अजमेर। शास्त्रों में जितना लिखा हुआ है उतना सब जानने में उलझने की जरूरत नहीं सिर्फ उसका सार पकड़ने की जरूरत है। हममें जितनी क्षमता और योग्यता है हम तदनुरूप जीवन को ढालने का जतन करें। इसके लिए शास्त्रों में अनेकानेक मार्ग बताए गए हैं। यह बात कथावाचक पुष्कर दास महाराज ने पुलिस लाइन स्थित अटल उद्यान में चल रही श्रीशिव महापुराण कथा के चौथे दिन कहीं।
उन्होंने कहा कि कथा सुनने और सुनाने का मकसद भी यही है कि जीव यानी मनुष्य की रुचि भगवान में लग जाए। किसी को भगवान से जोड़ना सबसे बड़ा पुण्य का कार्य है। जो भगवान से जुड़ गया असल योगी वहीं है। उन्होंने तिलक की व्याख्या करते हुए कहा कि हम भगवान शंकर के भाल पर तिलक लगाते है, उसके बाद अपने मस्तक पर लगाते हैं। चंदन का तिलक ठंडक का प्रतीक है, उसी तरह हमारे जीवन में भी शीतलता हो।
महाराज ने नारद शब्द का अर्थ बताते हुए कहा कि जिसकी कोई बात रद्द ना हो वही नारद है। कथा सत्संग सबसे पहले घर में शांति करती है। ईश्वर से विमुख लोगों को तो कथा और कीर्तन में भी अशांति लगती है। इसमें उनका दोष नहीं यह उनके पूर्व जन्म के पाप का परिणाम है अथवा उनका अहंकार अज्ञानता है जो उन्हें रुचि नहीं हो पाती।
महाराज ने कहा कि आज के समय में लोग कथा की कहानियों को पकड़ कर बैठते हैं, कहानी के ततवार्थ को नहीं समझने के कारण जीवन में क्रांति नहीं होती भले ही जीवन में अनेकों बार कथा सुनने लो तब भी मुक्ति नहीं होती। उन्होंने कहा कि कथा सुनना और सुनाना सबसे बडा प्रसाद है। इससे दुख और चिंता कम हो जाती है। कथा श्रवण करने और सत्संग में बैठने से चित्त शांत और प्रसन्न हो जाता है। उन्होंने कहा कि लौकिक जगत में हमें भले ही समस्याओं का सामना करना पडता हो लेकिन आध्यात्मिक जगत में आनंद ही आनंद है।
राम की भव्य सवारी और कलश यात्रा रविवार को
रविवार को श्री राम रथ यात्रा, कलश यात्रा, हिंदू यात्रा तथा राम जी की भव्य यात्रा निकाली जाएगी। कलश यात्रा में भाग लेने की इच्छुक महिलाओं को कलश स्वयं लाना होगा। कलश यात्रा सुबह 10 बजे मालीयान पंचायत शिव मंदिर भोपों का बाड़ा से आरंभ होगी जो प्रतापनगर शिव मंदिर, टेम्पो स्टेंड, भैरू मंदिर लोहाखान, फूल मालीयान शिव मंदिरा, राम सीता मंदिर पुलिस लाइन, शीतला हनुमान मंदिर पुलिस लाइन चौराहा, शिव मंदिर नया बाडा, विष्णु मंदिर जवाहर नगर, शिव मंदिर शास्त्री नगर शॉपिंग सेंटर, चुंगी चौकी होते हुए कल्पवृक्ष शिव मंदिर पहुंचकर सम्पन्न होगी।