बारां। राजस्थान के बारां में विशेष न्यायालय पोक्सो क्रम-2 की न्यायाधीश सोनिया बेनीवाल ने बुधवार को नाबालिग सौतेली पुत्री के साथ दुष्कर्म के मामले में एक व्यक्ति को जीवनकाल की अंतिम सांस तक कारावास की सजा सुनाई।
विशिष्ट लोक अभियोजक हरिनारायण सिंह ने बताया कि पीड़िता ने अपनी बड़ी मम्मी और मामा के साथ थाना छबड़ा में उपस्थित होकर प्रार्थना पत्र पेश किया था कि वह तीन वर्ष की थी, तब उसके पिता की मृत्यु हो गई थी। उसकी माता ने आठ वर्ष पूर्व केदार सिंह के साथ नाता विवाह कर लिया, जिससे वह तथा छोटा भाई उसकी मम्मी के साथ केदार सिंह के यहां रहने लग गए।
करीब 10 महीने पहले उसकी माता की भी बीमारी से मृत्यु हो गई, उसकी माता के मरने के डेढ़ माह बाद रात को जब वह सो रही थी, तो उसके सौतेले पिता केदार सिंह उसके पास आकर लेट गया और जबरदस्ती की, मना करने पर भी नहीं माना। उसका सौतेला पिता आए दिन उसके साथ जबरदस्ती किया करता था। उस समय पीड़ित की उम्र 13 वर्ष थी। इस जबरदस्ती की शिकार से वह तीन माह की गर्भवती हो गई। उसने यह सभी बातें अपने मामा और अपनी बड़ी मम्मी को बताई।
उसके बाद उन्होंने इस आधार पर एक प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराई, जिस पर थाना छबड़ा ने पोक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज कर जांच प्रारंभ की।अनुसंधान के बाद 13 मार्च 2023 को थाना छबड़ा पुलिस ने आरोपी मुलजिम केदार सिंह के विरुद्ध आरोप पत्र दाखिल किया।
उल्लेखनीय है कि अभियोजन पक्ष की ओर से 15 गवाह के बयान न्यायालय में लेखबद्ध और 28 दस्तावेज प्रदर्शित कराए गए। उन्होंने बताया कि 15 माह में हुए फैसले में इस प्रकरण में डीएनए रिपोर्ट महत्वपूर्ण दस्तावेज साबित हुआ, जिसमें पीड़िता के गर्भस्थ भ्रूण का मिलान उसके सौतेले पिता केदार से हुआ है, जिससे केदार सिंह को यौन शोषण का दोषी मानते हुए उसके प्राकृत जीवनकाल तक आजीवन कारावास से दंडित किया। साथ ही अलग-अलग धाराओं में कुल दो लाख रुपए का ज़ुर्माना भी किया है।
विशिष्ट लोक अभियोजक हरि नारायण सिंह ने यह भी बताया कि पीड़िता को जुर्माना की राशि प्राप्त करने के अतिरिक्त पीड़ित प्रतिकर योजना के तहत पीड़िता को 10 लाख रुपए अलग से देने की अनुशंसा की है, जो जिला विधिक सेवा प्राधिकरण बारां द्वारा पीड़िता को देने का निर्धारण करेगा।