जयपुर। राजस्थान की सोलहवीं विधानसभा के बजट सत्र में मंगलवार को पूर्व मंत्री एवं विधायक शांति धारीवाल के सदन में अमर्यादित बात कहने के मामले में उनके दो दिन सदन की कार्यवाही में भाग लेने पर रोक लगा दी गई।
हालांकि इस मामले में धारीवाल ने माफी मांग ली लेकिन विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने सदन की गरिमा बनाए रखने के लिए इसे गंभीरता से लिया और कहा कि आज यह अंतिम चेतावनी है कि भविष्य में यदि किसी सदस्य का इस तरह का आचरण सामने आने पर उन्हें कठोरतम कार्यवाही करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा और फिर कभी माफी की बात नहीं सुनी जाएगी और कार्यवाही होगी। उन्होंने कहा कि वह सदन में अमर्यादित आचरण को बर्दाश्त नहीं करेंगे। इसके बाद उन्होंने व्यवस्था देते हुए धारीवाल को दो दिन मंगलवार और बुधवार के लिए सदन की कार्यवाही में भाग लेने पर रोक लगा दी।
इससे पहले देवनानी ने कहा कि उन्हें इस बात की पीड़ा हुई कि वरिष्ठ सदस्य एवं सदन में संसदीय मंत्री रहे, जिन्होंने जिस तरीके से अमर्यादित शब्द कहे, यह लोकतंत्र के लिए शर्मनाक एवं पीड़ादायक है। उन्होंने कहा कि इस अमर्यादित आचरण से विधानसभा की प्रतिष्ठा का हनन हुआ हैं उसकी भरपाई माफ करने एवं खेद प्रकट करने से नहीं होगी।
धारीवाल ने इस मामले में खेद प्रकट किया और कहा कि मुझे 40 साल से जनता ने लोकसभा एवं विधानसभा के लिए चुनकर भेजा हैं और मैं हमेशा आसन को सर्वाेच्च मानकर चला, मेरा इरादा आसन का अपमान एवं नीचा दिखाने का नहीं था। उन्होंने कहा कि सभापति संदीप शर्मा से उनके व्यक्तिगत रिश्ते हैं और उस दिन जब मैं सदन में बोल रहा था तब शर्मा ने उन्हें बोलने से रोका। इस दौरान उन्हें लगा कि शर्मा आसन पर नहीं उनके सामने बैठे हैं और मेरे मुंह से अनायास वह बात निकल गई जो गलत निकल गई। मैं गलती स्वीकार करता हूं। वह बात मजाक में थी। अगर इससे श्री शर्मा को ठेस लगी है तो वह माफी मांगते हैं। इस पर देवनानी ने कहा कि सदन में जो अमर्यादित बात बोली गई है उसके लिए माफी मांगे। इस पर धारीवाल ने माफी मांग ली।
सदन में यह मामला विधायक श्रीचंद कृपलानी ने उठाते हुए कहा कि धारीवाल ने अमर्यादित शब्द कहकर सदन की गरिमा को समाप्त किया हैं, ऐसे में उनके खिलाफ कार्यवाही की जानी चाहिए।संसदीय कार्यमंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि कृपलानी ने जो मामला उठाया हैं उसे गंभीरता से समझने की जरुरत है और सदन में नियम सर्वोपरि है और सबकों नियमों की पालना करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि धारीवाल की बात नियम 272 (3) के विपरीत ही नहीं, निंदनीय है। यह बात हड़बड़ाहट एवं उत्तेजना में कही गई है तो भी क्षमा योग्य नहीं हैं। उन्होंने कहा कि धारीवाल ने इससे पहले 15वीं विधानसभा में भी संसदीय कार्य मंत्री रहते मर्दो का प्रदेश अमर्यादित बात कही थी। इससे स्पष्ट झलकता है कि यह जानबूझकर ऐसी शब्दावली का प्रयोग कर अपने चरित्र को उजागर किया गया है। ऐसे में इस मामले को हंसी मजाक में नहीं लेना चाहिए, क्योंकि सदन की कार्यवाही लोग गंभीरता से देखते हैं। इसलिए इस मामले में सख्त से सख्त कार्यवाही की जानी चाहिए।
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि वह इस मामले की निंदा करते हैं और यह बात सदन के अनुरुप नहीं है लेकिन पूर्व में भी इस तरह के घटनाक्रम हुए हैं और आसन ने बात को गंभीरता से लेते हुए सदस्य के खेद प्रकट करने पर उसे माफ भी किया है। उन्होंने कहा कि वह और उनका दल इससे आहत है और वह खेद प्रकट करते हैं कि इस प्रकार के शब्दों की सदन में कोई जगह नहीं हैं। उन्होंने सदस्य को माफ करने का निवेदन किया।
विधायक राजेन्द्र पारीक ने कहा कि धारीवाल के इन शब्दों की वह निंदा करते हैं लेकिन उन्होंने यह बात किसी वैमनस्यतापूवर्क नहीं कही। उन्होंने इस मुद्दे को समाप्त कर देने का निवेदन किया। इसी तरह विधायक गोविंद सिंह डोटासरा ने ने भी इस मामले की निंदा करते हुए इसे समाप्त करने का निवेदन किया।