बेंगलूरु। कर्नाटक की एक विशेष अदालत ने बुधवार को लोकायुक्त को मुख्यमंत्री सिद्दारमैया के परिवार से जुड़े लोगों को मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (मुडा) के आवंटन में अनियमितताओं के आरोपों की जांच करने का निर्देश दिया।
लोकायुक्त को तीन महीने के भीतर अपने निष्कर्ष प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है। यह फैसला कर्नाटक हाईकोर्ट द्वारा राज्यपाल के 16 अगस्त के आदेश के खिलाफ सिद्दारमैया की याचिका को खारिज करने के बाद आया है, जिसमें भ्रष्टाचार निवारण (पीसी) अधिनियम 1988 की धारा 17ए के तहत जांच को मंजूरी दी गई थी।
राज्यपाल की मंजूरी कार्यकर्ताओं एसपी प्रदीप कुमार, टीजे अब्राहम और स्नेहमयी कृष्णा की शिकायतों के बाद मिली, जिन्होंने मुख्यमंत्री पर मूल्यवान मुडा भूखंडों के अवैध आवंटन से लाभ उठाने का आरोप लगाया था।
यह मामला मैसूर के केसारे गांव में सर्वेक्षण संख्या 464 से तीन एकड़ और 16 गुंटे भूमि के बदले में दिए गए 56 करोड़ रुपए के 14 प्रतिस्थापन भूखंडों के कथित अवैध आवंटन के इर्द-गिर्द घूमता है। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि सिद्दारमैया ने इस लेनदेन को मंजूरी देने के लिए मुडा अधिकारियों को हेरफेर करने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया, जिसके परिणामस्वरूप पर्याप्त वित्तीय लाभ मिला।
कार्यकर्ताओं ने 2023 के मध्य में राज्यपाल से संपर्क किया और मुख्यमंत्री की जांच तथा मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी। उनके अनुरोध के बाद राज्यपाल ने 17 अगस्त को जांच को अधिकृत किया। सिद्दारमैया ने हालांकि राज्यपाल के आदेश पर रोक लगाने की मांग करते हुए 19 अगस्त को कर्नाटक उच्च न्यायालय में इस फैसले को चुनौती दी।