अलवर। राजस्थान में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने गुरुवार को अलवर जिले के भिवाड़ी में उप पंजीयक कार्यालय बहादुरपुर में कनिष्ठ सहायक रजिस्ट्री लिपिक को 15 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया।
ब्यूरो के पुलिस महानिदेशक डॉ रवि प्रकाश मेहरड़ा ने बताया कि ब्यूरो की भिवाड़ी इकाई को परिवादी ने शिकायत की कि उसने अपने भूखंड की रजिस्ट्री 31 जनवरी 2025 को करवाई थी। उप पंजीयक बहादुरपुर एवं उक्त कार्यालय में पदस्थापित कार्मिकों द्वारा रजिस्ट्री देने के नाम पर उसके भूखंड को व्यवसायिक बताकर उससे 15 हजार रुपये की रिश्वत मांग कर उसे परेशान किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि इस पर भिवाड़ी चौकी प्रभारी पुलिस उप अधीक्षक परमेश्वर लाल के नेतृत्व में गठित ब्यूरो के दल ने सत्यापन के बाद जाल बिछाकर कनिष्ठ सहायक एवं रजिस्ट्री डिलीवरी लिपिक दिनेश मीणा को परिवादी से 15 हजार रुपये की रिश्वत लेते गिरफ्तार कर लिया।
उन्होंने बताया कि इसी कार्यालय में सहायक प्रशासनिक अधिकारी यतेन्द्र ब्यूरो की कार्रवाई की भनक लगने पर मौके से फरार हो गया, जिसकी तलाश की जा रही है। इस मामले में उप पंजीयक भानुश्री की संदिग्ध भूमिका की जांच की जा रही है।
बालिका गृह में 12 वर्ष की बालिका की मौत
अलवर के अरावली विहार थाना क्षेत्र में स्थित आरती बालिका गृह में एक बालिका की मौत हो गई। सूत्रों ने गुरुवार को बताया कि 12 वर्षीय प्रियंका दो वर्ष पूर्व अरावली विहार थाना पुलिस को काला कुआं में घूमती मिली, जिस पर पुलिस ने उसे चाइल्डलाइन के हवाले कर दिया। जहां से उसे आरती बालिका गृह भेजा गया। वहां वह वर्तमान में पांचवी कक्षा की छात्रा थी। इकतीस जनवरी को अचानक तबीयत खराब होने पर उसे अलवर के सामान्य चिकित्सालय लाया गया, जहां से उसे कम उम्र होने के कारण शिशु चिकित्सालय भेज दिया गया।
सूत्रों ने बताया कि शिशु चिकित्सालय में उसे वेंटिलेटर पर रखा गया, वहीं एमआरआई के दौरान उसके ब्रेन में टीबी की पुष्टि हुई। उसे तुरंत जयपुर भेजने की सलाह दी गयी। आरती बालिका गृह के संचालक चेतराम सैनी ने कहा कि पिछले वर्ष बाल अधिकारिता विभाग की ओर से बालिका गृह को अनुदान नहीं दिया गया।
बालिका को जयपुर भेजने के लिए सहायक निदेशक रविकांत को बार-बार पत्र भेजा गया और फोन से भी संपर्क किया गया, लेकिन उन्होंने कोई गंभीरता नहीं दिखाई। ऐसे में इलाज के अभाव में प्रियंका ने 11 फरवरी को दम तोड़ दिया।
सूत्रों ने बताया कि तीन दिन तक शव मोर्चरी में रखा रहा, वहीं आधार कार्ड के जरिये उसके परिजन भी मिल गए, जिसमें पता लगा कि बालिका के पिता की 2012 में मौत हो गई थी। उसके बाद मां अपने तीनों बच्चों को लेकर दूसरे आदमी के साथ चली गयी, जहां से प्रियंका भाग गई थी। फिलहाल मृतक बच्ची के ताऊ के साथ गांव के लोग अस्पताल पहुंचे, जहां पोस्टमार्टम की कार्रवाई करके बालिका का शव परिजनों को सुपुर्द किया गया।