ईडी निदेशक संजय मिश्रा का कार्यकाल 15 सितंबर तक बढ़ाने की सुप्रीम कोर्ट ने दी अनुमति

नई दिल्ली। सुप्रीमकोर्ट ने केंद्र सरकार की गुहार पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निदेशक संजय कुमार मिश्रा का कार्यकाल गुरुवार को 31 जुलाई से बढ़ाकर 15 सितंबर तक कर दिया।

न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संजय करोल की पीठ ने केंद्र सरकार की गुहार आंशिक तौर पर स्वीकार करते हुए कहा कि इस मामले में आगे कोई सेवा विस्तार की अनुमति नहीं दी जाएगी।

पीठ ने सेवा विस्तार का आदेश पारित करते हुए कहा कि व्यापक सार्वजनिक हित को ध्यान में रखते हुए हम ईडी निदेशक को 15 सितंबर 2023 तक पद पर बने रहने की अनुमति देते हैं। शीर्ष अदालत ने 11 जुलाई को मिश्रा के दो सेवा विस्तार को अवैध करार देते हुए उनके कार्यकाल की सीमा 31 जुलाई 2023 तय दी थी। इसके बाद केंद्र सरकार ने 26 जुलाई को मिश्रा का कार्यकाल 15 अक्टूबर तक बढ़ाने की गुहार लगाते हुए शीर्ष अदालत से शीघ्र सुनवाई का अनुरोध किया था। अदालत ने उनकी गुहार स्वीकार करते हुए 27 जुलाई को सुनवाई की।

न्यायमूर्ति बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की गुहार पर इस मामले पर आज सुनवाई करने की सहमति व्यक्त की थी। मेहता ने वर्तमान ईडी निदेशक मिश्रा का कार्यकाल बढ़ाने को लेकर दायर एक आवेदन पर सुनवाई करने की गुहार ‘विशेष उल्लेख’ के दौरान लगाई थी।

मिश्रा को बार-बार सेवा विस्तार दिए जाने के खिलाफ एक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) की ओर से दायर जनहित याचिका पर बहस करने वाले वकील प्रशांत भूषण ने एक ट्वीट कर केंद्र की याचिका को ‘बेतुका’ बताया था।

शीर्ष अदालत ने अपने 11 जुलाई के फैसले में कहा था कि व्यापक सार्वजनिक हित के मद्देनजर 31 जुलाई 2023 तक उन्हें (संजय कुमार मिश्र) वर्तमान पद पर बने रहने की अनुमति दी जाती है। यानी सरकार को इस पद पर किसी अन्य अधिकारी की नियुक्ति करने के लिए करीब 20 दिनों की अवधि की मोहलत दे दी थी।

पीठ ने हालांकि, केंद्र सरकार के केंद्रीय सतर्कता आयोग (संशोधन) अधिनियम 2021 और दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना (संशोधन) अधिनियम 2021 की वैधता को दी गई चुनौती को खारिज कर दिया था। इन दोनों संशोधित अधिनियमों में केंद्रीय जांच एजेंसियों – केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निदेशक के पद का कार्यकाल पांच वर्षों तक विस्तार की अनुमति दी गई है।

शीर्ष अदालत के इस फैसले से साफ हो गया था कि सीबीआई और ईडी प्रमुख के पद के अधिकारी का सेवा विस्तार अधिकतम पांच वर्षों तक करना कानून सम्मत है। अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि उसने पाया कि 8 सितंबर 2021 के (कॉमन कॉज़ मामले में) उसके पिछले फैसले में जारी किए गए परमादेश का उल्लंघन करते हुए मिश्रा को 17 नवंबर 2021 और 17 नवंबर 2022 को एक-एक वर्ष की अवधि के लिए विस्तार दिया गया था। पीठ ने कहा था कि केंद्र सरकार परमादेश का उल्लंघन करते हुए आदेश जारी नहीं कर सकती थी।

न्यायमूर्ति गवई ने कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला और डॉ. जया ठाकुर, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता साकेत गोखले और महुआ मोइत्रा, वकील एम एल शर्मा, कृष्ण चंदर सिंह और सामाजिक कार्यकर्ता विनीत नारायण और स्वयंसेवी संस्था- कॉमन कॉज द्वारा ईडी निदेशक के कार्यकाल के विस्तार को चुनौती देने वाली अलग-अलग याचिकाओं पर 103 पृष्ठों में अपना फैसला दिया था। संशोधनों के बाद केंद्र सरकार को ईडी निदेशक का कार्यकाल पांच सालों तक बढ़ाने का अधिकार है।

पीठ ने (स्वयंसेवी संस्था कॉमन कॉज मामले में) अपने फैसले में कहा था कि सरकार पर दो साल की अवधि से अधिक प्रवर्तन निदेशक नियुक्त करने पर कोई प्रतिबंध नहीं है। पीठ ने साथ ही यह भी स्पष्ट किया था कि एक अधिनियम द्वारा परमादेश को रद्द करना अस्वीकार्य विधायी अभ्यास होगा।