जोधपुर। राजस्थान मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने समाज में न्याय की रक्षा और प्रसार के लिए विधि विद्यार्थियों को काम करने की जरुरत बताते हुए कहा है कि इसके लिए उन्हें कानून की शिक्षा के साथ गहरी समझ, संवेदनशीलता और सामाजिक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है और वे समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझकर अपने ज्ञान का उपयोग बेहतर, समृद्ध और सशक्त देश-प्रदेश बनाने में करना चाहिए।
शर्मा रविवार को जोधपुर में राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के 17वें दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आमजन को त्वरित न्याय दिलाने के लिए राज्य सरकार कृतसंकल्पित होकर कार्य कर रही है और बजट वर्ष 2025-26 में विधि विभाग और न्यायालयों से संबंधित महत्वपूर्ण घोषणाएं की हैं।
इनमें आठ नए जिला एवं सेशन न्यायालय, आठ वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश एवं अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय, चार अतिरिक्त जिला एवं सेशन न्यायालय, विशेष न्यायालय (पोक्सो एक्ट), तीन विशेष न्यायालय (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम), न्यायिक कार्यालय भवनों एवं आवास के लिए 350 करोड़ रुपए, नवीन न्याय संहिताओं की आवश्यकताओं हेतु कम्प्यूटर, कैमरों सहित विभिन्न सुविधाएं विकसित करने के लिए 100 करोड़ रुपए का प्रावधान शामिल है।
उन्होंने कहा कि सरदार वल्लभ भाई पटेल के 150वें जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में अपराधों की रोकथाम के लिए ‘सरदार पटेल सेंटर ऑफ साइबर कंट्रोल एंड वॉर रूम’ की स्थापना के लिए भी 350 करोड़ रुपए की घोषणा की गई है।
उन्होंने कहा कि अच्छा वकील कानून का ज्ञाता होने के साथ ही समाज के कमजोर वर्ग की आवाज भी बनता है। वकील का पेशा गरीब और वंचित वर्ग की सेवा के लिए बड़ा अवसर होता है। उन्होंने कहा कि इस पेशे ने अनेक महान राष्ट्र निर्माता दिए हैं। संविधान के मुख्य शिल्पी बाबा साहेब अंबेडकर भी वकील थे। इस संविधान के लिए राष्ट्र उनका ऋणी है।
उन्होंने कहा कि विद्यार्थी इस डिग्री को अपनी उपलब्धि के साथ एक महती जिम्मेदारी भी मानें। समाज में न्याय की रक्षा और प्रसार के लिए विद्यार्थियों को काम करना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी न्याय व्यवस्था हजारों वर्ष पहले भी दुनिया में एक विशिष्ट पहचान रखती थी। इसका मूल यह था कि किसी भी पीड़ित के साथ अन्याय नहीं हो और सभी को न्याय मिले। उन्होंने कहा कि न्याय का शासन सुनिश्चित करने के लिए हमारे यहां दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। समय-समय पर जरूरत के अनुसार इसमें संशोधन हो रहे हैं तथा नए कानून भी बन रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार के प्रयासों से तीन नए आपराधिक कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू किए गए हैं। इनके माध्यम से आपराधिक न्याय प्रणाली को और अधिक पारदर्शी, त्वरित और प्रभावी बनाकर पीड़ितों को शीघ्र न्याय दिलाने की व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने भी प्रदेश में नए कानूनों को लागू करने के लिए जरूरी कदम उठाए हैं और इनका समुचित कार्यान्वयन सुनिश्चित किया है।
शर्मा ने उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को बधाई देते हुए कहा कि यह दिन एक यादगार क्षण है। इस विश्वविद्यालय से विद्यार्थियों ने जो ज्ञान और कौशल हासिल किया है, वह उनको आगे बढ़ने में मदद करेगा तथा विधि क्षेत्र में भी सकारात्मक बदलावों का वाहक बनेगा। उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय देश में एक खास स्थान रखता है। कानून के क्षेत्र में यहां के विद्यार्थियों ने देश और विदेश में पहचान बनाई है।
शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए प्रतिबद्धता से काम कर रही है। प्रदेश में पारदर्शिता से भर्तियां हो रही हैं तथा पांच वर्ष में 10 लाख रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के संकल्प पर आगे बढ़ रहे हैं। आगामी वर्ष में 1.25 लाख सरकारी और 1.50 लाख निजी क्षेत्र में रोजगार के अवसर उपलब्ध कराएंगे। उन्होंने कहा कि युवाओं को प्रशिक्षण, इंटर्नशिप और रोजगार की योजनाओं के माध्यम से समुचित अवसर प्रदान करने के लिए ‘राजस्थान रोजगार नीति-2025’ भी लाई जा रही है।
इस अवसर पर सर्वाेच्च न्यायालय के न्यायाधीश संदीप मेहता, राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति एवं राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश मनिन्द्र मोहन श्रीवास्तव, विधि एवं न्याय मंत्री जोगाराम पटेल, राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश डॉ. पुष्पेन्द्र सिंह भाटी, दिनेश मेहता, जनप्रतिनिधिगण, राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. हरप्रीत कौर सहित शिक्षक एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।