सबगुुरु न्यूज-सिरोही। संगठनों पर एकाधिकार जमाने के लिए पद का दुरुपयोग करते हुए प्रतिद्वंद्वियों को टारगेट करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है तो वो संगठन की बजाय प्राइवेट लिमिटेड संस्थान हो जाती है। सिरोही भाजपा के पदाधिकारियों पर कई पदाधिकारी ये लम्बे समय से आरोप लगाते आ रहे हैं कि इसे पदाधिकारी काडर बेस संगठन की बजाय निजी और प्राइवेट लिमिटेड फर्म की तरह संचालित कर रहे हैं।
सिरोही भाजपा के पदाधिकारियों ने आबूरोड में भाजयुमो के पदाधिकारी के निष्कासन और भाजपा की उसकी सदस्यता समाप्त करने का निर्णय अवैधानिक तरीके से लिया हुआ बताया है। यही नहीं इसे राजनीतिक संगठन और प्राइवेट लिमिटेड फर्म से एक पायदान गिरकर परचूनी की दुकान वाली प्रक्रिया (जिसमें सुबह काम पसंद नहीं आने पर रात को अगले दिन से नही आने का आदेश सुना दिया जाता है) को अपनाने की तरह का बताते हुए अंदरखाने विरोध के स्वर भी फूटने लगे हैं।
-सुबह विरोध रात को सदस्यता समाप्त
आबूरोड में लम्बे समय से एक विवाद चल रहा है। यहां नगर पालिका चुनाव में भाजपा के एक बागी को संगठन में मेहरबानी बरसाई जा रही थी। जिला संगठन के द्वारा इस मेहरबानी का विरोध करने पर विरोध करने वाले पदाधिकारी का न सिर्फ निष्कासन किया गया बल्कि भाजपा की सदस्यता ही समाप्त कर दी गई। ये पूरी प्रक्रिया भाजपा के संविधान के एकदम विपरीत बताई जा रही है।
यहां पर आकाश माली को लेकर लम्बे समय से विवाद चल रहा है। आकाश माली पर आबूरोड नगर पालिका चुनाव में भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ बगावत करके अपनी पत्नी को निर्दलीय उम्मीदवार बनाने और निर्दलीय के रूप में जीतने पर सशर्त भाजपा को समर्थन देने का आरोप लग रहा है। हाल में भाजयुमो ने उसे जिला मंत्री का पद दे दिया। यही नहीं परिवर्तन संकल्प रैली में भाजयुमो के स्थानीय कार्यकर्ताओं को नजरंदाज करके उसे सह संयोजक भी बना दिया गया था।
इसके बाद इसे लेकर आबूरोड भाजयुमो में विरोध बढ़ गया। नव नियुक्त जिलाध्यक्ष सुरेश कोठारी से आबूरोड भाजयुमो मंडल ने इसे लेकर आपत्ति जताई। इसके कई दिन बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होने पर भाजयुमो जिलाध्यक्ष के खिलाफ रोष जताते हुए उनका विरोध करते हुए पुतला जला दिया गया।
जिस दिन सुबह उग्र विरोध हुआ, उसी दिन शाम को भाजपा के दो जिला महामंत्रियों के हस्ताक्षर से आदेश जारी करके एक पदाधिकारी को न सिर्फ संगठन से निष्कासित किया बल्कि उनकी भाजपा की सदस्यता भी समाप्त कर दी। ये प्रक्रिया इतनी अवैधानिक बताई जा रही है जिसे इस जिले में कभी भी नहीं अपनाई गई। इसमें भाजपा के संविधान को ताक में रखकर अपने विरोधियों को निपटाने की मंशा की शंका भाजपाई लगा रहे हैं।
-बिना अनुशासन समिति के जिलाध्यक्ष ने लिया निर्णय
2013 के आसपास नारायण पुरोहित के अध्यक्ष रहते हुए सारणेश्वर में हुई बैठक में हाथापाई हुई थी। ये इस मामले में भी पुरा प्रकरण अनुशासन समिती में गया था। किसी का निष्कासन और सदस्यता समाप्त नहीं हुई थी। करीब पांच साल पहले सिरोही भाजपा जिलाध्यक्ष लुम्बाराम चौधरी का पुतला जलाया था। इसकी शिकायत प्रदेश को हुई। इसके बाद मामला अनुशासन समिति को गया। वहां पर सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद पुतला जलाने वाले सिर्फ 2 लोगों पर कार्रवाई हुई। उसमें भी भाजपा की सदस्यता से बेदखल नहीं किया गया।
