सबगुरु न्यूज-सिरोही। सिरोही में लगाये गए ट्रेड फेयर को लेकर सिरोही व्यापार महासंघ से जुड़े संगठनों ने सिरोही बन्द का आव्हान किया। इसे देखते हुए मकर संक्रांति को लेकर खरीदारी को आसपास के गांवों से आये लोग इसी मेले में जाकर खरीदारी करने लगे। बाद में उन्होंने जिला कलेक्टर को ज्ञापन दिया। इस पर जिला कलेक्टर के आदेश पर उपखण्ड अधिकारी सीमा खेतान और तहसीलदार मेले के निरीक्षण पहुंची को पहुंची।
-ये थी मांगें
व्यापारियों की मांग थी कि प्रशासन वर्तमान मेले को चलने देवे लेकिन, इस बात को लेकर आश्वस्त करे कि आगे से सिरोही में ट्रेड फेयर लगाने के लिए स्थानीय व्यापार मंडल को विश्वास में लेगा। उनका कहना था कि खेल मैदान बच्चों के खेलने के लिए काम आता है इसलिए उन्हें किसी ट्रेड फेयर के आयोजन की अनुमति नहीं दी जाए। इससे पहले व्यापार संघ के कुछ प्रतिनिधियों ने मेले के दौरान स्थानीय बच्चियों के साथ दुर्व्यवहार की शिकायत भी की थी। इन सभी मांगों और शिकायतों को लेकर उपखण्ड अधिकारी ने निरीक्षण के दौरान वहां आई स्कूली बच्चियों से भी बात की कि उनसे कोई व्यक्ति दुर्व्यवहार कर रहा है या नहीं।
– इसलिए लगते हैं ट्रेड मेले
सिरोही नहीं राज्य और देश में भी ट्रेड मेलों को लेकर कुछ संगठनों से जुड़े स्थानीय व्यापारियों ने इस तरह की आपत्ति दर्ज करबाते रहे हैं। लेकिन, इन आपत्तियों को कभी इसलिए तरजीह नहीं दी गई कि ये संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है।
दरअसल,संविधान का आर्टिकल 19 भारत के नागरिक को उसकी जीविका चलाने का अधिकार देता है। वो भारत के किसी भी क्षेत्र में कानून सम्वत कार्यों को करके आजीविका चला सकता है। इसी अधिकार के तहत सिरोही के प्रवासी दूसरे राज्यों में जाकर अपना व्यापार कर पा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी दूसरी जगह जाकर व्यवसाय में करने के अधिकार को आर्टिकल 19 के तहत जायज माना है।
इसलिये ट्रेड मेला नहीं लगाने की मांग को लेकर यदि सुप्रीम कोर्ट भी जाएंगे तो उन्हें संरक्षण नहीं मिलेगा। इतना ही नहीं संवैधानिक प्रावधानों को लागू करने का अधिकार के लिए एग्जीक्यूटिव्स को दिया गया है। इसलिए उन्हें इसके लिए किसी निजी संस्था से अनुमति या सहमति लेने की आवश्यकता भी नहीं है।
सिरोही में इसी तरह की आपत्ति 10 साल पहले भी की गई थी और सड़क पर व्यवसाय करने वाले वेंडर्स के खिलाफ भी किये थे।सिरोही के ठेले वालों को बाजार में चिन्हित नो वेंडिंग जोन से वेंडिंग जोन में भेजने के प्रशासनिक आदेश पर रोक लग पाई थी। जिस दिन आर्टिकल 19 के तहत वेंडरों का अधिकार छीन लिया गया उसके सबसे पहला शिकार सिरोही समेत देश के अन्य इलाकों में ठेले पर व्यवसाय करने वाले होंगे। फिर ये मेला तो वैसे भी मुख्य बाजार और भीड़भाड़ वाले इलाके से दूर लगा हुआ है।
इसी तरह दूसरी मांग स्कूली मैदान को इस्तेमाल नहीं करने की अनुमति का है। इसे लेकर भी एक दशक पहले राजस्थान हाईकोर्ट ने दौसा के एक जनप्रतिनिधि द्वारा स्कूल मैदान को किसी आयोजन के लिये नहीं दिए जाने की जनहित याचिका लगाई थी।
करीब 5 सालों तक हाइकोर्ट के आदेश पर इस पर रोक रही। लेकिन, बाद में न्यायालय ने निर्णय दिया कि स्कूल मैदानों से होने वाली आय का इस्तेमाल सबसे पहले मैदान को आयोजन से हुए नुकसान से दुरुस्त करने के लिये किया जाएगा। इसके बाद अन्य कामों में लिया जाएगा। फिर न्यायालय ने ही खेल मैदानों को विद्यालयों की निजी आय के लिए अनुमत कर दिया।
-बन्द की वजह से मेले में पहुंचे लोग
व्यापारियों ने गाहे-बगाहे ही इस बन्द से उन लोगों को भी सिरोही के एक कोने में लगे मेले की ओर भेज दिया जिन्हें इसके बारे में मालूम नहीं था। आबूरोड से आये एक उपभोक्ता ने बताया कि वो सिरोही काम से आये थे। बाजार बंद मिला। कारण पूछा तो बताया कि मेले के विरोध में बाजार बन्द है। ये सुनकर वो भी पता पूछते हुए रावण दहन मैदान में लगे मेले में आ गए। यहां घूमने में खरीदारी करने में उन्हें डेढ़ घण्टा लग गया। इसी तरह ग्रामीणों ने बताया कि ये हमारी पसंद है कि हम कहाँ से खरीदारी करें। जहाँ दो पैसे बचेंगे औऱ ज्यादा विकल्प मिलेंगे वहां जाएंगे।