भारत को मिटा सके ऐसा किसी में दम नहीं : मोहन भागवत

अलवर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंचालक डॉ. मोहनराव भागवत अपने प्रवास के अवसर पर संत महात्माओं से मिलते रहते हैं। इसी क्रम में मंगलवार सुबह वे कोटपूतली बहरोड़ जिले में पावटा के पास बावड़ी स्थित बालनाथ आश्रम में अप्रेल 2024 से चल रहे श्री महामृत्युंजय महायज्ञ में सम्मिलित हुए तथा देश में सुख शांति, सुरक्षा एवं प्रगति के लिए यज्ञ मण्डप में स्थित शिव परिवार का विधिवत पूजन किया। उन्होंने गुरू पीठ महंत बस्तीनाथ जी का दुपट्टा, शाॅल उढ़ाकर श्रीफल भेंट कर आशीर्वाद प्राप्त किया। उनके साथ क्षेत्रीय संघचालक डाॅ रमेश अग्रवाल भी उपस्थित रहे।

गुरूपीठ महंत बस्तीनाथ ने सरसंघचालक भागवत का महायज्ञ में पधारने पर आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा सनातन संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए यज्ञ परम्परा का निर्वहन किया जा रहा है। यज्ञ में बिना किसी भेद भाव तथा छुआ छुत के सर्व हिन्दू समाज भाग ले रहा है।

सरसंघचालक भागवत ने वर्तमान परिस्थितियों में देश पर आने वाले संकटों का जिक्र करते हुए कहा कि संकटों की यह ताकत नहीं है कि वह भारत को मिटा सके, भारत जमीन मात्र नहीं भारत में सनातन है, भारत के साथ सनातन धर्म है, सनातन धर्म के साथ भारत है तथा यज्ञ की विशेषताओं को बताते हुए कहा कि हमारी संस्कृति यज्ञमय संस्कृति है। यज्ञ में देना होता है अपने पास से देना होता है। अपने पास जो है वो जहां दे रहे है वहीं से आएगा।

उन्होंने बताया हम पंच महाभूतों को यहां अग्नि ज्वाला में आहूति डालते हैं, लेकिन इनके लिए काम करना समझ में आना चाहिए। जैसे वृक्षारोपण का बड़ा अभियान चल रहा है क्योंकि वृक्षों ने हमको दिया है, वो नष्ट नहीं हो इसलिए पेड़ लगाना चाहिए। समाज में जो हमारे बंधु है गरीब है, पिछडे़ है, उनकी उन्नति के लिए हमें अपने प्रयास करने चाहिए। अपने पास जो है वो देकर उनको ऊपर उठाना चाहिए। क्योंकि ये सब है इसलिए हमारी रक्षा होती है।

संघ के शताब्दी वर्ष में व्यक्ति निर्माण के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि बहुत सारे विचार दुनिया में है और उनके अनुसार चलने वाले लोग भी इस दुनिया में है। परन्तु एक विचार पैदा होकर सौ साल चलने के बाद उन विचारों पर चलकर सत्य सिद्ध करने वाला आदमी उनके यहां नहीं है। हमारे यहां यह कृपा है कि आदि काल से अभी तक ऐसे अनेकों लोग हुए है जो प्रत्यक्ष दिखाई देते है। उनको हम करते हुए देखते है, इसलिए हमारी श्रद्धा रहती है।

ऐसा ही एक जिक्र गुरूदेव के बारे में किया गया है। उनकी कृपा है इसलिए आज के इस यज्ञ का महत्व समझ कर हम अपने जीवन को भी इन सब प्रकारों से जैसे बिना किसी भेद के जातिवाद ना देखते हुए भाषा प्रांत ना देखते हुए एक दूसरे के प्रति सद्भावना मन में रखकर एक दूसरे की सहायता करते हुए जीवन जीते है, यह भी एक यज्ञ है । इस यज्ञ के बाद वो यज्ञ हमें सतत् चालू रखना है और इस भारत भूमि की सेवा करना हमारा कर्तव्य है।

इस अवसर पर महंत बस्तीनाथ ने सरसंघचालक भागवत को राष्ट की समृद्धि, सनातन की विजय तथा सर्व हिन्दू समाज की एकता के भाव को रखते हुए स्वर्णमण्डित सिद्ध श्रीयंत्र भेंट किया साथ ही प्रतिक चिन्ह और दुपट्टा पहनाकर आभार व्यक्त किया। वहीं भागवत ने गुरूपीठ परिसर में बिल्वपत्र का वृक्ष लगाकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। इस अवसर पर क्षेत्र संघचालक डाॅ. रमेश अग्रवाल, क्षेत्र प्रचारक निम्बाराम, प्रांत प्रचारक बाबूलाल सहित अखिल भारतीय, क्षेत्र, प्रांत के वरिष्ठ कार्यकर्ता उपस्थित थे।

सरसंघचालक भागवत अपने प्रवास के अंतिम दिन रमेश यादव और संघ के वरिष्ठ प्रचारक परमानंद के यहां पहुंचे और परिजनों से आत्मीय परिचय प्राप्त किया। परिवारजनों की और से सरसंघचालक के घर पर आने के लिए भावपूर्ण स्वागत सम्मान किया। सरसंघचालक ने संघ के वरिष्ठ प्रचारक परमानंद के निवास स्थान पर निर्माणाधीन मंदिर परिसर के बाहर बिल्वपत्र का पौघा लगाया तत्पश्चात अलवर कार्यालय पहुंचे और प्रांत स्तर के कार्यकर्ताओं की बैठक में कार्य की पूछताछ की और देर शाम ट्रेन से दिल्ली के लिए प्रस्थान किया।