हो गई।

पिछले लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा में बनाए गए नए प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ की भी इसके लिए पीठ थपथपाई जा रही है। इसके साथ भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष राठौड़ की भी खूब वाहीवाही होने लगी है कि उनके प्रदेश अध्यक्ष के कार्यकाल में पार्टी नेता और कार्यकर्ता एकजुट नजर आए। इस उपचुनाव में भाजपा ने झुंझुनूं, खींवसर, रामगढ़, देवली-उनियारा एवं सलूंबर सीट पर जीत हासिल कर जहां सलूंबर में अपना दबदबा कायम रखा वहीं इनमें चार स्थानों पर अपना दबदबा कायम किया हैं।