अजमेर। विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा कि मातृ शक्ति का सम्मान सबसे बड़ी पूजा है। कोई भी संस्कृति तभी ही आगे बढ़ सकती है। जब वह महिलाओं का सम्मान कर सके, उन्हें आगे बढ़ने के समान अवसर प्रदान कर सकें। भारत की सनातन संस्कृति ने सदैव महिलाओं का आदर किया है। भारत की संस्कृति में महिलाओं को सदैव अग्रणी एवं पूज्य माना गया है ।
देवनानी ने सोमवार को लोहागल गांव में आयोजित महिलाओं के सम्मान समारोह में भाग लिया। उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित महिलाओं का चुनरी ओढ़ा कर स्वागत एवं अभिनन्दन किया। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए देवनानी ने कहा कि विश्व में उन्हीं संस्कृतियों ने विकास किया है। जिन्होंने महिलाओं का सम्मान एवं उन्हें अवसरों की समानता दी। किसी भी संस्कृति के विकास में महिलाओं का सर्वाधिक योगदान होता है। हमें हमारे पुरखों से सीख लेकर महिलाओं को यथाशक्ति सम्मान देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि भारतीय सनातन संस्कृति सदैव से महिलाओं पर आधारित एवं केंन्द्रीत रही है। भारतीय ग्रन्थों में महिलाओं के सम्मान में बहुत सारी रचनाएं की गई हैं। भारत की संस्कृति में महिलाएं हमेशा से ही केन्द्र बिन्दु एवं सम्मानित व अभिनंदनीय रही हैं। भारतीय युवाओं को प्राचीन संस्कृति से सीख लेकर इस विरासत को और आगे ले जाना होगा। वर्तमान में देश की राष्ट्रपति से लेकर प्रमुख पदों पर महिलाएं है। युवाओं को अपनी माताओं, बहनों की क्षमता व शक्ति पर गर्व करना चाहिए।
देवनानी ने कहा केन्द्र व राज्य सरकार ने महिला सशक्तीकरण के लिए अनेक योजनाएं लागू की है। हमें इनका लाभ लेना चाहिए। इस अवसर पर पंचायत समिति सदस्य अरूणा टांक सहित बड़ी संख्या में मातृ शक्ति उपस्थित रहीं।
गुरू गोविन्द सिंह जी के जीवन से सीख लें युवा
विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा कि युवा पीढ़ी को गुरू गोविन्द सिंह जी के जीवन से सीख लेनी चाहिए। उन्होंने जिस तरह से सादगी, बलिदान एवं देश प्रेम का संदेश दिया। वह र्वतमान में युग में प्रासंगिक है और र्वतमान समय की सभी समस्याओं का हल है।
देवनानी ने सोमवार को श्री गुरू गोविन्द सिंह जयन्ती पर सिख समाज की ओर से आयोजित र्कायक्रम में भाग लिया। उन्होंने पवित्र गुरुवाणी सुनी, मत्था टेका और लंगर में प्रसाद ग्रहण किया। इस अवसर पर देवनानी ने कहा कि श्री गुरू गोविन्द सिंह सिक्खों के 10वें गुरू थे। उन्होंने अपने जीवन से त्याग, तपस्या और बलिदान की जो मिसाल पेश की वह इतिहास में सदैव याद की जाएगी। युवाओं को उनसे देश प्रेम के लिए सर्ववस्व त्याग की सीख लेनी चाहिए। इस अवसर पर नरेन्द्र सिंह छाबाड़ा, तेजपाल सिंह साहनी, सरबजीत छाबड़ा, यशपाल बेदी सहित सिक्ख समाज के अनुयायी उपस्थित रहे।