जयपुर। पच्चीस लोकसभा सीट वाले राजस्थान में 18 लोकसभा चुनावों में अब तक 34 महिला सांसद बनी हैं जबकि दस संसदीय क्षेत्रों में महिलाएं अभी तक खाता भी नहीं खोल पाई हैं।
हालांकि राज्य से निर्वाचित महिला सांसदों की संख्या 34 हैं, लेकिन वास्तव में यहां से केवल 22 महिलाएं ही संसद तक पहुंची है, क्योंकि इनमें से कई एक से ज्यादा बार चुनाव जीती हैं। प्रदेश में भीलवाड़ा, बीकानेर, गंगानगर, चूरु, कोटा, पाली, जयपुर, ग्रामीण बाड़मेर, बांसवाड़ा एवं सीकर लोकसभा सीटों पर अभी तक कोई महिला सांसद नहीं बन पाई हैं।
इस बार 18वीं लोकसभा के लिए राजस्थान से 19 महिलाओं ने चुनाव लड़ा जिनमें तीन महिलाएं संसद पहुंची जिनमें भारतीय जनता पार्टी की जयपुर लोकसभा क्षेत्र से मंजू शर्मा एवं राजसमंद से महिमा कुमारी मेवाड़ तथा कांग्रेस की भरतपुर लोकसभा सीट से सजना जाटव शामिल हैं।
राजस्थान में इन चुनावों में अब तक 437 सांसद संसद पहुंचे उनमें 34 महिला सांसद शामिल हैं। इन चुनावों में अब तक 4422 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा उनमें 222 महिलाएं शामिल थी जिनकी केवल 5.02 प्रतिशत उम्मीदवारी रही। आजादी के बाद करीब 72 सालों में राजस्थान से महिलाओं की संसद में केवल 7.79 प्रतिशत भागीदारी रही।
इस दौरान प्रदेश से महिलाओं की संसद में भागीदारी भले ही कम रही हो लेकिन इनमें पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सहित ऐसी कई महिलाएं है जो एक से अधिक बार चुनाव जीतकर संसद पहुंची। इनमें राजे सर्वाधिक पांच बार संसद पहुंचकर अपने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया।
अब तक हुए अठारह लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने पिछले 72 सालों में करीब 42 महिलाओं को टिकट दिया जबकि भाजपा ने पिछले लगभग 45 वर्षों में करीब 32 महिलाओं को चुनाव मैदान में उतारा। इसी तरह इस दौरान अन्य दलों ने भी महिलाओं को चुनाव मैदान में उतारा।
अठारह लोकसभा चुनावों में अब तक भाजपा की सर्वाधिक 17 महिला प्रत्याशी संसद पहुंची जबकि कांग्रेस की 13 एवं स्वतंत्र पार्टी की तीन एवं एक निर्दलीय महिला उम्मीदवार संसद पहुंचने में कामयाब रही हैं। इस दौरान राजे ने झालावाड़ लोकसभा क्षेत्र से सर्वाधिक पांच बार वर्ष 1989, 1991, 1996, 1998 एवं 1999 में भाजपा प्रत्याशी के रुप में चुनाव जीता जबकि कांग्रेस प्रत्याशी डा गिरिजा व्यास चार बार लोकसभा चुनाव जीता। डा व्यास ने वर्ष 1991, 1996 एवं 1999 में उदयपुर एवं वर्ष 2009 में चित्तौड़गढ़ लोकसभा क्षेत्र का संसद में प्रतिनिधित्व किया। डा व्यास ने सात बार लोकसभा का चुनाव लड़ा जिनमें तीन बार उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा।
