मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने पूर्व मुख्यमंत्री एवं शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) गुट के प्रमुख उद्धव ठाकरे को बड़ा झटका देते हुए बुधवार को राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के पक्ष में फैसला सुनाया और कहा कि शिंदे के नेतृत्व वाला समूह ही असली शिवसेना है।
नार्वेकर ने शिवसेना अयोग्यता मामले में भी फैसला सुनाया तथा कहा कि पार्टी का फैसला बहुमत के आधार पर होता है और शिंदे गुट के पास बहुमत है। ठाकरे ने नार्वेकर के फैसले की आलोचना की है और इसे उच्चतम न्यायालय के फैसले का उल्लंघन बताया है।
नार्वेकर ने यह फैसला भी सुनाया कि भरत गोगावले का व्हिप सही था। विधानमंडल सचिवालय के 21 जून 2022 के रिकॉर्ड के मुताबिक शिंदे गुट के पास बहुमत नजर आ रहा है इसलिए, नार्वेकर ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की कि शिंदे समूह ही असली शिवसेना है। ठाकरे समूह का दावा खारिज कर दिया गया है क्योंकि पार्टी प्रमुख का निर्णय अंतिम है। नार्वेकर ने फैसला किया कि शिवसेना पार्टी प्रमुख समूह के नेता को पद से नहीं हटा सकते।
उन्होंने कहा जो विधायक संपर्क में नहीं हैं उन्हें केवल इसी आधार पर अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता। इसके अलावा, यह भी साबित हुआ है कि ठाकरे समूह के मिलिंद नार्वेकर, रवींद्र फाटक ने सूरत में शिंदे से मुलाकात की थी। नार्वेकर ने कहा कि चूंकि यह साबित हो चुका है कि सत्ता हस्तांतरण के दौरान असली पार्टी शिंदे की थी, इसलिए 21 जून 2022 को शिवसेना विधायक दल की बैठक में अनुपस्थित होने के मुद्दे पर विधायकों को अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता है।
नार्वेकर ने कहा कि पार्टी प्रमुख को सर्वोच्च शक्ति देना लोकतंत्र के लिए हानिकारक है। अगर ऐसा हुआ तो पार्टी में कोई भी पार्टी नेता के खिलाफ नहीं बोल पाएगा। शिवसेना के संविधान में राष्ट्रीय कार्यकारिणी का निर्णय अंतिम होता है।
उन्होंने कहा कि शिवसेना पार्टी प्रमुख किसी को भी पद से नहीं हटा सकते, शिवसेना नेतृत्व पर दावों को लेकर चुनाव आयोग द्वारा दिया गया यह फैसला स्पष्ट है। शिंदे को पार्टी से निकालने का अधिकार ठाकरे के पास नहीं है। सिर्फ मन में आ जाने से किसी को पार्टी से नहीं निकाला जा सकता।
उन्होंने कहा कि पार्टी के पिछले संविधान के मुताबिक, ठाकरे को किसी को पद से हटाने का कोई अधिकार नहीं है। पार्टी नेतृत्व की राय को पार्टी की राय नहीं माना जा सकता इसलिए, शिंदे को हटाने का फैसला उद्धव ठाकरे नहीं ले सकते। पार्टी नेता की राय अंतिम नहीं है इसलिए, पार्टी संविधान के अनुसार उनके पास किसी को पद से हटाने की शक्ति भी नहीं है।
नार्वेकर ने कहा कि उद्धव ठाकरे समूह द्वारा चुनाव आयोग को सौंपे गए दावे में भी विसंगति है, एक तरफ वे कहते हैं कि पार्टी की बैठक सेना भवन में हुई थी, दूसरी तरफ वे कहते हैं कि बैठक ऑनलाइन आयोजित की गई थी। उनके दस्तावेज भ्रमित करने वाले हैं।
गौरतलब है कि फैसले से पहले दोनों गुटों के पदाधिकारियों ने कहा था कि अध्यक्ष के प्रतिकूल फैसले की स्थिति में वे शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे। गत वर्ष जून में शिंदे और 48 अन्य विधायकों के विद्रोह के बाद 20 जून 2022 को ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी सरकार गिर गई थी। इसके बाद शिंदे ने भारतीय जनता पार्टी विधायकों के साथ मिलकर सरकार बनाई जो वर्तमान में सत्तारुढ़ है।