अजमेर। हिंदी न केवल भारत की राजभाषा है, बल्कि यह देश की आत्मा का प्रतीक भी है। यह विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं के बीच संवाद और समन्वय स्थापित करने में एक सेतु की भूमिका निभाती है। फिजी में हिंदी को राजभाषा का दर्जा मिला हुआ है। यह इस बात का प्रमाण है कि वैश्विक स्तर पर हिंदी का गौरव बढ़ रहा है। हमारे महापुरुषों ने भी हिंदी को आगे बढ़ाया है, भक्ति आंदोलन में सर्वाधिक रूप से हिंदी का वर्चस्व बढ़ा है। ऑक्सफोर्ड, लंदन और टोक्यो मे हिंदी के डिपार्टमेन्ट है जहां हिन्दी को पढ़ाया जाता है।
उक्त विचार विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के संयुक्त सचिव डॉ जीएस चौहान ने 21वीं सदी में राजभाषा हिंदी का महत्व एवं प्रासंगिकता विषय पर राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय मे व्याख्यान देते हुए व्यक्त किए।
हिंदी भाषा के विषय में डॉ. चौहान ने बताया कि अनुच्छेद 343 में हिंदी को देवनागरी लिपि में स्वीकार किया गया हैं। वहीँ अनुच्छेद 351 में हिंदी के प्रचार प्रसार के दिशा निर्देश तय किए गए। 21वीं सदी में हिंदी भाषा की विश्व में प्रासंगिकता बढ़ रही है जिसमें मिडिया और सिनेमा का अतुल्य योगदान रहा है।
वैश्विक स्तर पर अब तक 14 विश्व हिंदी सम्मेलन हो चुके हैं और इन सम्मेलनों के माध्यम से हिंदी भाषा ने विभिन्न प्रकार के भौगोलिक क्षेत्रों में यात्रा करते हुए अपने स्तर में वृद्धि की है।
डॉ. चौहान ने विश्व के नव निर्माण में नारी शक्ति का योगदान: भारत के संदर्भ में विषय पर भी व्याख्यान दिया जिसमें उन्होंने वैश्विक स्तर पर भारतीय महिलाओं के बढ़ते योगदान की सराहना करी। डॉ चौहान ने कहा कि युगों–युगों से संपूर्ण सृष्टि में नारी की पूजा हो रही है। नारी ने हमेशा मानव सभ्यता में विकास एवं ऊर्जा का संचार किया है। हमारे धर्मग्रंथों व संस्कृत साहित्य में भी मां की महिमा का वर्णन किया गया है। चौहान ने उन अनेक महिलाओं का उल्लेख किया, जिन्होंने अपनी अद्वितीय पहचान और अमिट छाप छोड़ी।
आयोजन मे प्रो. डीसी शर्मा ने बताया कि विश्वविद्यालय मे राजभाषा के क्षेत्र में लगातार रूप से प्रगति हो रही है। राजस्थान केंद्रीय विश्विद्यालय में परीक्षा हिंदी में देने का प्रावधान किया गया है। विश्विद्यालय हिंदी के प्रसार के लिए निरंतर प्रयासरत है।
कार्यक्रम के दौरान हिंदी पखवाड़ा–2024 के अवसर पर आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के पुरस्कार विजेताओं को भी विशिष्ट अतिथि द्वारा प्रमाण-पत्र प्रदान किए गए।कार्यक्रम के अंत मे हिंदी अधिकारी डॉ ओम कुमार कर्ण ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया। संचालन हिंदी विभाग के डॉ अक्षांश भारद्वाज ने किया।