सबगुरु न्यूज-सिरोही। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की तरह पार्टियों को व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा के केन्द्र बनाकर विचारधारा की बजाय व्यक्तिवादी बनाने की परम्परा अब बूथ स्तर तक पहुंच गई हैं। इसका खामियाजा संगठनों को भुगतना पड़ रहा है।
रीढ़ की हड्डी वाले कार्यकर्ता अब बंधुआ अनुशासन के नाम पर बंधुआ मजदूर बनाने की रणनीति के खिलाफ बगावत करने लगे हैं। कांग्रेस के पूर्व जिला उपाध्यक्ष ने कांग्रेस की शिथिलता और कार्यकर्ताओं की अनदेखी के कारण कांग्रेस छोडऩे का निर्णय किया है। भाजपा के आईसेल के पूर्व संभाग प्रभारी हितेन्द्र ओझा ने भाजपा की सक्रिय राजनीतिक से त्याग पत्र मंडल अध्यक्ष को दे दिया है।
जिले में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पिछले पांच सालों से व्यक्ति आधारित पार्टियां बना दी गई हैं। कांग्रेस में जहां संयम लोढ़ा, नीरज डांगी पर सहमति और असहमति के आधार पर संगठन के निष्पक्ष कार्यकर्ताओं को भटकाने और अटकाने के आरोप लगते रहे। रही सही कसर नवनियुक्त जिलाध्यक्ष आनन्द जोशी ने पूरी कर दी है।
संगठन में उन्हें इन दोनों नेताओं के गुट का होने का आरोप लगने लगा है और खुद आनन्द जोशी ने अपने जिलाध्यक्ष बनने पर उसमें संयम लोढ़ा, नीरज डांगी और रतन देवासी का आभार जताकर ये जताने की कोशिश की कि उनको ये पद स्वयं की काबलियत कर बजाय इन तीनों की सिफारिश पर मिला है।
भाजपा में यही आरोप निवर्तमान जिलाध्यक्ष नारायण पुरोहित पर संगठन में सहमति और असहमति के आधार पर कार्यकर्ताओं को अपेक्षित और उपेक्षित करने के आरोप लगते रहे। अब यही अरोप झेलने वाले सुरेश कोठारी पर लग रहे हैं कि कि वो नारायण पुरोहित की अनुपस्थिति में नारायण पुरोहित का ही ऐजेंडा लागू करने की कोशिश में हैं।
दोनों संगठनों में इन लोगों ने संगठन की रीति नीति के बजाय इनकी रीति नीति को जिले में संविधान बनाने का को मुगालता पाल लिया है इसका खामियाजा दोनों संगठनों के प्रति कार्यकर्ताओं के मोहभंग के रूप में सामने आ रहा है।