जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपराधों के विरूद्ध रेस्पॉन्स टाइम में राजस्थान पूरे देश में अव्वल बताते हुए कहा है कि प्रदेश में साम्प्रदायिक तनाव फैलाने वाले असामाजिक तत्वों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।
गहलोत शुक्रवार को पुलिस मुख्यालय में कानून-व्यवस्था की समीक्षा बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हमारी प्राथमिकता यह है कि अपराधियों को ऐसे अपराध करने का मौका ही नहीं मिलना चाहिए। पुलिस को आदर्श वाक्य ‘आमजन में विश्वास, अपराधियों में भय’ को चरितार्थ करने के लिए राज्य सरकार द्वारा किए गए नवाचारों को प्रतिबद्धता से लागू करना होगा। उन्होंने कहा कि आगामी दिसंबर तक अभय कमाण्ड के तहत पूरे प्रदेश में तीन हजार से अधिक सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। जिससे सघन निगरानी की जा सकेगी।
उन्होंने कहा कि पुलिस द्वारा लगभग सभी आपराधिक घटनाओं का खुलासा कर अपराधियों को पकड़ा जा रहा है और न्यूनतम समय में उनको सजा दी जा रही है। प्रदेश में कानून व्यवस्था मजबूत बनाए रखने और इसके समक्ष आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए हमारी सरकार हरसंभव प्रयास एवं नवाचार कर रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कानून-व्यवस्था सुचारू रखने और पीड़ितों को न्याय दिलवाने की जिम्मेदारी पुलिस के कंधों पर है। अपराधियों के साथ संलिप्तता पाए जाने पर पुलिस अधिकारियों-कर्मचारियों की बर्खास्तगी जैसी कड़ी कार्रवाई भी की जा रही है। मिशन-2030 के तहत वर्ष 2030 तक के लिए पुलिस विभाग का रोडमैप तैयार किया जाएगा।
गहलोत ने दौसा की घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और इस दौरान कर्तव्य पालन के दौरान जान गंवाने वाले कांस्टेबल प्रहलाद को दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई। उन्होंने कहा कि कांस्टेबल प्रहलाद के एक परिजन को सरकारी नौकरी, मुख्यमंत्री सहायता कोष से 20 लाख रुपए सहित कुल एक करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता एवं पारिवारिक पेंशन, एमआईजी-ए श्रेणी का मकान, कृषि कार्य के लिए कनेक्शन एवं गैलेंट्री सम्मान के लिए केन्द्र सरकार को पत्र लिखने सहित नियमानुसार विभिन्न राहत दी जाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ मुकदमे को फास्ट ट्रैक कोर्ट में लाया जाएगा तथा स्पेशल पी.पी. नियुक्त किया जाएगा। अशोक गहलोत ने इस घटना के अपराधी को 36 घंटे के अंदर पकड़ने पर पुलिस कार्रवाई की सराहना की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अवैध हथियार, मादक पदार्थ जैसे संगठित अपराधों के नियंत्रण के लिए व्यापक कार्य-योजना बनाकर ‘ऑपरेशन वज्र प्रहार’ जैसे अभियान चलाए जा रहे हैं और इसमें लिप्त अपराधियों पर सख्त कार्यवाही की जा रही है। साथ ही, एनडीपीएस के मामलों में लिप्त अपराधियों की सम्पत्ती जब्त करने की कार्रवाई भी की जा रही है। उन्होंने कहा कि युवाओं में मादक पदार्थों के सेवन के बढ़ते प्रचलन पर नियंत्रण एवं पुनर्वास के लिए संवेदनशीलता के साथ कार्य करने की आवश्यकता है।