इस दौरान पूर्व जयपुर राजघराने की राजमाता गायत्री देवी स्वतंत्र पार्टी के प्रत्याशी के रुप में वर्ष 1962, 1967 एवं 1971 के लोकसभा चुनाव में जयपुर लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने राजस्थान से पहली महिला सांसद निर्वाचित होने का गौरव भी हासिल किया। इसी तरह इस दौरान प्रदेश से लोकसभा चुनाव जीतने वाली महिलाओं में निर्मला कुमारी, उषा एवं जसकौर मीणा दो बार चुनाव जीतकर संसद पहुंची।
पूर्व जोधपुर राजघराने की राजमाता कृष्णा कुमारी लोकसभा चुनावों में प्रदेश में एक मात्र निर्दलीय महिला प्रत्याशी के रुप में जोधपुर से चुनाव जीतकर संसद पहुंची। उन्होंने वर्ष 1971 का लोकसभा चुनाव जीता। इन चुनावों में पूर्व मुख्यमंत्री मोहन लाल सुखाड़ियां की पत्नी इंदुबाला सुखाड़िया ने भी उदयपुर से वर्ष 1984 में लोकसभा चुनाव जीता।
इसी तरह पूर्व जोधपुर राजघराने की बेटी चन्द्रेश कुमारी कटोच ने जोधपुर में कांग्रेस प्रत्याशी के रुप में वर्ष 2009, पूर्व जयपुर राजघराने की राजकुमारी दिया कुमारी ने वर्ष 2019 में राजसमंद से भाजपा प्रत्याशी तथा पूर्व भरतपुर राजघराने की महारानी दिव्या सिंह ने भरतपुर से वर्ष 1996 में भाजपा प्रत्याशी के रुप में लोकसभा चुनाव जीता।
इसी प्रकार भरतपुर से ही भाजपा प्रत्याशी के रुप में कृष्णेन्द्र कौर (दीपा) ने वर्ष 1991, अजमेर से प्रभा ठाकुर ने वर्ष 1998 में कांग्रेस, वर्ष 2004 में उदयपुर से भाजपा की किरण माहेश्वरी एवं इसी चुनाव में जालोर से भाजपा की सुशीला, वर्ष 2014 में झुंझुनूं से भाजपा की संतोष अहलावत एवं वर्ष 2019 में भरतपुर से भाजपा की रंजीता कोली चुनाव जीतकर संसद पहुंची जबकि वर्ष 2009 में नागौर से ज्योति मिर्धा कांग्रेस उममीदवार के रुप में लोकसभा चुनाव जीता।
वर्ष 1952 पहली लोकसभा में जनसंघ की उम्मीदवार रानी देवी भार्गव एवं निर्दलीय उम्मीदवर शारदा बाई ने चुनाव लड़ा लेकिन चुनाव हार गई। वर्ष 1957 दूसरे एवं वर्ष 1977 के छठे लोकसभा चुनाव में प्रदेश में एक भी महिला उम्मीदवार ने चुनाव नहीं लड़ा जबकि तीसरे आम चुनाव में छह महिलाएं मैदान में उतरीं और उनमें केवल गायत्री देवी ने चुनाव जीता। इसी तरह वर्ष 1971 के लोकसभा चुनाव में चार महिलाओं ने चुनाव लड़ा, जिनमें दो महिला सांसद पहुंची। वर्ष 1980 के चुनाव में पांच महिलाओं में एक चुनाव जीत पाई। वर्ष 1984 में छह में से दो, वर्ष 1989 में फिर छह महिला चुनाव मैदान में उतरी लेकिन एक ही जीत पाई।
वर्ष 1991 के चुनाव में 14 महिला चुनाव मैदान में उतरी और चार ने चुनाव जीतकर अपना कुछ दबदबा दिखाया। इसके बाद वर्ष 1996 के चुनाव में 25 महिला उम्मीदवारों में से चार संसद पहुंची। वर्ष 1998 में बीस में से तीन, 1999 में 15 में से तीन, 2004 में 17 में से दो, 2009 में 31 में से तीन, 2014 में 27 में से केवल एक तथा वर्ष 2019 में 23 महिला प्रत्याशियों में से तीन महिला उम्मीदवार चुनाव जीतकर संसद पहुंची। इन चुनावों में वर्ष 2009 के चुनाव में सर्वाधिक 31 महिलाओं ने चुनाव लड़ा।