राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय के जयपुर संभाग का कार्यकर्ता विकास वर्ग संपन्न

जयपुर। राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय का दो दिवसीय जयपुर संभाग कार्यकर्ता विकास वर्ग 29 और 30 दिसम्बर को सरस्वती उच्च माध्यमिक विद्या मंदिर जवाहर नगर जयपुर में प्रांत सह संगठन मंत्री जयराम जाट, संभाग उपाध्यक्ष बसन्त जिन्दल, संभाग संयुक्त मंत्री नोरंग सहाय भारतीय के सान्निध्य में संपन्न हुआ।

कार्यकर्ता विकास वर्ग के संयोजक एवं संभाग उपाध्यक्ष बसन्त जिन्दल ने बताया कि इस वर्ग में कुल 9 सत्र आयोजित किए गए, जिसमें विभिन्न वक्ताओं ने कार्यकर्ता के गुणों, दायित्वों, राष्ट्र निर्माण एवं संवर्धन में उनकी भूमिका पर चर्चा की।

प्रथम सत्र में मुख्य वक्ता अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ राजस्थान (उच्च शिक्षा) के प्रदेश अध्यक्ष प्रोफेसर दीपक शर्मा ने अभ्यास वर्ग के उद्देश्य, महत्व एवं आवश्यकता पर अपने विचार रखें। उन्होंने कहा की अभ्यास वर्ग का प्रमुख उद्देश्य बैठकों, चर्चाओं, बौद्धिक द्वारा कार्यकर्ता की उपयुक्त मन: स्थिति के निर्माण, संगठन की पद्धति के ज्ञान के साथ-साथ भारत को परम वैभव तक पहुंचाने के ध्येय का पुष्टीकरण है। कार्यकर्ता, संगठन का मूल है उसके बिना कार्य या ध्येय की प्राप्ति नहीं हो सकती।

एक श्रेष्ठ कार्यकर्ता को कुशल संगठन कर्ता, समर्पण, त्याग, स्वयं को पीछे रखकर अन्य को आगे बढ़ाने का भाव, अनुशासन, कर्तव्य निष्ठता, विश्वसनीयता निरंतर संवाद, संगठन की पूर्ण जानकारी, सामूहिक हितों का ध्यान, आत्मविश्वास, प्रतिबद्धता, नवाचारों के प्रयोग, धैर्य, आत्म निरीक्षण एवं अवलोकन आदि गुणों से परिपूर्ण होना चाहिए। संगठन का व्यावहारिक पक्ष कार्यक्रम है जिसके द्वारा संगठन के उद्देश्य को समाज में परिलक्षित करने के लिए संगठन द्वारा किए जा रहे कार्यक्रमों का प्रभावी रुप से प्रस्तुतीकरण होना चाहिए। इस सत्र की अध्यक्षता प्रांत सह संगठन मंत्री जयराम जाट ने की।

द्वितीय सत्र के मुख्य वक्ता के रूप में अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. नारायण लाल गुप्ता ने वैचारिक विमर्श विषय पर अपने विचार रखें। उन्होंने कहा कि वर्तमान में भारत के विचार, भारत माता की जय, भारत के जीवन मूल्यों की स्थापना के लिए भी हमें संघर्ष करना पड़ रहा है। हमारा वर्तमान व्यवहार हमारे भूतकाल के कारण है और भविष्य में भारत का परम वैभव या विश्व शक्ति के रूप में स्थापित होना, हमारे वर्तमान पर निर्भर करता है, इस प्रकार हमारे भूत, वर्तमान और भविष्य तीनों में एक सांतत्य है।

उन्होंने राष्ट्रकवि मैथिली शरण गुप्त की एक कविता के माध्यम से अपने विचारों को आगे बढ़ाया…हम कौन हैं, क्या हो गए हैं, क्या होंगे। भारत का इतिहास लाखों वर्ष पुराना है लेकिन 8000 वर्षों का इतिहास हमें संकलन के रूप में उपलब्ध है, इसमें से अनादि काल से लेकर 1000 से 1200 वर्ष पूर्व तक हमारा भारत शिक्षा के क्षेत्र में विश्व गुरु और आर्थिक महाशक्ति के रूप में सोने की चिड़िया था लेकिन पिछले केवल 1000 से 1200 वर्षों के कालखंड में विदेशी आक्रांताओं ने हमारे समाज और संस्कृति के प्रत्येक अंग को छिन्न-भिन्न कर कुचल कर रख दिया।

