राम जानकी विवाह में उमड़े श्रद्धालु
अजमेर। मनुष्य सामाजिक प्राणी है, उसके जीवन में अगर उत्साह नहीं है, उमंग नहीं है तो वह एकांकी रहता है। सामाजिक प्राणी बिना समाज के नहीं रह सकता इसलिए मानव जीवन में उत्साह और उमंग तीज त्यौहार होना बहुत जरूरी है। इससे उसके जीवन में सकारात्मक भाव पैदा होते हैं। जीवन में आनंद आता है। आत्मिक, भौतिक व आध्यात्मिक सुख प्राप्त होता है।
यह बात विनोद शरण शास्त्री ने मदार स्थित राधा कृष्ण मंदिर प्रांगण में श्रीराम कथा के दौरान राम जानकी विवाह प्रसंग पर व्याख्यान करते हुए कही। महाराज ने कथा के दौरान कहा कि जब भगवान की बारात निकल रही थी तो उस समय एक घटना घटी। देव ब्रह्मा जी इधर उधर होने लगे और सबको पूछने लगे कि आज जनकपुर में जो रौनक, ऐश्वर्य दिखाई दे रहा है उसमें मेरी कृति नजर नहीं आ रही। मेरा एक भी चित्र नहीं दिखाई पड रहा। मैं बिरंचि हूं, सब कुछ बनाता हूं, आज कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा। आखिर यह सब किसने बनाया।
ऐसे में इंद्र ने ब्रह्मा से कहा की पितामह राम रहस्य को ठीक से जानते हैं। उनसे पूछिए इसमें हमारा मस्तिष्क काम नहीं करता। ब्रह्माजी आकाश में शिव जी के पास पहुंचे। शिवजी ने उनके प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि ब्रह्माजी आप क्यों भूल रहे हैं कि कोई पुत्र क्या कभी अपने अपने पिता के विवाह ने शामिल हो सकता है। यह तो प्रभु की माया है, प्रभु द्वारा रची गई यह लीला है। आप इसके बीच भ्रमित ना हों, तब जाकर ब्रह्माजी का भ्रम मिटा।
कथा के दौरान राम जानकी विवाह में झांकी सजाई गई। महाराज ने राम जानकी विवाह से जुडे भजनों की प्रस्तुति दी। राम जानकी की आरती की गई। महिलाओं ने राम जानकी विवाह पर भाव विभोर होकर नृत्य किया। अंत में श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित किया गया।