फिर हुआ सिरोही के साथ धोखा, करोडों की जमीन खुर्दबुर्द करने की कोशिश

राजीव नगर आवासीय योजना

परीक्षित मिश्रा

सबगुरु न्यूज-सिरोही। संयम लोढा और ओटाराम देवासी भले ही ये दावा करते रहे हों कि वो सिरोही के आम जरूरतमंद नागरिकों को जिला मुख्यालय की सबसे बडी राजीव नगर आवासीय योजना और सार्दलपुरा आवासीय योजना में भूखण्ड दिलवाएंगे।

लेकिन, दोनों के दस-दस साल बीतने के बाद भी सिरोही के मध्यम, निम्न मध्यम और गरीब तबकों को इन आवासीय कॉलोनियों के भूखण्ड आवंटित नहीं हो पाए। इसके विपरीत सिरोही नगर परिषद में इनके मातहत बने नेताओं और सरपरस्ती में लगे अधिकारियों राजीव नगर आवासीय योजना की करोडोंं की भूमि को खुर्दबुर्द करने की लगातार कोशिशें की हैं।
फिर से नगर परिषद सिरोही के आयुक्त योगेश आचार्य द्वारा सिरोही के जरूरतमंद लोगों के हितों पर चोट करने का मामला सामने आया है। योगेश आचार्य की कार्यप्रणाली से वाकिफ होने के बाद भी संयम लोढा के कार्यकाल में सिरोही नगर परिषद का चार्ज सौंपा गया था और ओटाराम देवासी के सत्ता में आने के बाद भाजपा के स्थानीय नेताओं के कहने पर आचार्य को संरक्षित करने के आरोप लगते रहे। इतना ही नहीं भाजपा नेता तो आचार्य के संरक्षण के लिए भारतीय मजूदर संघ के आबूरोड में आयोजित कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री भजनलाल को ज्ञापन देने भी पहुंचे थे।

राजीव नगर आवासीय योजना पर हक छोड़ने के पूर्व सभापति के पत्र के बाद उन्हें कालूराम खौड़ द्वारा जारी किया नोटिस
राजीव नगर आवासीय योजना पर हक छोड़ने के पूर्व सभापति के पत्र के बाद उन्हें कालूराम खौड़ द्वारा जारी किया नोटिस

-ये है राजीव नगर आवासीय योजना का विवाद
सिरोही के बीचोंबीच राजीव नगर आवासीय योजना है। 1989 में तत्कालीन नगर पालिका के बोर्ड ने तेजाराम गोयल से ये जमीन लेकर इसमें आवासीय कॉलोनी काटी थी। समय के साथ ये जमीन शहर के बीचोंबीच आ गई। कथित रूप इस जमीन को तेजाराम के उत्तराधिकारी के द्वारा सिरोही के एक कथित भू-माफिया से सौदा होने के बाद न्यायालय में ये वाद दायर किया कि ये जमीन अनुसूचित जाति की है।

इसे नगर परिषद नहीं खरीद सकती। हाईकोर्ट ने इस पर चार साल पहले निर्णय दिया था। इसके अनुसार स्थानीय उपखण्ड अधिकारी कार्यालय से वाद दायर करने का और वादी को चार भूखण्ड देने का निर्णय देने का निर्णय दिया था। इस निर्णय के खिलाफ सिरोही नगर परिषद सुप्रीम कोर्ट मे ंगई थी।

भाजपा शासन में 2015 में लालसिंह राणावत के द्वारा राजीव नगर पर हक छोड़ने का पत्र और उसके जवाब में आया पुरुषोत्तम बियानी का पत्र।
भाजपा शासन में 2015 में लालसिंह राणावत के द्वारा राजीव नगर पर हक छोड़ने का पत्र और उसके जवाब में आया पुरुषोत्तम बियानी का पत्र।

– कई बार हुआ धोखा
नगर निकायों में बोर्ड सर्वेसर्वा होता है। वहां सभापति या निकाय के कार्यवाहक अधिकारी का एकाकी निर्णय कानूनन मान्य नहीं होता है। बोर्ड के द्वारा लिए गए निर्णयों को आयुक्त हस्ताक्षर करने के बाद ही मान्य होता है। अगर बोर्ड कोई कानून के विरु़द्ध निर्णय करता है तो आयुक्त उस निर्णय पर नोट ऑफ डिसेंट लगाकर राज्य सरकार को इसे विधिसंगत नही होने की टिप्पणी के साथ भेजता है।

इस तरह के निर्णय पर अंतिम अधिकार राज्य सरकार का होता है। कथित रूप से राजीव नगर आवासीय योजना जिस स्थानीय कथित भू-माफिया को बेचने की चर्चा है वो इस जमीन को नगर परिषद से छुडवाने के लिए दाम और भेद की नीति अपनाए हुए है। ऐसे में इस जमीन से अपना हक छोडने के लिए सिरोही नगर परिषद के जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों ने कई कोशिशें की।
सबसे पहली कोशिश हुई थी सभापति जयश्री राठौड के समय। उस समय ये प्रकरण राजस्थान हाईकोर्ट में चल रहा था। उस समय बिना बोर्ड में निर्णय लिए हुए तत्कालीन सभापति ने नगर परिषद के अधिवक्ता को नगर परिषद सिरोही के द्वारा इस जमीन को केस विड्रॉ करने का पत्र जारी किया था। मामला समाचार पत्रों में आने के बाद प्रशासन सक्रिय हुआ। नगर  परिषद में लगाए गए कार्यवाहक आयुक्त कालूराम खौड़ ने इस पत्र को नल एंड वॉयड होने की कागजी कार्रवाई की। यही नहीं तत्कालीन सभापति को नोटिस जारी करके उनके पत्र के आधार पर हाई कोर्ट में विपरित आदेश होने पर उन्हें जिम्मेदार ठहराया था।

