अजमेर। फिल्म धुणेशवर में सिंध के लोक गीतों के साथ शास्त्रीय एंव भक्ति संगीत की सोंधी खुशबू की महक दर्शकों को तीन शताब्दी पूर्व के उस कालखंड की जीवंत अनुभूति कराने में समर्थ प्रतीत होती है। गीत संगीत पक्ष सशक्त है। उक्त आशीर्वचन ईश्वर मनोहर उदासीन के महंत स्वरूपदास उदासीन ने हिंदी फिल्म धुणेशवर के अजमेर में धार्मिक प्रदर्शन के अवसर पर प्रकट किए।
यह फिल्म वेदभूमि सिंध के लगभग 310 साल पुराने शिव अवतारी संत पूज्य शदाराम साहब के अवतरण से लेकर वर्तमान में शदाणी दरबार तीर्थ, रायपुर छत्तीसगढ के संत परंपरा के तप, जप एंव सनातन धर्म के प्रचार प्रसार के अद्भुत इतिहास को धुणेशवर फिल्म में संजोया गया है। पात्रों का सजीव अभिनय, दृश्य संयोजन, संवाद, संगीत पक्ष एंव निर्देशन उत्तम है। अलग विषय के उदेश्य को लेकर सिंध की तपो भूमि के संतों पर आधारित फिल्म धुणेशवर के प्रोड्यूसर उदय शदाणी एंव डायरेक्टर आरके गिदवाणी हैं।
सेवादार हशू आसवाणी व महेन्द्र कुमार तीर्थाणी ने बताया कि फिल्म शदाणी दरबार तीर्थ के संत डा. युधिष्ठिर लाल जी के गाइडेंस में प्रस्तुत की गई है। फिल्म धुणेशवर को धर्म प्रेमी दर्शकों का अच्छा सहयोग मिला। ऐसे निरंतर प्रयास अवश्य होते रहें।
संतों की गरिमामय उपस्थिति में फिल्म का प्रदर्शन
इस वसर पर पूज्य शादाणी दरबार तीर्थ, रायपुर के संत डॉ. युधिष्ठरलाल के साथ प्रेम प्रकाश आश्रम के स्वामी रामप्रकाश, श्रीराम विश्वधाम के स्वामी अर्जुनराम, तुलसी किशनधाम के स्वामी ईश्वरदास, बालकधाम किशनगढ के संत, निर्मलधाम के स्वामी आत्मदास, प्रेम प्रकाश आश्रम आदर्श नगर के दादा नारायणदास, जतोई दरबार के भाई फतनदास, सांई बाबा मन्दिर के महेश तेजवाणी, पूज्य पारब्रहम ट्रस्ट के एचआर आसवाणी, झूलेलाल मन्दिर के अध्यक्ष प्रकाश जेठरा, सिन्धी समाज महासमिति के अध्यक्ष कंवल प्रकाश किशनानी, अजमेर सिन्धी सेन्ट्रल पंचायत के अध्यक्ष नरेन शाहणी भगत, महासचिव गिरधर तेजवाणी, नागपुर के सांई प्रकाश डी केवलरामाणी, रायपुर के साहित्यकार मुरारीलाल नत्थाणी के सान्निध्य मिला। धार्मिक फिल्म में शहर की सामाजिक, धार्मिक, व्यापारिक व शैक्षणिक संगठनों के पदाधिकारियों की उपस्थिति में आयोजन हुआ।
रायपुर में आने का न्यौता
पूज्य शादाणी दरबार तीर्थ रायपुर के संत डॉ. युधिष्ठरलाल ने संत समाज के साथ पधारे सभी गणमान्यों को रायपुर तीर्थ स्थान पर भ्रमण के लिए आने का न्यौता भी दिया जिससे ऐसे पवित्र स्थान पर दर्शन व पूजन से धर्मलाभ मिल सके।