परीक्षित मिश्रा
सबगुरु न्यूज-आबूरोड। जिले के आदिवासी इलाकों के अंतर राज्यीय और अंतरजिला मार्गों पर लम्बे समय से यातायात जोखिम भरा था। ये जोखिम वाहनों के खराब होने का या रास्ते खराब होने की वजह से नहीं बल्कि यात्रा के दौरान वाहनों पर लूट की नीयत से होने वाले हमलों की वजह से थी।
सबगुरु न्यूज-आबूरोड। जिले के आदिवासी इलाकों के अंतर राज्यीय और अंतरजिला मार्गों पर लम्बे समय से यातायात जोखिम भरा था। ये जोखिम वाहनों के खराब होने का या रास्ते खराब होने की वजह से नहीं बल्कि यात्रा के दौरान वाहनों पर लूट की नीयत से होने वाले हमलों की वजह से थी।
इसमें सबसे ज्यादा बदनाम मार्ग पिण्डवड़ा उदयपुर मार्ग था। फोरलेन बनने और पुलिस पेट्रोलिंग तेज होने के कारण अब इस मार्ग पर कभी कभार ऐसी घटनाएं सुनने को मिलती है। लेकिन, राजस्थान को गुजरात से जोडऩे वाले मार्गों को सिरोही पुलिस अब तक इस तरह के हमलों से सुरक्षित नहीं कर पाई है। जबकि हमलावर और सुरक्षा की जिम्मेदारी संभाले पुलिस दोनों ही इसी जिले के हैं।
-आबूरोड से ये रास्ते जोखिम भरे
आबूरोड सिरोही का गुजरात से सटा सीमावर्ती आदिवासी बहुल इलाका है। यहां से चार रास्ते गुजरात जाते हैं। एक देलदर बोसा होते हुए अम्बाजी जाने वाला, दूसरा छापरी होते हुए अम्बाजी जाने वाला, तीसरा मावल होते हुए पालनपुर जाने वाला और चौथा रास्ता है आबूरोड मूंगथला रेवदर होते हुए मंडार से डीसा जाने वाला यही रास्ता जालोर भी जाता है। इनमें से छापरी होकर अम्बाजी जाने वाला और मावल अमीरगढ़ होकर पालनपुर जाने वाला मार्ग सुरक्षित है। शायद इसकी वजह ये है कि यहां पर कुछ ही इलाका सिरोही पुलिस के अधिकार क्षेत्र में आता है।
-सिरोही पुलिस के अधीन दोनों रास्ते असुरक्षित
सिरोही पुलिस के मिसमैनेजमेंट की वजह से दो सबसे असुरक्षित रास्ते माउण्ट आबू डीएसपी के अधीन आबूरोड सदर थाना क्षेत्र के है। कुछ इलाका रोहिड़ा और रेवदर थानों का भी पड़ता है। जिसमें दो डीएसपी आते हैं। इसके बाद भी ये रास्ते यात्रियों की सुरक्षा के लिहाज से खतरनाक है।
देलदर होकर अम्बाजी जाने वाला रास्ता बियावान जंगल और पहाडिय़ों के बीच पड़ता है। इस पर ट्राफिक भी कम रहता है। यहां पर एक चौकी पड़ती है। इस क्षेत्र में रात्रि में लोग कम भी जाते हैं और बहुत ही विपरीत परिस्थिति में रात्रि में इसका इस्तेमाल होता है। विकट भौगोलिक परिस्थिति की वजह से एकबार मान भी लिया जाए कि इस क्षेत्र में पुलिस पेट्रोलिंग मुश्किल है। लेकिन, दूसरा रास्ता जो आबूरोड से रेवदर होता हुआ डीसा जाता है
-आबूरोड से ये रास्ते जोखिम भरे
आबूरोड सिरोही का गुजरात से सटा सीमावर्ती आदिवासी बहुल इलाका है। यहां से चार रास्ते गुजरात जाते हैं। एक देलदर बोसा होते हुए अम्बाजी जाने वाला, दूसरा छापरी होते हुए अम्बाजी जाने वाला, तीसरा मावल होते हुए पालनपुर जाने वाला और चौथा रास्ता है आबूरोड मूंगथला रेवदर होते हुए मंडार से डीसा जाने वाला यही रास्ता जालोर भी जाता है। इनमें से छापरी होकर अम्बाजी जाने वाला और मावल अमीरगढ़ होकर पालनपुर जाने वाला मार्ग सुरक्षित है। शायद इसकी वजह ये है कि यहां पर कुछ ही इलाका सिरोही पुलिस के अधिकार क्षेत्र में आता है।
