पंजाब पंचायत चुनावों पर रोक से सुप्रीम कोर्ट का‌ इनकार

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने पंजाब में चल रहे ग्राम पंचायत चुनावों पर रोक लगाने से मंगलवार को इनकार करते हुए कहा कि मतदान के दिन (15 अक्टूबर) चुनाव पर रोक लगाने से अराजकता पैदा हो जाएगी।

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पार्दीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने चुनाव रोकने से संबंधित कोई अंतरिम आदेश पारित कराने से इनकार किया, लेकिन पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ याचिका पर सुनवाई करने पर सहमति जताई, जिसमें मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया गया था।

पीठ ने लोकतंत्र में चुनावों के महत्व को रेखांकित किया और कहा कि अगर अदालतें मतदान के दिन चुनाव पर रोक लगाना शुरू कर दे तो अराजकता उत्पन्न हो जाए।

पंजाब में ग्राम पंचायत चुनाव आज सुबह आठ बजे से (15 अक्टूबर) चल रहे हैं। पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने पंचायत चुनाव रद्द करने की मांग वाली लगभग 1,000 याचिकाओं को खारिज कर दिया था। इससे पहले, उच्च न्यायालय ने चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी।

याचिकाकर्ताओं ने उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया, जिसने नामांकन प्रक्रिया में अनियमितताओं का आरोप लगाने वाली कई याचिकाओं को खारिज करके पंजाब में पंचायत चुनाव का रास्ता साफ कर दिया।

अनियमितताओं का आरोप लगाने वाली याचिका पर एक वकील ने पंजाब ग्राम पंचायत चुनाव से संबंधित उस मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने का अनुरोध शीर्ष अदालत से किया। वकील ने अदालत से सोमवार को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश पर रोक लगाने का आग्रह किया था।

शीर्ष अदालत ने संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि वह मामले को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करेगी, लेकिन चुनाव पर रोक नहीं लगाएगी।

पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा कि हम चुनावों को महत्व देते हैं‌। आपके पास चुनाव याचिकाओं में उपाय हैं…हम रोक नहीं लगाएंगे, खासकर तब जब चुनाव शुरू हो चुके हैं।

पीठ ने वकील से आगे कहा कि मतदान शुरू होने के बाद क्या आपको पता है कि आप जो मांग कर रहे हैं, उसकी गंभीरता क्या है? कल कोई कहेगा कि मतदान शुरू होने के बाद संसदीय चुनाव या राज्य विधानसभा चुनाव पर रोक लगा दी जाए, क्या आप इसके परिणामों की कल्पना कर सकते हैं।

इस पर एक अन्य वकील ने चंडीगढ़ मेयर चुनाव मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश का हवाला दिया, हालांकि शीर्ष अदालत ने कहा कि वह मामले को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करेगा, लेकिन यह स्पष्ट किया कि वह अभी अंतरिम आदेश पारित नहीं करेगा।