केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय जयपुर में सप्तदिवसीय प्राकृत शिक्षण कार्यशाला का शुभारंभ

जयपुर। केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय जयपुर परिसर के प्राकृत अध्ययन शोध केंद्र की ओर से मंगलवार को सात दिवसीय प्राकृत शिक्षण कार्यशाला का शुभारंभ हुआ। इसके उद्घाटन में देश के विभिन्न राज्यों से लगभग 50 से अधिक छात्रों ने भाग ग्रहण किया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के निदेशक प्रो.सुदेश कुमार शर्मा ने की। मुख्यातिथि प्रो. एसपी शर्मा अध्यक्ष प्राकृत विकास बोर्ड, विशिष्टातिथि प्रो.जयकुमार जैन निदेशक श्रमण संस्कृत संस्थान सांगानेर तथा सारस्वतातिथि प्रो. कमलेश कुमार जैन जैनदर्शन प्राकृत विद्याशाखा केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय जयपुर उपस्थित रहे।

संयोजक डॉ. सतेन्द्र कुमार जैन ने कार्यक्रम की विस्तृत रूपरेखा बताई। अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो. सुदेश कुमार शर्मा ने प्राकृत के विकास के लिए कुछ बिंदुओं को प्रकाशित करते हुए कहा कि प्राकृत का विकास उसके वाक्य व्यवहार से संभव है। जब तक प्राकृत भाषा लोगों के मुख से नहीं निकलेगी तब तक उसका विकास नगण्य है। इस दिशा में प्राकृत अध्ययन शोध केंद्र प्राकृत भाषा के विकास हेतु प्रयत्नशील है।

एसपी शर्मा ने प्राकृत भाषा के इतिहास को बताते हुए उसके नवीनतम स्वरूप को प्रदर्शित किया, उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों की अभिरुचि के अनुरूप प्राकृत भाषा का विकास होना समाज के लिए लाभदायक होगा।

उद्घाटन पश्चात प्राकृत शिक्षण कार्यशाला का प्रारंभ हुआ। प्रो. जयकुमार जैन, प्रो. कमलेश कुमार जैन, डॉ. धर्मेंद्र कुमार जैन तथा डॉक्टर सतेन्द्र कुमार जैन ने अध्यापन कार्य कराया। आगामी 6 दिनों तक अन्य विद्वान गणों में प्रो.धर्मचंद जैन डॉ. दर्शना जैन तथा डॉ. प्रभात कुमार दास भी अध्यापन कार्य मेें संलग्न होंगे।

इस कार्यशाला में विद्यार्थियों के द्वारा उत्साह पूर्वक अध्ययन किया जा रहा है। इसकी मुख्य विशेषता यह है कि जहां युवा से लेकर वृद्ध विद्वानों के द्वारा अध्यापन कार्य कराया जा रहा है,वहीं युवा से लेकर वृद्ध छात्रों के द्वारा भी अध्ययन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कार्यालय का एवं छात्रों का सहयोग सराहनीय रहा है।