-सिरोही पुलिस के अधीन दोनों रास्ते असुरक्षित
सिरोही पुलिस के मिसमैनेजमेंट की वजह से दो सबसे असुरक्षित रास्ते माउण्ट आबू डीएसपी के अधीन आबूरोड सदर थाना क्षेत्र के है। कुछ इलाका रोहिड़ा और रेवदर थानों का भी पड़ता है। जिसमें दो डीएसपी आते हैं। इसके बाद भी ये रास्ते यात्रियों की सुरक्षा के लिहाज से खतरनाक है।
देलदर होकर अम्बाजी जाने वाला रास्ता बियावान जंगल और पहाडिय़ों के बीच पड़ता है। इस पर ट्राफिक भी कम रहता है। यहां पर एक चौकी पड़ती है। इस क्षेत्र में रात्रि में लोग कम भी जाते हैं और बहुत ही विपरीत परिस्थिति में रात्रि में इसका इस्तेमाल होता है। विकट भौगोलिक परिस्थिति की वजह से एकबार मान भी लिया जाए कि इस क्षेत्र में पुलिस पेट्रोलिंग मुश्किल है। लेकिन, दूसरा रास्ता जो आबूरोड से रेवदर होता हुआ डीसा जाता है
इसका आबूरोड से रेवदर के बीच का करीब दस से पंद्रह किलोमीटर का रास्ता असुरक्षित है। सडक़ भी स्टेट हाइवे होने से दोहरे ट्राफिक के लिए बनी हुई है। इस पर सिरोही पुलिस आवाजाही करने वाले वाहनों को सुरक्षित यात्रा मुहैया नहीं करवा पा रही है जो उसके जन सुरक्षा के लिए तत्पर होने के दावे की पोल खोलता है। इस इलाके में चलते वाहनों पर लूट के इरादे से पथराव और हमला होना आम घटना हो चुकी है।
-धार्मिक पर्यटन का महत्वपूर्ण रास्ता
आबूरोड से रेवदर जारे वाला रास्ता राजस्थान के धार्मिक पर्यटन का महत्वपूर्ण रास्ता है, इसका इस्तेमाल गुजरात के पर्यटक ज्यादा करते हैं। इस पर सिरोही के रेवदर क्षेत्र और जालोर जिले के प्रवासियों की आवाजाही भी ज्यादा रहती है। आबूरोड रेलवे स्टेशन से जालोर और रेवदर को जोडने वाला महत्वपूर्ण मार्ग है। अधिकांश ट्रेने रात्रि में आती हैं, ऐसे में प्रवासियों का इस रास्ते पर देर रात को भी निकलना होता है। इस रास्ते पर गिरवर में एक चौकी है। यहां एक वाहन है। नफरी का अभाव। इसके कारण सिरोही जिला पुलिस यहां रात्रि में पर्याप्त सुरक्षा मुहैया नहीं करवा पा रही है।
-धार्मिक पर्यटन का महत्वपूर्ण रास्ता
आबूरोड से रेवदर जारे वाला रास्ता राजस्थान के धार्मिक पर्यटन का महत्वपूर्ण रास्ता है, इसका इस्तेमाल गुजरात के पर्यटक ज्यादा करते हैं। इस पर सिरोही के रेवदर क्षेत्र और जालोर जिले के प्रवासियों की आवाजाही भी ज्यादा रहती है। आबूरोड रेलवे स्टेशन से जालोर और रेवदर को जोडने वाला महत्वपूर्ण मार्ग है। अधिकांश ट्रेने रात्रि में आती हैं, ऐसे में प्रवासियों का इस रास्ते पर देर रात को भी निकलना होता है। इस रास्ते पर गिरवर में एक चौकी है। यहां एक वाहन है। नफरी का अभाव। इसके कारण सिरोही जिला पुलिस यहां रात्रि में पर्याप्त सुरक्षा मुहैया नहीं करवा पा रही है।
भादवी पूनम की वजह से अम्बाजी होते हुए गुजरात जाने का रास्ता बंद होने से कई लोग इस रास्ते को भी गुजरात जाने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। इसी तरह के पर्यटक वाहन पर रात्रि को भी पथ्रराव हुआ। सीधे सपाट इस मार्ग पर लूट के लिए रात्रि के छह घंटे के टाइम स्पैन और पंद्रह किलोमीटर के रूट स्पैन में सिरोही पुलिस की तत्परता की कमी लोगों को सुरक्षा मुहैया नहीं करवा पा रही।