लेकिन, आबूरोड में भाजपा जिलाध्यक्ष के निर्देश पर भाजयुमो के पदाधिकारी पर जो कार्रवाई हुई उसमें न तो सुनवाई हुई न ही कोई नोटिस सीधे पद से हटाते हुए भाजयूमो की सदस्यता समाप्त करने का आदेश पारित कर दिया। जबकि भाजयुमो का कोई सदस्य होता नहीं सब मूल संगठन के सदस्य होते हैं।
इस सदस्यता समाप्त करने के आदेश पर हस्ताक्षर करने वाले भाजयुमो जिला महामंत्री गणपतसिंह निम्बोड़ा और अनिल प्रजापत ने बताया कि इसके लिए जिलाध्यक्ष के निर्देश आए थे, उन्होंने प्रदेश में इसकी बात होने का कहा था। इस निष्कासन और सद्स्यता समाप्ति के पत्र में भी एक संदिग्धता दिख रही है। इसमें निष्कासन के लिए। लिखे गए मेटर और दोनों महामंत्रियों के हस्ताक्षर के बीच इतनी ज्यादा जगह ही जिसमें इतना ही मेटर और लिखा जा सकता है। इससे स्पष्ट प्रतीत हो रहा है कि हस्ताक्षर पहले करवाए गए और उसमें निष्कासन और सदस्यता समाप्ति का संदेश बाद में लिखा गया हो।
भाजपा जिलाध्यक्ष सुरेश कोठारी ने बताया कि इनकी निष्कासन और सदस्यता समाप्त करने का आदेश जिला स्तर पर ही लिया गया है और प्रदेश संगठन को इसके लिए पत्र लिख दिया गया है। उन्होंने कहा कि ये जिला स्तर का ही मैटर है, इसका प्रदेश से कोई संबंध ही नहीं है इसलिए सबने मिलकर निर्णय लेकर निष्कासन और सदस्यता समाप्त कर दी। वहीं जिगर आचार्य ने बताया कि उसे ये प्रक्रिया अपनाने के लिए प्रदेश अनुशासन समिति से या जिला कार्यकारिणी से कोई पत्र या नोटिस नहीं आया। यूं किसी भी मोर्चे में जो भी कार्यकर्ता होते हैं वे मूल भाजपा के सदस्य होते हैं ऐसे में उनकी सदस्यता तो मोर्चा कर भी नहीं सकता है। यही नहीं पदाधिकारियों का चयन भी प्रदेश संगठन की सहमति से होता है, ऐसे में उससे भी हटना जिला संगठन के अधिकार क्षैत्र में नहीं आता।
– क्या है प्रक्रिया?
भाजपा का कोई मंडल हो या मोर्चा, इसके सारे पदाधिकारी और कार्यकर्ता भाजपा के सदस्य होते हैं न कि उस मोर्चे के। ऐसे में किसी भी कार्यकर्ता की सदस्यता भंग करने का निर्णय भाजपा की प्रदेश स्तरीय अनुशासन समिति के पास है जिलाध्यक्ष या मोर्चा अध्यक्ष के पास नहीं। ओंकार सिंह लखावत इस तीन सदस्यीय अनुशासन समिति के अध्यक्ष हैं। कोई भी अनुशासनहीनता का मामला इस समिति के पास जाता है। वहां से आरोपित को नोटिस जारी करके स्पष्टीकरण मांगा जाता है। संतुष्ट या असंतुष्ट होने की स्थिति में भी जब तक निष्कासन या सदस्यता समाप्त करने के निर्णय पर तीन में से दो सदस्यों की सहमति नहीं मिलती तब तक ये कार्रवाई नहीं होती।
इस तरह की प्रकिया संगठन में शायद इसलिए अपनाई गई है ताकि स्थानीय मठाधीश अपनी व्यक्तिगत द्वेषता निकालने के लिए सदस्यता समाप्ति या निष्कासन की झड़ी लगाकर पार्टी को सदस्यविहिन नहीं बना देवें। लेकिन, सिरोही जिला भाजपा खुद ही पीडि़त बन गई। खुद ही अनुशासन समिति बन गई। खुद ही अनुशासन समिति की ज्यूरी की तरह भाजयुमो आबूरोड के पदाधिकारी जिगर आचार्य के निष्कासन ही नहीं बल्कि सदस्यता समाप्त करने का आदेश पारित करने वाले न्यायाधीश भी बन गई। सदस्यता समाप्ति के लिए इस तरह से निकाले गए अवैधानिक आदेश का भाजपा में अंदरखाने विरोध हो रहा है।