डॉ मीनाक्षी जैन, प्रोफेसर कुलदीप चंद,डॉ संजीवनी केलकर को शिक्षा भूषण सम्मान
नागपुर। गुरु का गुरुत्व उसके ज्ञान और चरित्र में है। गुरु बनना एक सतत् प्रक्रिया है जिसमें जीवन भर सीखना होता है। यह उद्गार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले ने आज नागपुर में अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ द्वारा आयोजित शिक्षा भूषण शिक्षक सम्मान कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किए। होसबाले ने कहा भारत की गुरु परंपरा संपूर्ण मनुष्य बनने की शिक्षा का उदाहरण प्रस्तुत करती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति का लक्ष्य भी इससे प्रेरित है लेकिन किसी भी नीति की सफलता कृति पर निर्भर करती है।
रेशिम बाग नागपुर में आयोजित भव्य कार्यक्रम में दत्तात्रेय होसबाले एवं परमार्थ निकेतन ऋषिकेश के स्वामी चिदानंद सरस्वती ने हिमाचल प्रदेश के प्रो कुलदीप चंद अग्निहोत्री, दिल्ली की डाॅ मीनाक्षी जैन एवं महाराष्ट्र की डॉ संजीवनी केलकर को अखिल भारतीय शिक्षा भूषण सम्मान से सम्मानित किया। सम्मान कार्यक्रम में आशीर्वचन देते हुए स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि भारत की परंपरा मैं साधनों का नहीं साधना का महत्व है। भारत का भविष्य संस्कृति और प्रकृति के संरक्षण में है। उन्होंने शिक्षा भूषण से सम्मानित विभूतियों से प्रेरणा लेकर कर्म पथ पर बढ़ने का उपस्थित शिक्षकों से आव्हान किया।
उल्लेखनीय है कि अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ, जो देश के 12 लाख से अधिक शिक्षकों का संगठन है, प्रतिवर्ष तीन ऐसे कर्मयोगी शिक्षाविदों को, जिनका जीवन निस्वार्थ भाव से राष्ट्र और समाज को समर्पित रहा है, अखिल भारतीय शिक्षा भूषण सम्मान द्वारा सम्मानित करता है। सम्मान में अभिनंदन पत्र, रजत चिन्ह और एक लाख रुपए की नगद राशि शामिल होती है।
नागपुर में हेडगेवार स्मारक समिति के व्यास सभागार में आयोजित इस भव्य कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह बौद्धिक प्रमुख सुनील भाई मेहता, शैक्षिक महासंघ के संगठन मंत्री महेंद्र कपूर, सह संगठन मंत्री जी लक्ष्मण, वरिष्ठ उपाध्यक्ष महेंद्र कुमार, निर्मला यादव, महामंत्री शिवानंद सिंदनकेरा सहित देश के विभिन्न राज्यों के विश्वविद्यालय महाविद्यालय एवं विद्यालय शिक्षा के छह सौ से अधिक शिक्षक उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का संचालन विद्यापीठ शिक्षक मंच नागपुर की अध्यक्ष डॉ कल्पना पांडे ने किया। कार्यक्रम में शैक्षिक फाउंडेशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘राष्ट्र संवर्धन बनाम वाम विखंडन’ का विमोचन भी अतिथियों द्वारा किया गया।
शिक्षा भूषण से सम्मानित व्यक्तित्वों का परिचय
व्यवसाय से मूलतः चिकित्सक डॉ. संजीवनी केलकर ने दलित बस्तियों के गरीब बच्चों के पठन-पाठन की सामग्री का वितरण कर, उनमें शिक्षा, स्वच्छता और कर्म योग की अलख जगाकर नेतृत्व क्षमता विकसित करने का सर्वोतम कार्य किया है। संजीवनी केलकर ने ग्रामीण महिलाओं के सशक्तीकरण में भागीदारी करते हुए आर्थिक रूप से पिछड़े क्षेत्रों में लगभग 12000 विद्यार्थियों का स्थानीय भाषा (मराठी) माध्यम से शिक्षा व्यवस्था, जल संकट से ग्रस्त क्षेत्र में लगभग 45000 लोगों को क्षमता के जल संरक्षण हेतु टैंकों का निर्माण और टैंकों में जल भराव की समुचित व्यवस्था का बीड़ा उठाया है।
डॉ. मीनाक्षी जैन मध्यकालीन और औपनिवेशिक भारत की एक प्रसिद्ध इतिहासकार हैं। भारतीय संस्कृति के आधार राम और उनकी साकेत नगरी अयोध्या पर सूक्ष्म और परिष्कृत कार्य करने वाली राजनीतिक विज्ञान की शिक्षिका तथा इतिहासकार, औपनिवेशिक भारत में सती प्रथा के उन्मूलन के साथ सुधारवाद की साधिका, डॉ जैन ने अनेक चर्चित पुस्तकों का लेखन किया है। 2020 में भारत सरकार ने भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘पद्मश्री’ से डा जैन को सम्मानित किया गया।
प्रो. कुलदीप चंद अग्निहोत्री सीमांत तथा पर्वतीय प्रदेशों के समग्र अध्येता, हिंदी भाषा और साहित्य के मूर्धन्य मनीष, सचेतन साहित्यकार, भारतीय संस्कृति के प्रबल साधक, राष्ट्रवादी विचारक, प्रखर विधि विशेषज्ञ और मानवता के प्रबल पक्षधर रहें हैं। प्रो. अग्निहोत्री को भारत तिब्बत सहयोग मंच के संयोजक के रूप में ‘तिब्बत को चीन से मुक्ति’ आंदोलन का नेतृत्व करने पर एवं आपातकाल में बंदी बनाया गया था। आपने पूर्व में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में अंबेडकर पीठ के चेयरपर्सन, विश्वविद्यालय के धर्मशाला स्थित केंद्र में निदेशक और हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय में कुलपति के रूप में अनुकरणीय कार्य किया है। अब तक उनकी 16 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।