अजमेर। रामस्नेही संप्रदाय मेड़ता देवल के पीठाधीश्वर 108 श्री रामकिशोर महाराज ने नला बाजार स्थित रामद्वारा में 54वें चातुर्मास के अवसर पर श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि मनुष्य जब भगवान के साथ अपना संबंध जोड़ता है तो उसका अनुसंधान होता है। उस पर ईश्वर की कृपा हो जाती है।
उन्होंने कहा कि जीव का स्वभाव सुन्दर नहीं है। भगवान के स्वरूप को मत देखो उसके स्वभाव को उनकी करूणा को देखो वही जीव का कल्याण करता है। दूसरों के दुख को दूर करने का परमात्मा का स्वभाव है। इसलिए भगवान वंदनीय है। दैविक, भौतिक आध्यात्मिक ताप को दूर करने वाले भगवान श्रीकृष्ण कृष्ण की वंदना है।
कई लोग पूछते हैं भगवान की वंदना करने से क्या होता है। वंदना करने से पाप जलते हैं। श्री राधा कृष्ण की वंदना करेंगे तो आपके सारे पाप नष्ट हो जाएंगे। वंदना केवल शरीर से नहीं मन से करो अर्थात राधा कृष्ण को ह्दय में बिठाओ और प्रेम से वंदन करो।
दुख में जो साथ है वह ईश्वर और सुख में जो साथ दे वह जीव। भगवान हमेशा दुख में ही साथ देते है इसलिए वंदनीय हैं। महाभारत युद्ध में पांडव परेशान थे तो भगवान कृष्ण उनके साथ थे और राजसत्ता सौपने के पश्चात कृष्ण वहां से चले गए। जीव को सतकर्म करने पर भगवान उनके घर चले आते हैं। इसलिए मनुष्य को सांसारिक जीवन में रहते हुए भगवान के नजदीक रहना चाहिए। सदैव उसे याद करते रहना चाहिए।
कथा के दौरान महंत ध्यानीराम महाराज और संत उत्तमराम शास्त्री ने भजनों की प्रस्तुति दी। कथा के पश्चात आरती की गई और श्रदालुओं को प्रसाद वितरित किया गया।
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