अजमेर। शीतला सप्तमी पर्व सोमवार को धूमधाम से मनाया गया। महिलाओं ने शीतला माता की पूजा कर ठंडे पकवानों का भोग लगाया। माता शीतला का शीतल जल से अभिषेक किया। घरों में ठंडा भोजन किया गया।
सुभाष उद्यान के सामने गुलाब बाग स्थित शीतला माता मंदिर में पूजा अर्चना और भोग लगने के साथ पारंपरिेक मेले की शुरुआत हुई। अलसुबह मंगलगान करती महिलाओं के मंदिर आने का सिलसिला शुरू हो गया।
पुजारी इंदरचंद्र प्रजापति ने बताया कि इस प्राचीन मंदिर में शीतला माता को 31 मार्च की मध्यरात्रि ठंडे पकवानों का पहला भोग लगाया गया। इसके बाद भक्तों के उमडने का सिलसिला शुरू हो गया। शहर के दूर दराज तक से महिलाएं, बालिकाएं तथा पुरुष पूजा करने पहुंचे। शाम तक श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। इस साल शीतला सप्तमी सोमवार के दिन पडने से इसका महत्व बढ गया। मान्यता है कि शीतला माता का शीतल जल से अभिषेक करने पर घर परिवार में सुख, समृद्धि और शांति आती है।
शहर के वैशाली नगर, फायसागर रोड, उसरी गेट, सुभाष नगर, मदार गेट, मेयोलिंक रोड, पहाडगंज, रामगंज, आदर्श नगर, बिहारी गंज, पंचशील, लोहाखान आदि क्षेत्रों के विभिन्न मंदिरों में भी शीतला माता की पूजा अर्चना कर ठंडे पकवानों का भोग लगाया गया। कई मंदिरों में जगराता रखा गया तथा महिलाओं ने शीतला माता की कथा का श्रवण किया।
मेले में रौनक, परंपरागत तरीके से सजी दुकानें
मेला क्षेत्र में यातायात व्यवस्था को देखते हुए फिलहाल महावीर सर्किल से बजरंगगढ चौराहे तक बेरिकेडिंग कर चार पहिया वाहनों का प्रवेश बंद किया गया है। मेले में परंपरागत झूलों के अलावा पुराना बस स्टेड वाले खाली स्थान पर विशाल तथा आधुनिक झूले लगाए गए हैं। मिट्टी और प्लास्टिक के खिलाने बेचने वाले कतार से दुकाने सजाए हुए हैं। शीतल पेय की स्टाले ग्राहकों से अटी नजर आई। गोल गप्पे, छोले भटूरे, चाट, लस्सी, शर्बत, कुल्फी, दही बडे आदि की स्टालों पर बच्चे एवं मेलार्थी खूब चटखारे लेते देखे गए। मणिहारी की दुकानों पर महिलाओं में जमकर खरीदारी की।
शीतला सप्तमी के दिन ये बने पकवान
शीतला सप्तमी को लेकर घरों में एक दिन पहले मीठे चावल, खाजा, चूरमा, शक्कर पारे, पूडी, दाल भात, लापसी, पुआ, पकौडी, राबडी, बाजरे की रोटी, पचकुटा की सब्जी समेत अनके तरह के पकवान बनाए गए। शीतला सप्तमी को घर में गरम खाना नहीं बनाने की मान्यता है। माता को ठंडे यानी बासी का भोग लगता है। कहा जाता है ठंडा भोजन करने से स्वास्थ्य अच्छा होता है। इसी के साथ शरीर गर्मी के मौसम के साथ तारतम्य बना लेता है। किसी को बोदरी निकलने पर भी शीतला माता की पूजा की जाती है।
1 अप्रेल को सप्तमी और 2 अप्रेल को अष्ठमी की पूजा
जिन लोगों के अष्टमी की पूजा होती है, उनके कहा है अष्टमी तिथि 2 अप्रैल को मनेगी और जिन लोगों के सप्तमी तिथि की पूजा होती है, उन लोगों के शीतला सप्तमी 1 अप्रैल को मनाई गई। उदय तिथि के अनुसार शीतला सप्तमी 1 अप्रैल को है।