नई दिल्ली। सुप्रीमकोर्ट ने एक बलात्कार पीड़िता की गर्भपात कराने की उसकी याचिका को 12 दिनों तक टालने पर गुजरात हाईकोर्ट की शनिवार को कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि ऐसे मामले में किसी प्रकार की लापरवाही न करते हुए इससे तत्परतापूर्वक निपटा जाना चाहिए।
न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने गुजरात के एक मामले में विशेष सुनवाई करते हुए भ्रूण को हटाने की संभावना का पता लगाने के लिए भरूच की एक मेडिकल बोर्ड से एक नई रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। पीठ ने कहा कि वह इस मामले में सोमवार को अगली सुनवाई कर इस मसले पर विचार करेगी।
पीड़िता के अधिवक्ता ने पीठ के समक्ष कहा कि उच्च न्यायालय ने मामले की तारीख 23 अगस्त तय की है, जिससे उसकी गर्भावस्था 28 सप्ताह की हो जाएगी। अधिवक्ता ने हालांकि कहा कि याचिका सात अगस्त को दायर की गई थी और 11 अगस्त को सुनवाई हुई थी।याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने शीर्ष अदालत की पीठ के समक्ष यह भी कहा कि इस मामले में हाईकोर्ट का आदेश रिकॉर्ड पर भी उपलब्ध नहीं था।