भारत का इतिहास हमारे प्राचीन स्रोतों पर लिखा जाए : सुनील आंबेकर

सीकर। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने भारत को भारत की नजर से जानने की जरुरत बताते हुए इसके इतिहास को भारत के प्राचीन स्रोतों के आधार पर लिखने पर ज़ोर दिया है।

आंबेकर ने गत 28 सितंबर से शुरू हुए शेखावाटी साहित्य संगम के आखिरी दिन बुधवार को एक सत्र में यह विचार व्यक्त किए। उन्होंने संघ की यात्रा भारत के लिए बताते हुए कहा कि संघ की यात्रा एवं भारत की यात्रा अलग-अलग नहीं है।

स्वतंत्रता के पूर्व सभी के मन में एक ही धारणा कार्य कर रही थी कि कैसे जैसे देश को स्वतंत्र करवाना और डॉक्टर हेडगेवार ने सभी प्रकार के आंदोलन में भाग लेते हुए विचार किया कि केवल स्वतंत्रता से ही सब कुछ नहीं होगा इसके लिए स्वाधीनता भी जरूरी है और उन्होंने इसी के लिए व्यक्ति तैयार करने तथा समाज को संगठित करने का कार्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के रूप में प्रारंभ किया।

उन्होंने कहा कि संघ की विशेषता है कि वह समाज के साधारण व्यक्ति में छिपी हुई असाधारण प्रतिभा को जागृत कर एवं ऐसे लोगों को संगठित कर इस राष्ट्र को समृद्ध एवं विकसित बनाना। उन्होंने कहा कि भारत को भारत की नजर से जानना होगा।

उन्होंने भारत के इतिहास को भारत के प्राचीन स्रोतों के आधार पर लिखने पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि विश्व को भारत का सांस्कृतिक निर्यात हिंदुत्व है। इस सत्र में उनसे लेखक और उपन्यासकार मुरारी गुप्ता ने वार्ता की। इससे पूर्व सत्र के प्रारंभ में पुस्तक परिचय में गुप्ता के उपन्यास सुगंधा के बारे में जानकारी दी गई।