शंभू बॉर्डर आंदोलन : सुप्रीम कोर्ट ने किसानों के मुद्दों सुलझाने को उच्चस्तरीय समिति की गठित

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा-पंजाब के शंभू बॉर्डर पर फरवरी से धरने पर बैठे किसानों की शिकायतों को सौहार्दपूर्ण ढंग से हमेशा के लिए निपटाने की सोच के साथ हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति नवाब सिंह की अध्यक्षता में एक बहु-सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति का सोमवार को गठन किया।

न्यायमूर्ति सूर्य कांत एवं न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति सिंह की अध्यक्षता वाली इस समिति को कृषि उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य और अन्य मुद्दों पर किसानों की चिंताओं के मद्देनजर एक रुपरेखा तैयार करने के लिए एक सप्ताह के भीतर अपनी पहली बैठक आयोजित करने का निर्देश दिया।

शीर्ष अदालत की ओर से गठित इस समिति में अन्य सदस्यों में हरियाणा के पूर्व पुलिस महानिदेशक पीएस संधू, कृषि विशेषज्ञ प्रोफेसर देवेंद्र शर्मा और पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के कृषि अर्थशास्त्री डॉ सुखपाल सिंह शामिल हैं। चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के कुलपति प्रोफेसर बीआर कंभोज को विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में नामित किया गया है।

किसान अपनी उपज के न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी सहित विभिन्न मांगों को लेकर 13 फरवरी से शंभू बॉर्डर पर लेकर धरना दे रहे हैं। पीठ ने किसानों से कहा कि वे उच्च स्तरीय इस समिति के सदस्यों से मिलने के दौरान अपने आंदोलन का राजनीतिकरण करने या अनुचित मांग करने से बचें। शीर्ष अदालत ने कहा कि किसान अपने शांतिपूर्ण आंदोलन को वैकल्पिक स्थलों पर स्थानांतरित करने के लिए स्वतंत्र होंगे।

पीठ ने कहा कि हमने एक संतुलित संरचना बनाने की कोशिश की है। किसानों के पास वास्तविक मुद्दे हैं। उन्हें एक तटस्थ निकाय द्वारा निपटाया जाना चाहिए। किसी और को अनावश्यक रूप से मुद्दों को उठाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में हर किसी को अपनी आवाज उठाने की अनुमति है। समिति को मुद्दों पर विचार करने दें।

पीठ ने कहा कि दोनों राज्यों में खेती-बाड़ी से जुड़ी एक बड़ी आबादी हाशिए पर पड़े समुदायों से संबंधित है, जो गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रही है। वे सहानुभूति की हकदार हैं।

पीठ ने समिति से शंभू बॉर्डर के आंदोलनकारी किसानों से संपर्क करने और उन्हें राष्ट्रीय राजमार्ग से और उसके पास से अपने ट्रैक्टर, स्टैंड और अन्य सामान तुरंत हटाने के लिए प्रेरित करने के लिए कहा ताकि दोनों राज्यों के वरिष्ठ प्रशासक राष्ट्रीय राजमार्ग को खोलने में सक्षम हो सकें। शीर्ष अदालत ने 22 अगस्त 2024 को कहा था कि वह किसानों की शिकायतों को हमेशा के लिए सौहार्दपूर्ण ढंग से निपटाने के लिए जल्द ही एक बहु-सदस्यीय समिति का गठन करेगी।