उसमें से भी लगभग 300 वर्ष पहले हमारे दिमाग और मस्तिष्क पर आक्रमण किया गया, इसने हमारे आत्मा, मन, मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव छोड़ा। इस कालखंड में इतिहासकारों द्वारा भारत की विविधताओं को विभिन्नताओं के रूप में विकसित किया गया और व्यक्तिगत अस्मिताओं को जगाने का प्रयास किया।

भारतीय होने से पहले लोगों के मन में क्षेत्र भाषा, जाति, लिंग, आयु, पूजा पद्धति भौगोलिकता, धर्म आधारित विभिन्नताएं और अस्मिताएं जागने का प्रयास किया गया। शिक्षक संघ राष्ट्रीय के कार्यकर्ताओं का दायित्व भारत की मूल अवधारणा, विचार, स्व आधारित समाज, हिंदुत्व और भारतीयता की अभिव्यक्ति को समाज और अपने-अपने कार्यक्षेत्र में जाकर पुनः स्थापित करने का प्रयास करना है। इस सत्र की अध्यक्षता संरक्षक राज नारायण शर्मा ने की।

तृतीय सत्र तीन समूह में विभक्त किया गया जिसमें महिला वर्ग, पुरुषों में एक वर्ग 50 वर्ष से कम आयु का युवा वर्ग तथा उससे अधिक आयु का प्रौढ़ वर्ग बनाया गया। इस खुले सत्र में महिला वर्ग की मुख्य वक्ता सीमा चौधरी ने नारी शक्ति विमर्श पर वार्ता की। युवा वर्ग में मुख्य वक्ता शिक्षक संघ राष्ट्रीय के उपाध्यक्ष बसन्त जिन्दल ने युवा वर्ग की दिशा एवं दशा पर विचार रखें तथा प्रौढ़ वर्ग में मुख्य वक्ता शिक्षक संघ राष्ट्रीय के प्रांत सह संगठन मंत्री जयराम जाट और संभाग संगठन मंत्री कालूराम मीणा ने संगठन के विचार अधिष्ठान विषय पर वार्ता की।

चतुर्थ सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में संगठन के संभाग संयुक्त मंत्री नोरंग सहाय भारतीय ने संगठन के वैचारिक अधिष्ठान कार्यकर्ता, कार्यक्रम और कोष पर अपने विचार रखें। उन्होंने बताया कि संगठन 1954 में श्रद्धेय जयदेव पाठक और कुछ समर्पित एवं तपस्वी लोगों द्वारा प्रारंभ होकर आज इस विशाल वटवृक्ष के रूप में फलाफूला है। संगठन एक विचार और कार्य पद्धति के अनुसार चलता है यह संगठन केवल शिक्षकों के अधिकारों की लड़ाई के लिए ही नहीं वर्णन कर्तव्य पालन और सामाजिक सरोकार की विभिन्न कार्यों के लिए भी जाना जाता है। उन्होंने बताया की श्रेष्ठ कार्यकर्ता में त्याग, समर्पण, अनुशासन, धैर्य, रचनात्मकता आदि सभी गुणों का समावेश होना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने संगठन में प्रत्येक स्तर पर कोष की पारदर्शिता को भी महत्वपूर्ण बताया। इस सत्र की अध्यक्षता प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य चंद्र प्रकाश शर्मा ने की।

पंचम सत्र के मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्रीय कार्यवाह जसवंत खत्री ने संघ के शताब्दी वर्ष में किए जा रहे पांच परिवर्तनों कुटुंब प्रबोधन, सामाजिक समरसता, पर्यावरण, स्व की अवधारणा एवं नागरिक शिष्टाचार पर अपने विचार रखें। इस सत्र की अध्यक्षता संभाग संयुक्त मंत्री नोरंग सहाय भारतीय ने की।