गहलोत ने कहा कि हमने महिलाओं और कमजोर वर्ग के परिवादियों को न्याय दिलाने के लिए निर्बाध पंजीकरण की व्यवस्था की है। इससे कमजोर वर्ग का हौसला बढ़ा है। उन्होंने कहा कि महिलाओं एवं बच्चों के विरूद्ध अपराधों की रोकथाम हमारी सर्वाेच्च प्राथमिकता है। महिला अत्याचार तथा पोक्सो न्यायालयों द्वारा दी जा रही सजाओं एवं इन कानूनों में निहित सजा के प्रावधानों का प्रचार-प्रसार किया जाये ताकि अपराधों पर अंकुश लग सके। गुमशुदा बच्चों का पता लगाने में राजस्थान पूरे देश में अग्रणी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में साम्प्रदायिक सौहार्द्र को बनाए रखने के लिए कड़े कदम उठाए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि सोशल मीडिया पर विशेष ध्यान देकर नफरती तथा हिंसात्मक कंटेट की विशेष मॉनिटरिंग की जाए। साथ ही, साइबर अपराध एवं ऑनलाइन धोखाधड़ी तथा हनीट्रेप से संबंधित अपराधों की रोकथाम हेतु आमजन में जागरूकता लाई जाए। उन्होंने कहा कि शराब की दुकानों तथा नाइट क्लब को तय समय सीमा के अंदर संचालित किया जाए तथा नियमों का उल्लंघन करने पर सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
गहलोत ने कहा कि अपराधियों को पकड़ने में सहायता करने वाले साहसी प्रदेशवासियों को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। इसी क्रम में उदयपुर में हुए कन्हैयालाल हत्याकाण्ड में आरोपियों का पीछा कर उनको पकड़ने में सहायता करने वाले प्रहलाद सिंह चुंडावत तथा शक्ति सिंह चुंडावत को नौकरी देने की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है।
उन्होंने कहा कि स्वागत-कक्षों की उपयोगिता सुनिश्चित करने हेतु वरिष्ठ अधिकारी थानों पर भ्रमण के समय इनकी स्थिति, उपस्थित कार्मिकों के व्यवहार का निरीक्षण करें, इससे पुलिस की छवि में सुधार होगा। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि परिवादियों की सुनवाई थाना, वृत्त एवं जिला पुलिस अधिकारियों द्वारा सवेंदनशीलता के साथ की जाए तथा प्रकरणों में समय पर गुणवत्तापूर्ण जांच सुनिश्चित की जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गत विधानसभा सत्र में संगठित अपराधों के नियंत्रण और सार्वजनिक परीक्षाओं में अनुचित संसाधनों के प्रयोग की रोकथाम के लिए सख्त कानून पारित किया गया। उन्होंने कहा कि प्रतियोगी परीक्षा में पेपर लीक न हो और नकल की रोकथाम के लिए इस कानून का प्रभावी क्रियान्वयन किया जाए। प्रदेश में भय मुक्त वातावरण और कानून के राज के लिए हमें हरसंभव प्रयास करने होंगे।
गहलोत ने इस दौरान आमजन को आपातकालीन स्थिति में सहायता प्रदान करने एवं प्रतिक्रिया समय को कम करने के उद्देश्य से जयपुर कमिश्नरेट, जोधपुर कमिश्नरेट, जयपुर ग्रामीण, जोधपुर ग्रामीण, अजमेर, भीलवाडा, कोटा सिटी, उदयपुर, बीकानेर जिले के लिए 100 फर्स्ट रेस्पोंस व्हीकल को हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया।
परियोजना के द्वितीय एवं तृतीय चरण में क्रमश 100 वाहन 300 वाहन आगामी 20 सितम्बर तथा 20 अक्टूबर से पूर्व उपलब्ध हो सकेंगे। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री द्वारा बजट में राजस्थान के समस्त जिलों में 500 फर्स्ट रेस्पास व्हीकल (एफआरवी) उपलब्ध कराए जाने की घोषणा की थी।
बैठक में बताया गया कि अनुसंधान में लगने वाले औसत समय में निरन्तर कमी आ रही है। दुष्कर्म मामलों में औसत अनुसंधान समय वर्ष 2017 में 208 दिन से घटकर अब 59 दिन रह गया है। एससी-एसटी मामलों में वर्ष 2019 में 128 दिन से घटकर अब 65 दिन रह गया है। महिला अत्याचार प्रकरणों में 45.2 प्रतिशत सजा दर के साथ राजस्थान देश का अग्रणी राज्य है। इन प्रकरणों में सजा दर का राष्ट्रीय औसत मात्र 26.5 प्रतिशत है।
पॉक्सो मामलों में 13 लोगों को फांसी की सजा दी जा चुकी है। महिलाओं के साथ मनचलों द्वारा छेड़छाड़ की घटनाओं को रोकने के लिए ऑपरेशन गरिमा संचालित किया जा रहा है। इस तरह के अवांछित कृत्य करने वालों के विरुद्ध चालान होने पर उनके चरित्र सत्यापन में इसका उल्लेख किया जाएगा।