अजमेर। इस संसार में माता-पिता और बड़े बुजुर्ग बड़े सम्माननीय हैं। इनका सम्मान करने से आशीर्वाद मिलता है और इनके आशीर्वाद से आयु, विद्या, यश और कीर्ति आदि मिलती है। इस धरती पर माता-पिता की सेवा करने वाला प्राणी सुखी रहता है और मृत्यु के बाद भी स्वर्ग में सुखी रहता है।
यह विचार गुरुवार को रामस्नेही संप्रदाय मेड़ता देवल के पीठाधीश्वर रामकिशोर महाराज ने 54वें चातुर्मास के अवसर पर नला बाजार स्थित रामद्वारा में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि सद्गुरु, संत, बड़े बुजुर्ग और भगवान आदि को प्रणाम करने से दोनों लोको का सुख मिलता है। समाज में सम्मान मिलता है। यश मिलता है। देवता भी उसका वंदन करते हैं। उसका सत्कार होता है। माता-पिता और गुरु के चरणों में झुककर जो भी व्यक्ति रहता है उसे आशीर्वाद स्वरूप सांसारिक, भौतिक, मानसिक, आध्यात्मिक आदि का ज्ञान प्राप्त होता है।
महाराज ने कहा कि कलयुग में लोगों ने अपने माता-पिता का सम्मान करना बंद कर दिया है। छोटे-छोटे बच्चे अपने माता-पिता को धमकाते नजर आते हैं। कई बड़े, पढ़े लिखे, ऊंचे पद पर आसीन लोगों के माता-पिता भी आज वृद्ध आश्रम में रहते नजर आते हैं।
जो व्यक्ति सद्गुरु संत की शरण में आता है तो उसे सद्गुरु समाज में रहने की व्यवस्था के बारे में बताते हैं कि इस समाज में बड़े बुजुर्ग और ज्ञानी पुरुष सम्माननीय है। उनके पास रहने से आपको बहुत सी जानकारियां प्राप्त होगी। ग्रहस्थ जीवन का पालन करते हुए अपने माता-पिता की सेवा का दायित्व पूर्ण करना आवश्यक है। क्योंकि आप माता पिता का सम्मान नहीं करोगे तो आपके पुत्र पुत्री भी आपका सम्मान नहीं करेंगे। इस दौरान महाराज ने एक मार्मिक भजन माता-पिता गुरु चरणों में झुक कर बारंबार…के जरिए श्रद्धालुओं को भाव विभोर कर दिया।
ध्यानीराम महाराज और संत उत्तमराम महाराज ने भी भजनों की प्रस्तुति दी। कथा के मुख्य यजमान शांति गहलोत ने श्रीमद् भागवत ग्रंथ की पूजा अर्चना कर महाराज का सम्मान किया। आरती के पश्चात श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित किया गया।