चुनाव में जाट समाज को उचित प्रतिनिधित्व देने की मांग

जयपुर। राजस्थान जाट महासभा का शनिवार को जयपुर में विशेष अधिवेशन का आयोजन किया गया जिसमें राजनीतिक दलों से आगामी विधानसभा चुनाव में समाज को उचित प्रतिनिधित्व देने की मांग के साथ अन्य पिछड़ा वर्ग आरक्षण जनसंख्या के अनुपात में बढ़ाने, 21 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने तथा ओबीसी आरक्षण की विसंगतियों को दूर कर कानून के अनुसार पूरा लाभ देने सहित विभिन्न मुद्दों पर मंथन किया गया।

अधिवेशन में यह भी निर्णय किया गया कि धौलपुर भरतपुर एवं अन्य राज्यों के जाटों को केन्द्रीय सेवाओं में आरक्षण देने के लिए आगामी 20 नवम्बर को दिल्ली में आयोजित महासम्मेलन में अधिक से अधिक भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी जहां राज्यों को केन्द्रीय सेवाओं जाट समाज को आरक्षण देने की पुरजोर मांग उठाई जाएगी।

इस दौरान समाज के प्रबुद्धजनों का समाज की कुरीतियां निवारण एवं शिक्षा प्रचार-प्रसार के लिए जनसामान्य को जागरूक करने के लिए आह्वान किया गया। अधिवेशन के मुख्य अतिथि एवं अखिल भारतीय जाट महासभा के राष्ट्रीय महासचिव युद्धवीर सिंह तथा राजाराम मील की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। जिसमें पूरे प्रदेश के सभी जिलों से बड़ी संख्या में समाज के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

अधिवेशन को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा कि राजस्थान विधानसभा के चुनाव होने जा रहे है जो उम्मीदवार जाट समाज के हित में काम नहीं करता उसका समर्थन नहीं करें। उन्होंने आगे कहा कि हमें एमएलए बनाने से कुछ नहीं होता हमें नेता तैयार करने हैं जैसे चौधरी चरण सिंह, सर छोटूराम कुंभाराम आर्य, नाथूराम मिर्धा, शीशराम ओला, परसराम मदेरणा आदि विधायक होने के साथ ही प्रभावी नेता थे जिनकी सरकार में हैसियत होती थी। वर्तमान विधायकों में अब ऐसा कोई नेता नहीं है जो मुख्यमंत्री के सामने अपनी बात कह सके। इसी का परिणाम है कि केसरी सिंह जैसे विवादित व्यक्ति को आरपीएससी जैसे संवैधानिक संस्था का सदस्य बना दिया गया।

अध्यक्षीय उद्बोधन में राजस्थान जाट महासभा के अध्यक्ष राजाराम मील ने कहा कि कांग्रेस पार्टी अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री बनने के बाद लगातार जाट जाति के उम्मीदवारों की टिकट घटाती जा रही है जैसे पहले समाज को 40 टिकट दी जाती थी अब 30 सीट से भी कम कर दी गई। उन्होंने यह भी कहा कि हर जिले के पदाधिकारियों को अलग से संदेश दे दिया जाएगा कि किस उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करना है।

मील ने कहा कि हमें अनुसूचित जाति, जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के साथ समन्वय बनाते हुए सामाजिक समरसता के लिए पूरा प्रयास करना चाहिए। अधिकांश वक्ताओं ने कहा कि गहलोत के नेतृत्व में जब-जब चुनाव लड़ा है तब-तब कांग्रेस की करारी हार हुई है। समाज के विकास और उन्नति की दशा-दिशा तय करने में सरकार की भी महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। अभी विधानसभा के चुनाव होने जा रहे हैं इसलिए विचार किया गया कि कौन व्यक्ति विधायक बनकर हमारे समाज का समुचित प्रतिनिधित्व कर सकता है और कौन से राजनीतिक दल की सरकार एावं कौन व्यक्ति मुख्यमंत्री के रूप में सभी के हित में रहेगा।

सर्वसम्मति से यह तय किया गया कि सरकार में जनप्रतिनिधियों का महत्व तो रहता ही है। लेकिन वर्तमान व्यवस्था में मुख्यमंत्री समस्त जनप्रतिनिधियों, विधायकों एवं मंत्रियों के मुक़ाबले अत्यधिक शक्तिशाली एवं प्रभावी है। जाट समाज के लिए जाट मुख्यमंत्री होना प्रमुख और एकमात्र मुद्दा है। यह तथ्य सर्व विदित है कि राजस्थान में हमारा समाज सबसे बड़ा समाज है। इसलिए 120 विधानसभा क्षेत्रों में हमारा समाज हार जीत तय करता हैं।

सामान्यतः जाट परम्परागत रूप से कांग्रेस के साथ रहे हैं लेकिन जब से हमारे ऊपर गहलोत को थोंपा गया तो हमारे समाज ने 2003 और 2013 में कांग्रेस को पराजित किया। लेकिन 2008 एवं 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने किसी दूसरे नेता का चेहरा दिखा कर हमारे समाज के वोट प्राप्त कर सरकार बनाकर पुनः गहलोत को ही थोप दिया। गहलोत अब पुनः ज़ोर देकर बार-बार कह रहे हैं कि अगले मुख्यमंत्री भी वह ही बनेंगे, मुख्यमंत्री की कुर्सी उन्हें नहीं छोड़ रही। हमारे समाज के लिए यह कदापि ठीक नहीं है।

सन् 1998 विधानसभा चुनाव से पूर्व कांग्रेस द्वारा घोषणा की गई थी कि उनकी सरकार बनने पर जाट समाज को आरक्षण दिया जाएगा परन्तु जब कांग्रेस की सरकार बन गई और मुख्यमंत्री गहलोत बने तो जाट समाज को आरक्षण देने से स्पष्ट रूप से इन्कार कर दिया गया। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गत दिनों राजस्थान लोक सेवा आयोग में एक ऐसे व्यक्ति की नियुक्ति की जो प्रदेश के विभिन्न समाजों के मध्य वैमनस्य फैला रहा था। इस नियुक्ति के लिए जाट समाज गहलोत की निन्दा एवं भर्त्सना करता है। यदि सरकार राजपूत समाज के किसी अन्य प्रतिष्ठित एवं योग्य व्यक्ति की नियुक्ति करती तो जाट समाज को कोई आपत्ति नही होती और समाज इसका स्वागत करता।

अधिवेशन में विशेषकर भारतीय सेना से सेवानिवृत कर्नल रैंक के अधिकारियों ने अग्निवीर योजना की निन्दा की और मांग की गई कि यह योजना जल्दी से जल्दी समाप्त की जानी चाहिए क्योंकि इसने सुरक्षा बलों को कमजोर कर दिया जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा भी कमजोर हुई है। सैनिक युवाओं में निराशा एवं देश प्रेम का जज्बा कम हुआ है। जाट समाज केन्द्र सरकार के इस निर्णय की निन्दा करता है तथा मांग करता है कि केन्द्र सरकार इस पर पुर्नविचार कर सुरक्षा बलों में पुरानी व्यवस्था को लागू करे।