नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव से पहले राजनीतिक दलों के लुभावने वादों पर लगाम लगाने की एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए शुक्रवार को केंद्र सरकार चुनाव आयोग और मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी करके जवाब तलब किया।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने मध्य प्रदेश के सामाजिक कार्यकर्ता भट्टूलाल जैन की याचिका पर संबंधित पक्षों को चार सप्ताह में अपने जवाब दाखिल करने को कहा है। पीठ ने साथ ही याचिकाकर्ता से कहा कि वह राजस्थान के मुख्यमंत्री कार्यालय को पार्टियों की सूची से हटाकर संबंधित राज्य को पक्षकार बनाने के लिए स्वतंत्र है।
पीठ की अध्यक्षता कर रहे न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने इस याचिका को अश्विनी कुमार उपाध्याय की इसी प्रकार की याचिका के साथ सुनवाई का निर्देश देते हुए उसी के साथ इस मामले को सूचीबद्ध करने का आदेश पारित किया।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने मौखिक रूप से कहा कि चुनाव से पहले सभी तरह के वादे किए जाते हैं और हम इस पर नियंत्रण नहीं कर सकते। जैन ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के समक्ष एक जनहित याचिका दायर करके राज्य के मुख्यमंत्री को घोषणाएं और वादे न करने के निर्देश देने की गुहार लगाई थी।
उच्च न्यायालय ने 26 जून को उनकी याचिका खारिज करते हुए कहा था कि यह जनहित याचिका अखबार की रिपोर्ट के आधार पर दायर कई थी और यह सुनवाई के योग्य नहीं है। उच्च न्यायालय के फैसले से निराशा जैन ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था।