भाजपा राज में ओटाराम देवासी के मंत्री रहते हुए 2016 में तो और बड़ा हथकंडा हुआ। ताराराम माली के सभापति काल में जुलाई 2015 में तत्कालीन आयुक्त लालसिंह राणावत ने बोर्ड की सहमति के बिना ही डीएलबी को पत्र एकल हस्ताक्षर युक्त पत्र लिखकर राजीव नगर आवासीय योजना से अपना हक छोड़ने को सहमति जता दी। उस समय के डीएलबी डायरेक्टर पुरुषोत्तम बियानी तो और दो कदम आगे निकले। (इसकी खबर पढ़ने को ये लिंक क्लिक  करें …) https://www.sabguru.com/news/state-government-officers-issued-letter-to-release-rajiv-nagar/

लालसिंह राणावत के पत्र के हवाले से उन्होंने भी नगर परिषद की 2013 की प्रशासनिक समिति की बैठक में लिए गए निर्णय पर अपने स्तर पर कार्रवाई करने की सहमति दे दी। इस समय कोंग्रेस के तत्कालीन नेता संयम लोढ़ा ने प्रभारी मंत्री और सिरोही विधायक की चुप्पी पर सवाल उठाया था। लेकिन अब ये सारे हथकंडे उनके विधायक काल में लगाए गए आयुक्तों ने कर दिए। अब भाजपा को उन पर निशाना साधने का मौका दे दिया है।

इस बार विधानसभा चुनावों से पहले के साल में ये फिर से चेता। कार्यवाहक आयुक्त योगेश आचार्य ने परिवादी परिवार के छगनलाल मेघवाल से पूर्व में दी गई डिमांड के माध्यम से 20 नवम्बर 2023 को कैनेरा बैंक के चैक के माध्यम से 22 लाख 62 हजार रुपये का चेक राजीव नगर आवासीय योजना के ब्याज के रूप में जमा करवा लिए गए। ये प्रकरण सामने आया तो इस राशि को सभापति द्वारा फोरफिट करवा लिया गया था।

अब ये मामला सामने आया है कि इसी जमा राशि के आधार पर योगेश आचार्य ने अपने एकल हस्ताक्षर से सुप्रीम कोर्ट में नगर परिषद के अधिवक्ता को पत्र लिखकर इस केस को सुप्रीम कोर्ट से विड्रा करने का पत्र जारी कर दिया। 12 फरवरी 2024 को कांग्रेस के 17 पार्षदों के द्वारा सभापति और आयुक्त को दिए गए ज्ञापन में आरोप लगाया गया था कि इसकी प्रक्रिया अनिल झिंगोनिया के आयुक्त काल में शुरू कर दी गई थी।

अनिल झिंगोनिया वही आयुक्त हैं जिनकी शिकायत जून 2023 को आबूरोड के कांग्रेस कार्यकर्ता के द्वारा आबूरोड हवाई पट्टी पर  तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से करने पर झिंगोनिया के पक्ष में कांग्रेस नेता के बोलने का वीडियो पिछले साल जुलाई में सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था।
-इस तरह खुला मामला
सभापति महेन्द्र मेवाडा ने बताया कि हाल ही में वीसी के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में राजीव नगर आवासीय योजना के केश की पेशी थीं। सुनवाई के दौरान ये तथ्य सामने आया कि सिरोही नगर परिषद ने इस केस को वापस लेने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की है। पूछने पर पता चला कि ये अर्जी आयुक्त ने दाखिल की हैं। सिरोही नगर परिषद के दस्तावेज खंगालने पर पता चला कि राजीव नगर आवासीय योजना के ब्याज पेटे 20 नवम्बर 2023 को जमा करवाए गए 22 लाख 62 हजार रुपये के चेक के जमा होने के दिन बाद 29 नवम्बर को आउटवर्ड नम्बर 5787 से ये पत्र जारी किया गया था।इस पत्र की कार्यालय प्रति और इससे संबंधित पत्रावली नगर परिषद से नदारद बताई जा रही है। सभापति ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता को पत्र लिखकर आयुक्त द्वारा लिखे गए पत्र पर बोर्ड की असहमति होने का पत्र भेजा।

राजीव नगर आवासीय योजना के प्रकरण में कथित भू-माफिया की इतनी हिमाकत होने के पीछे की वजह इस लोकसभा चुनाव की एक घटना में सामने आई। इस लोकसभा चुनाव में जालोर  लोकसभा सीट के एक प्रत्याशी के निकटतम रिश्तेदार इसी व्यक्ति के फॉर्म हाउस को अपने रहने के लिए गुप्त रूप से इस्तेमाल कर रहे थे, जिसका नाम राजीव गांधी आवासीय योजना को येनकेन प्रकारेण सिरोही के आम लोगों से छीनने मे ंआ रहा है। इस दौरान एक नेशनल मीडिया की टीम के वहां पर पहुंच जाने से हंगामा मचा रहा है। अब ऐसे में सिरोही के लोगों की ये आशा बेमानी है कि इस भूमि को यहां के नेता उन्हें दिलवाने का ईमानदार प्रयास कर रहे होंगें।

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