षष्टम् सत्र में जयपुर संभाग के सभी सात जिलों की पृथक पृथक बैठके रखी गई, जिसमें संगठन के वर्तमान और भविष्य की योजनाओं प्रधानाचार्य संवाद कार्यक्रम, कर्तव्य बोध दिवस, प्रांत स्तरीय सम्मेलन को प्रभावी बनाने पर विचार विमर्श किया गया। संगठन के पिछले कार्यक्रमों एवं सामाजिक समरसता और सरोकार के कार्यों की समीक्षा की गई।

सप्तम सत्र के मुख्य वक्ता अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के प्रकाशन प्रकोष्ठ के संयोजक एवं शैक्षिक मंथन पत्रिका के संपादक प्रो.शिवचरण कौशिक ने कार्यकर्ता एवं प्रवास विषय पर अपने विचार रखें। उन्होंने कहा कि हमारा मूल संगठन न केवल संपूर्ण विश्व का सबसे बड़ा सामाजिक संगठन है बल्कि भारत के बढ़ते भू राजनीतिक प्रभाव के पीछे भी संगठन के कार्यकर्ताओं का परिश्रम और समर्पण ही है।

उन्होंने कविता के माध्यम से कार्यकर्ताओं में जोश भरने का काम किया….ओ जीवन के युवा पखेरू, बढ़े चलो हिम्मत मत हारो। पंखों में भविष्य छिपा है, मत अतीत की और निहारो। चिंता कर धरती यदि छोटी, उड़ने को आकाश बहुत है। इस सत्र की अध्यक्षता महिला संभाग संगठन मंत्री निधि छीपा ने की।

अष्टम सत्र में संगठन के संभाग उपाध्यक्ष तथा अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के सह मीडिया संयोजक बसन्त जिन्दल ने संगठन का परिचय एवं कार्य पद्धति के बारे में विस्तार से बताया। कार्यक्रम की तैयारी में लगे हुए सभी प्रबंधको और कार्यकर्ताओं का परिचय कराया गया। इस सत्र की अध्यक्षता संगठन की महिला संभाग संयुक्त मंत्री शकुंतला मौर्य ने की।

समापन सत्र में मुख्य वक्ता संगठन के संरक्षक प्रहलाद शर्मा ने श्रद्धेय जयदेव पाठक के जन्म शताब्दी वर्ष पर पाथेय प्रदान किया। उन्होंने बताया कि संगठन अनौपचारिक रूप से तो रियासत काल से ही कार्य कर रहा था, लेकिन संगठन का पंजीकरण 1954 में हुआ। श्रद्धेय जयदेव पाठक इसके संस्थापक संरक्षक थे। बाल्यकाल में अपना अध्ययन पूरा करने के बाद मन में देशभक्ति के अंकुर फूटने के कारण 1942 में जयदेव पाठक महात्मा गांधी के भारत छोड़ो आंदोलन में कूद पड़े, लंबे समय तक उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया।

उन्होंने संघ के प्रचारक के रूप में लंबे समय तक कार्य किया। उन्होंने मुकुंद राव कुलकर्णी के साथ मिलकर भारतीय शिक्षण मंडल की स्थापना की। प्रहलाद शर्मा ने बताया कि श्रद्धेय जयदेव पाठक की जीवनी पर शीघ्र ही संगठन एक पुस्तक प्रकाशित करने जा रहा है। संगठन हित में जयदेव पाठक द्वारा कही गई अनेक बातें सामूहिक निर्णय, व्यापक दृष्टिकोण, राष्ट्र सर्वोपरि का विचार, सामाजिक समरसता, सतत चिंतन मनन, कार्यकर्ता की चिंता, आर्थिक अनुशासन, विचार के प्रति दृढ़ता, सशक्त, राष्ट्र चिंतन से युक्त, राष्ट्रभक्त युवा पीढ़ी का निर्माण वर्तमान समय में भी अत्यधिक प्रासंगिक है। इस सत्र की अध्यक्षता संगठन के प्रांत सह संगठन मंत्री जयराम जाट ने की। अंत में कल्याण मंत्र के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।