भगवान कृष्ण के प्रति निष्काम प्रेम ही महारास है : रामकिशोर महाराज

अजमेर। नला बाजार स्थित रामद्वारा में आयोजित चातुर्मास सत्संग के दौरान रामस्नेही संप्रदाय मेड़ता देवल के महंत 108 श्री रामकिशोर महाराज ने बताया कि जिस प्रकार भगवान कृष्ण और गोपियों का अद्भुत प्रेम था जिसमें किसी भी तरह की कोई कामवासना नहीं थी वह तो भक्त और भगवान का अनन्य प्रेम था। भगवान की बांसुरी सुनकर गोपियां अपने सब कार्यों को छोड़कर भगवान कृष्ण के दर्शन करने पहुंच जाती थीं।

महाराज ने कहा कि जीव और ब्रह्म का मिलन ही महारास है। इसमें किसी भी प्रकार की कोई कामवासना या स्वार्थ स्वार्थ नहीं है। इसमें सिर्फ त्याग ही त्याग है। संसार में गृहस्थ जीवन सबसे कठिन है। इसमें त्याग, प्रेम, दया, करुणा, ममता, दान सभी का महत्व है। सभी कुछ ना कुछ अपने जीवन में देते रहते हैं।

संसारी जीवन में भक्ति का भी बड़ा महत्व है। जो लोग भगवान के प्रति निस्वार्थ भाव से समर्पित होते हैं तथा भक्ति भाव से सेवा करते हैं भगवान उनके जीवन में कभी कष्ट नहीं आने देते।

कार्यक्रम की शुरुआत संत उत्तम राम शास्त्री वह सागवाड़ा के संत अमृत राम महाराज ने सुंदरकांड पाठ का शुभारंभ कर किया। आज भादवा के मंगलवार होने पर महाराज ने सुंदरकांड का पाठ कर हनुमान जी महाराज की पूजा अर्चना की। हनुमान चालीसा का पाठ भी हुआ।

इसके पश्चात बंटी राव, पप्पू जी व गुलाब ने भजन की प्रस्तुति देकर माहौल भक्तिमय कर दिया। आज मुख्य जजमान ने महाराज का माल्यार्पण कर स्वागत किया और ठाकुर जी की पूजा अर्चना कर आरती की और प्रसाद वितरित किया।