परीक्षित मिश्रा
सबगुरु न्यूज-सिरोही। लोकसभा चुनावों में छोटे बच्चों को प्रचार सामग्री थमाकर नारे लगवाने या प्रचार करवाने में भाजपा भी पीछे नहीं है। चुनाव आयोग के आदेषों के विपरीत आचार संहिता का उल्लंघन करते हुए सिरोही भाजपा प्रत्याषी लुम्बाराम चैधरी के समर्थन में भाजपा भी छोटे बच्चों को प्रचार सामग्री थमाकर नारेबाजी करवा रही है।
कांग्रेस से दो कदम और आगे निकलकर भाजपा ने तो स्नेह मिलन समारोह के नाम पर चुनाव प्रचार किया। अब इसकी अनुमति रेवदर रिटर्निंग अधिकारी कार्यालय से ली थी या नहीं ये भी जांच का विषय है। लेकिन, अनुमति लेकर भी बैठक करवाई है तो बच्चों को प्रचार सामग्री देकर उनसे नारेबाजी करवाकर आचार संहिता का उल्लंघन भाजपा भी यहां करती नजर आ रही है। अगर अनुमति नहीं ली है तब तो आचार संहिता को दोहरे उल्लंघन का मामला यहां पर बनता है।
-मंदिर मे हुई थी बैठक
सोषल मीडिया प्लेटफाॅर्मइंसाइडर इंडिया के फेसबुक पेज और आबू टाइम्स के इंस्टाग्राम अकाउंट पर शेयर की गई वीडियो और फोटो तथा प्रिंट मीडिया में प्रकाशित खबर के अनुसार ये बैठक मूंगथला मंदिर में आयोजित की गई थी। ये रेवदर विधानसभा में पडता है। इसे स्नेह मिलन का नाम दिया गया। लेकिन, वीडियो में भाजपा नेता लुम्बाराम चैधरी और भाजपा के पक्ष में चुनाव प्रचार करते हुए स्पष्ट सुनाई दे रहे है।
वहीं बच्चे भी हाथ में प्रधानमंत्री मोदी, मुख्यमंत्री भजनलाल और भाजपा प्रत्याशी लुम्बाराम चैधरी का कटआउट हाथ में लेकर पार्टी के समर्थन में नारेबाजी करते हुए नजर आ रहे हैं।
-मंदिर का इस्तेमाल भी आचार संहिता उल्लंघन
चुनाव आयोग के द्वारा जिस पत्रकार वार्ता में चुनाव प्रचार में बच्चों का चुनाव प्रचार में इस्तेमाल नहीं करने का आदेष दिया था उसी में सु्रप्रीम कोर्ट के आदेषानुसार चुनाव प्रचार के लिए मंदिर, मस्जिट, चर्च आदि धार्मिक स्थलों के परिसर का इस्तेमाल नहीं करने के भी निर्देष दिए थे।
भाजपा की गिरवर मंडल की बैठक के वीडीयो, फोटो और प्रकाषित समाचार में ये स्पष्ट प्रतीत हो रहा है कि स्नेह मिलन के नाम पर यहां पर चुनाव प्रचार किया जा रहा था। नोरबाजी हो रही थी। वोट देने के लिए अनुरोध किया जा रहा था। ऐसे में इस मुद्दे पर भी आचार संहिता का उल्लंघन होता है। इसकी अनुमति नहीं ली गई है तो फिर ये भी चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन की श्रेणी में आता है। वीडियो में सभी कार्यकर्ता भोजन करते हुए नजर आ रहे हैं ऐसे में आदर्ष आचार संहिता के तहत इसका हिसाब भी चुनाव के हिसाब में जुडता है और मतदाताओं को लालच देने की श्रेणी में भी आता है।