जयपुर। माघ पूर्णिमा के अवसर पर नाट्य शास्त्र के प्रणेता भरत मुनि जयंती पर संस्कार भारती के उत्तर पश्चिम क्षेत्र के प्रमुख डॉ. सुरेश बबलानी के मार्गदर्शन में अभिनव प्रयोग के रुप में जयपुर प्रांत की ओर से दो दिवसीय नाट्य संगोष्ठी का आयोजन हुआ।
समापन सत्र में सीमित संसाधनों और व्यवस्थाओं में मंचित नाटक ‘भगवद अज्जुकीयम’ में षट् रस की उत्पत्ति से श्रोतागण आनंदित होकर झूम उठे। भारतीय रंगमंच पर आच्छादित पारसी थियेटर की कलुषित परछाई के उन्मूलन एवं भारतीयता के मूल्यों की प्रतिष्ठापना के लिए संस्कार भारती आलोक स्तम्भ बनकर उभरी है। राष्ट्रीय मूल्यों में विश्वास रखने वाले कला जगत (नाट्य विधा) के कला साधकों का इस संगोष्ठी के माध्यम से आह्वान किया कि नाट्य शास्त्र के सैद्धांतिक पक्षों का प्रायोगिक और व्यावहारिक प्रयोग कर अपनी रचनाओं, अपनी शास्त्रीय, चिरन्तन, विश्व-कल्याणकारी, मंगलमय, गौरवशाली, समृद्धशाली सांस्कृतिक परम्परा को पुनर्जीवित करें और रचनाधर्मिता की सार्थकता को सिद्ध करें।
डॉ. सुरेश बबलानी की प्रेरणा से इस भविष्य-फलित यज्ञ को सफल बनाने के लिए जयपुर प्रांत की टीम सम्पूर्ण मनोयोग से तीन माह तक जुटी रही। जिसमें प्रांत नाट्य विधा संयोजक संदीप लेले ने अपने सहयोगी साथियों गगन मिश्रा, डॉ.सौरभ भट्ट, डॉ राजेन्द्र प्रसाद, जीतेन्द्र शर्मा, डॉ. कपिल शर्मा आदि के परोक्ष-प्रत्यक्ष सहयोग से आयोजन को सफल बनाने में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोडी।
प्रांत सह महामंत्री बनवारी लाल चेजारा सहयोगी बने रहे और काम को परिणाम तक पहुंचाया। कार्यकर्ताओं को संगठन के लिए अपनी सम्पूर्ण शक्ति और क्षमताओं से जुटने की प्रेरणा देने वाले चेजारा ने छोटे से छोटे और बड़े से बड़े काम को पूरा करने के लिए अदभुत आयोजना, निर्धारित प्रारूपानुसार, योजनाबद्ध, सक्रियता, नेतृत्व क्षमता, सहयोगी साथियों के विश्वास के साथ सम्पन्न किया।
जयपुर महानगर ईकाई को नाट्य संगोष्ठी में प्रबंधन और व्यवस्था संभाली। महानगर टीम में सीमा दया, निर्मला कुलहरी, शिवप्रकाश वर्मा, दिलीप भट्ट, प्रकाश चंद गुप्ता, भुवनेश जैमिनी, वीरेन्द्र कुमार शर्मा, ज्योति वर्मा, नीलू कनवारिया, निधीश गोयल, गोपाल भारती, ललित सिंह तालेड़ा, जीतेन्द्र शर्मा का सराहनीय योगदान रहा।