जयपुर। राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष एवं भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता राजेन्द्र सिंह राठौड़ ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के संवैधानिक प्रमुखों पर टीका-टिप्पणी करने को अनुचित एवं अशोभनीय बताते हुए कहा है कि उन्हें इस पर अपना बयान वापिस लेना चाहिए, नहीं तो हम व्यक्तिगत तौर पर वैधानिक कार्यवाही करेंगे और इसे लेकर जनता के बीच जाएंगे।
राठौड़ शुक्रवार को प्रदेश भाजपा कार्यालय में प्रेसवार्ता को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि गहलोत ने एक बयान दिया है कि अब तो राजस्थान में राष्ट्रपति का आना बाकी है। यह हमारे संवैधानिक प्रमुख है, संवैधानिक प्रमुख पर इस तरीके की टीका टिप्पणी करना अनुचित एवं अशोभनीय है। क्या मुख्यमंत्री ऐसा वीजा सिस्टम लागू कर रहें हैं कि राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को आने के लिए वीजा लेना पड़े।
उन्होंने कहा कि किसान परिवार का बेटा जब उपराष्ट्रपति के पद पर पहुंचता है तो प्रदेश का मान बढ़ता है। उन्होंने कहा कि उपराष्ट्रपति मालपुरा जोबनेर में उस कृषक परिवार का सम्मान करने आए जिन्होंने अपनी ग्यारह सौ बीघा भूमि को कृषि अनुसंधान के लिए दी, तेजाजी के निर्माण स्थल खरनाल आए, नाथूराम मिर्धा की मूर्ति का अनावरण करने आए, कोटा में छात्र छात्राओं से साक्षात्कार करने आए, धन्ना भगत के धर्म स्थल पर आए, तो इन सब जगह पर उपराष्ट्रपति गए, इनसे मुख्यमंत्री को ऐतराज है जबकि उपराष्ट्रपति को अपना मित्र बताते है।
राठौड़ ने कहा कि मुख्यमंत्री ने न्यायपालिका पर भी अशोभनीय टिप्पणी की थी, और बाद में उन्होंने अपना बयान वापस लें लिया था। बयान वापस लेना उनके लिए बड़ी बात नहीं है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री कांगेस प्रभारी सुखजिन्द्र सिंह रंधावा को किस हैसियत से कोटा में आयोजित सरकारी कार्यक्रम में लेकर गए। महंगाई राहत कैम्पो का उद्घाटन करवाना, गैर संसदीय काम करना मुख्यमंत्री की फितरत है। उन्होंने कहा कि अगर मुख्यमंत्री गहलोत बयान वापिस नहीं लेंगें तो हम व्यक्तिगत तौर पर वैधानिक कार्रवाई करेंगे और इसे बात को लेकर जनता के बीच जाएं।